राजनीति के साथ हर विषय पर लेख पढने को मिलेंगे....

गुरुवार, अक्तूबर 29, 2009

खेल पुरस्कारों के नियम सरल होंगे

कई राज्यों के नियमों का किया जा रहा है अध्ययन
प्रदेश का खेल एवं युवा कल्याण विभाग अब राज्य के खेल पुरस्कारों के नियमों को सरल बनाने की कवायद में लगा है। जिन राज्यों में पुरस्कारों के नियम सरल हैं उनको यहां मंगाकर उसका अध्ययन किया जा रहा है। इसी के साथ प्रदेश की खेल बिरादरी से भी सुझाव मांगे गए हैं। कोई भी अच्छे सुझाव खेल संचालनालय में दे सकता है। इसके लिए खेल संचालक जीपी सिंह ने सबको खुला आमंत्रण दिया है। खेल पुरस्कारों के साथ उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के नियमों में भी बदलाव किया जाएगा।

खेल विभाग की कमान जब से खेल संचालक जीपी सिंह ने संभाली है, उन्होंने बड़ी ही गंभीरता से खेल संघों की बातों को सुना है। खेल पुरस्कारों के नियमों को लेकर प्रारंभ से ही विवाद की स्थिति रही है। इसके लिए जो नियम बनाए गए हैं, उसका लगातार विरोध होता रहा है, लेकिन इसके बाद भी इन नियमों में बदलाव की पहल नहीं की गई है। इस बार खेल पुरस्कारों के लिए जब खेल विभाग में कवायद प्रारंभ हुई थी और खेल संचालक के सामने नियम आए तो उनको भी लगा कि नियम सरल और स्पष्ट नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने २९ अगस्त को खेल पुरस्कार दिए जाने के बाद से ही सभी खेल संघों के पदाधिकारियों से यह बात कही कि उनके पास सुझाव दिए जाए कि वे नियमों में किस तरह का संशोधन चाहते हैं। एक तरफ जहां प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ और कई खेल संघ नियमों में संशोधन के सुझाव बनाकर दे रहे हैं, वहीं खेल संचालक ने पंजाब, हरियाणा, मप्र, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के खेल पुरस्कारों के नियम मंगाए हैं। इसी के साथ उनके पास जिस भी राज्य के नियमों के सरल और स्पष्ट होने की जानकारी मिलती है, उनको वे मंगवाने का काम करते हैं। आज ही उनको प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान ने उत्तर प्रदेश के नियमों के अच्छे होने की जानकारी दी। उनकी जानकारी पर उन्होंने तत्काल वहां के नियम मंगाने के निर्देश दिए हैं।

पंजाब-हरियाणा के नियम अच्छे हैं

खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि उन्होंने जो पंजाब और हरियाणा के नियम मंगाए हैं, वो बहुत ही अच्छे और सरल हैं। उन्होंने बताया कि वहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक, एशियाड, विश्व कप से लेकर अन्य अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने के साथ भागीदारी के लिए अलग-अलग अंक हैं। इसी के साथ राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदकों के लिए अलग-अलग अंक हैं। उन्होंने कहा कि अंकों पर आधारित नियम ही ठीक होते हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा के नकद राशि पुरस्कार के नियम भी सरल हैं। इन राज्यों के पुरस्कार नियम महज दो पन्नों के हैं, जबकि अपने राज्य के नियमों को काफी कठिन और ज्यादा पन्नों का बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब सभी पुरस्कारों के लिए आवेदन फार्म भी एक करने का विचार है।

उत्कृष्ठ खिलाडिय़ों के नियम भी बदलेंगे

श्री सिंह ने खेल पुरस्कारों की तरह ही प्रदेश में उत्कृष्ट खिलाडिय़ों ने लिए तय किए गए नियमों पर उठ रहे सवालिया निशान को देखते हुए कहा है कि खेल विभाग ने पहले ही तय कर लिया है कि इसके नियमों में भी संशोधन किया जाएगा। खेल संचालक का कहना है कि विभाग कई राज्यों के नियमों का अवलोकन कर रहा है नियमों में जिन बदलावों की जरूरत होगी, वो बदलाव किए जाएंगे।

प्रदेश सरकार ने पहली बार ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। इस सूची के जारी होने के बाद ही खेल बिरादरी में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसमें बहुत ज्यादा कमियां हैं। इन कमियों के कारण जहां कई अपात्र खिलाड़ी भी नौकरी के पात्र हो गए हैं, वहीं कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो राज्य के लिए कुछ साल भी नहीं खेल पाएंगे ऐसे खिलाडिय़ों को नौकरी देने का क्या मतलब रहेगा।

खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि उनके पास कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने इस बात को रखा है कि नियमों में कई कमियां हैं। हमारा विभाग मप्र सहित कई राज्यों के नियमों का अवलोकन कर रहा है। नियमों में जो कमियां हैं उनको दूर किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा खेलों के खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जा सके और उनको रोजगार मिल सके। विभाग का मसकद ही प्रदेश में हर खेल और खिलाड़ी का विकास करना है।

3 टिप्पणियाँ:

Unknown गुरु अक्तू॰ 29, 08:25:00 am 2009  

अच्छे और सरल नियम ही होने चाहिए खिलाडिय़ों के लिए। खिलाड़ी देश की शान बढ़ाते हैं तो उनका सम्मान करना राज्य और देश का भी फर्ज बनता है।

Unknown गुरु अक्तू॰ 29, 08:40:00 am 2009  

चलिए किसी राज्य में तो खिलाडिय़ों के भले की बात सोची जा रही है।

vikash,  गुरु अक्तू॰ 29, 09:52:00 am 2009  

अच्छी सोच के लिए खेल विभाग के संचालक साधुवाद के पात्र हैं।

Related Posts with Thumbnails

ब्लाग चर्चा

Blog Archive

मेरी ब्लॉग सूची

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP