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शुक्रवार, अक्तूबर 23, 2009

पहली नजर की मोहब्बत के बारे में क्या सोचते हैं आप

पहली नजर में जो मोहब्बत होती है, उसके बारे में अपनी ब्लाग बिरादरी के मित्र क्या सोचते हैं, यह जानने का आज मन हो गया है। ऐेसा मन हुआ है तो इसके पीछे एक कारण यह है कि अक्सर ऐसा कहा जाता है कि पहली नजर की मोहब्बत ज्यादा परवान नहीं चढ़ती है और परवान चढ़ भी गई तो वह अंजाम यानी शादी तक पहुंच पाती है। लेकिन हम इस बात को नहीं मानते हैं कारण यह कि हमने भी पहली नजर में मोहब्बत की और हमारी मोहब्बत न सिर्फ परवान चढ़ी बल्कि अंजाम तक भी पहुंची। यानी हमने जिसे पहली नजर में चाहा उसी को अपना जीवनसाथी बनाया और हमारा यह साथ 18 साल का हो चुका है।

आज अचानक हमें ये बातें इसलिए याद आ गईं क्योंकि दीपावली मिलन में जब अनिल पुसदकर जी की मंडली एक मित्र के घर पर जुटी और इस मंडली के बीच में जिस तरह से प्यार को लेकर बातें हुईं, उसी ने हमें भी याद दिलाया कि यार वास्तव में वह जमाना क्या था जब अपने महबूब की एक झलक पाने के लिए बेताबी रहती थी, पर आज ऐसी न तो बेताबी होती है और न ही इंतजार करने की जरूरत होती है। आज महबूब की याद आई नहीं कि बजा दी अपने मोबाइल की घंटी। मोबाइल की घंटी बजते ही न सिर्फ अपने महबूब की आवाज सुनाई पड़ती है बल्कि उसकी नूरानी सूरत भी सामने जाती है। यही कारण है कि आज के प्रेमी समझ ही नहीं सकते हैं कि मिलन की बेताबी और तडफ़ क्या होती है। इसी के साथ आज के युवा तो पहली नजर की मोहब्बत के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। आज का जमाना तो तू नहीं और सही और सही वाला हो गया है। बहरहाल अगर बातें की तो लंबी हो जाएगी, हम तो यह यह जानना चाहते हैं कि अपने ब्लागर मित्र पहली नजर के प्यार के बारे में क्या सोचते हैं।

कोई ऐसा मित्र है जिसने पहली नजर में मोहब्बत की और उनकी मोहब्बत परवान चढ़कर हमारी तरह अंजमा तक पहुंची हो तो जरूर बताएं। आप सभी के विचारों का इंतजार रहेगा।

9 टिप्पणियाँ:

Unknown शुक्र अक्तू॰ 23, 08:53:00 am 2009  

क्या बात है राज जी बड़ी देर से खोला अपने दिल राज

ब्लॉ.ललित शर्मा शुक्र अक्तू॰ 23, 08:54:00 am 2009  

राम-राम-काका, हमारा तो फ़लसफ़ा कुछ उल्टा है,
पहली नजर मे शादी हुयी, फ़िर मुहब्ब्त हुयी, अब "सोलहवां साल" है नित निरंतर परवान ही चढ रही है,और भी नयी होती जा रही है,अब आगे इंतहा तक पहुंच ही जायेगी,मामला अंजाम तक पहुंच ही गया है,-क्यों कैसी रही हमारी मुहब्ब्त ?

guru शुक्र अक्तू॰ 23, 08:54:00 am 2009  

बड़े छुपे रूस्तम निकले गुरु

Unknown शुक्र अक्तू॰ 23, 09:26:00 am 2009  

एक नजर भी इकरार होता है हमने सुना है

पी.सी.गोदियाल "परचेत" शुक्र अक्तू॰ 23, 09:42:00 am 2009  

अरे भैया, अब हम क्या कहे, हमारे प्यार की तो कथा निराली
हर खूंटे पे गर्दन घुसेडी , मगर हमें आज तक किसी ने घास न डाली !

अजित गुप्ता का कोना शुक्र अक्तू॰ 23, 10:08:00 am 2009  

मोहब्‍बते तो किस्‍से कहानियों में ही दिखायी पडते हैं वास्‍तव में तो करार ही होता है, एक व्‍यावसायिक करार। ये मेरी जरूरत पूरी कर सकता है, बस इसी को देखकर पहली नजर में ह‍ी तय हो जाता है। इसे प्‍यार कह लें या फिर व्‍यापार?

Anil Pusadkar शुक्र अक्तू॰ 23, 10:41:00 am 2009  

सही कह रहे हो राजकुमार।लगता है ज़माना बिल्कुल ही बदल गया है।तेज़ और तेज़ होता जा रहा है,पता नही सब कुछ कंहा खो गया है।तुम्हे तो पता है मेरे अधिकांश साथियों ने प्रेम विवाह ही किये और वे आज तक़ वैसे ही प्यार मे डूबे हुये हैं जैसे तुम।अब न प्रेम पत्रो की खुश्बू उड़ती है और ना दीदारे-यार की दीवनगी नज़र आती है।प्रेम-पत्र का नाम आया तो एक पुराना किस्सा भी याद आया है,आज कोई पोस्ट लिखी भी नही है उसे ही लिखता हूं।अच्छा लिखा राजकुमारि,बनी रही जोडी राजा-रानी सारी राजकुमार-राजकुमारी की रे।नज़र ना लगे,तुम्हारे प्यार भरे संसार को,किसी की।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) शुक्र अक्तू॰ 23, 04:28:00 pm 2009  

bhai.......maine 300 baar (Bachpan se lekar aaj tak) pehli nazar mein mohabbat ki.... aaj tak parwaan nahin chadhi........ abhi bhi mohabbat ke parwaan chadhne ka intezaar hi kar raha hoon....

Mishra Pankaj शुक्र अक्तू॰ 23, 11:44:00 pm 2009  

आज तक तो मेरे साथ ऐसा हुआ नहीं है दरअसल बात ये है कि नजर मिलाने का समय ही नहीं मिला:)

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