नंगे के साथ क्यों हो रहे हैं नंगे
ब्लाग जगत में पिछले कुछ दिनों से बहुत ही ज्यादा साम्प्रदायिकता का जहर घोलने का काम किया जा रहा है। ब्लाग बिरादरी को पूरी तरह से धर्म युद्ध का अखाड़ा बना दिया गया है। हर कोई बस अपने को सही और श्रेष्ठ साबित करने में लगा है। किसी के अपने को श्रेष्ठ मानने से कोई भला कैसे श्रेष्ठ हो सकता है। हमारा ऐेसा मानना है कि जिनको गंदगी करने की आदत है वे तो गंदगी करेंगे ही। अगर एक इंसान नंगा है और वो बाजार में कपड़े खोल कर खड़े हो जाता है, तो इसका यह मतलब कताई नहीं होता है कि हम भी कपड़े खोल कर नंगे हो जाएं। हमारा ब्लाग बिरादरी के मित्रों से आग्रह है कि हमें तो कम से कम हमाम में रहना चाहिए। अगर कोई हमाम से बाहर जाता है तो जाए, यह उसकी सोच है कि वह कपड़ों के बिना ज्यादा अच्छा लगेगा।
हमें काफी समय से लग रहा है कि अपना ब्लाग जगत एक गलत रास्ते पर चल पड़ा है, जहां देखो जिसे देखो धर्म के नाम पर जहर घोलने का काम किया जा रहा है। क्या जरूरत है कि किसी भी धर्म की बुराई करने की? हमें तो नहीं लगता है कि दुनिया में कोई मजहब बैर करने की बात सीखता है। इतना जरूर है कि धर्म के ठेकेदार जरूर अपने फायदे के लिए लोगों को आपस में लड़ाने का काम सदियों से करते रहे हैं। हमें लगता है कि ब्लाग बिरादरी में कुछ धर्म के ऐसे ही ठेकेदार आ गए हैं जो अपने स्वार्थ के लिए ब्लाग जगत को भी दूषित करने में लगे हैं। अब इससे पहले की यहां भी साम्प्रयादिकता का जहर पूरी धुल जाए हम लोगों को सचेत हो जाना चाहिए। अगर सचेत नहीं हुए तो वही हाल होगा जो अपने देश का हुआ था यानी हम लोग गुलाम बन जाएंगे एक ऐसी कौम के जिसका काम है लोगों को आपस में लड़ाना।
तो मित्रों हमें इस बात पर ध्यान देना बंद करना होगा कि कौन कितना गंदा लिख रहा है। हमें किसी ने एक बार एक बात बताई थी कि अगर कोई इंसान आप को गाली दे रहा है तो आप उसे कबूल ही न करें। जब आप उसकी गाली को कबूल ही नहीं करेंगे तो वह आपके आएगी ही नहीं। इसका मतलब है कि वह गाली उसी के पास रह जाएगी। अगर कोई किसी के धर्म के बारे में उल्टा-सीधा सोचता या फिर लिखता है तो किसी के लिखने मात्र से कोई धर्म कैसे खराब हो सकता है।
धर्म के नाम पर लोग सिर कटाने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन जिनके सिर कटते हैं वे ऐसे लोग होते हैं जिनको ऐसा करने के लिए उकसाया जाता है, कभी भी धर्म के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करने वालों के सिर कटते देखे हैं क्या आपने? तो क्यों कर हम लोग ऐसे लोगों के हाथों की कठपुतली बनने का काम कर रहे हैं जिनका काम ही है इंसानों को बेवकूफ बनाकर कठपुतली की तरह नचाना।
ब्लाग जगत में हम लोग आए हैं तो अपने समाज, शहर, राज्य और देश के साथ इस सारी कायनात के लिए कुछ अच्छा करने के जज्बे के साथ अपना लेखन करें ताकि जब हम न रहे तो कम से कम हमारा नाम रहे। धर्म के नाम पर लिखकर लड़कर न तो कुछ हासिल होगा और न ही कोई हमें याद करेंगे। बाकी ज्यादा क्या लिखें, अपनी ब्लाग बिरादरी के लोग ज्ञानी और समझदार हैं। हमारे मन में एक बात आई सो हमने अपने ब्लाग बिरादरी से बांटने का काम किया है। आगे जिसकी जैसी इच्छा किसी को किसी की इच्छा के विपरीत तो चलाने का दम किसी में नहीं होता है। एक मित्र होने के नाते कोई भी हमारी तरह एक सलाह ही दे सकता है। अब उस सलाह को मानना न मानना तो सामने वाले पर निर्भर होता है।
12 टिप्पणियाँ:
एक कहावत है मित्र की नंगों से खुद भी डरता है, फिर ऐसे नंगों के साथ तो निपटने के लिए नंगा जरूरी है। क्योंकि नंगों से नंगें ही नहीं डरते हैं भले खुद डरता होगा।
आपने एक साफ-सुधरा लेख लिखा है बिना किसी भी धर्म का नाम लिए। यह बात बहुत अच्छी है, ब्लाग जगत को आप जैसे सही सोच वाले लेखकों की ही दरकार है। काश आपकी लिखी बात पर अमल हो पाता, लेकिन लगता नहीं है कि अमल होगा।
धर्म के नाम पर लड़ाई तो बंद होनी ही चाहिए
बात तो आपने पते की लिखी है, पर धर्म के ठेकेदार क्यों कर आपकी बात मानेंगे।
ब्लाग जगत को बचाने के लिए अच्छे लेखन की तरफ ही अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
अगर कोई इंसान आप को गाली दे रहा है तो आप उसे कबूल ही न करें। जब आप उसकी गाली को कबूल ही नहीं करेंगे तो वह आपके आएगी ही नहीं। इसका मतलब है कि वह गाली उसी के पास रह जाएगी। अगर कोई किसी के धर्म के बारे में उल्टा-सीधा सोचता या फिर लिखता है तो किसी के लिखने मात्र से कोई धर्म कैसे खराब हो सकता है।
सही बात है
राज भाई उपेक्षा ..एक बेहतरीन उपाय है ऐसी बातों का...और बेहद कारगर भी ...
dharm kyaa haen ??
kyaa dharm kewal puja aur aastha ki baat haen ??
yaa dharm smaaj sudhaar kae liyae haen ?
ek desh mae agar bees dharm haen to desh dharm sae chahlega yaa kanun sae ?
dharm ko kanun ki paridhi mae aanaa chahiyae yaa kanun ko dharm ki paridhi mae rehna chahiyae ??
kuchh prashn haen jineh agar silselivaar koi likhae aur blog jagat sahisnutaa sae jwaab dae to bahut see baatey spasht hogee
virodh galat cheezo kar karna jarurii haen , bas virodh kaa tarikaa sab ka alag alg hota haen
क्या करेगे जब हद हो जाती है तो कई लोग पैन्ट निकाल कर नन्गे होने पर मजबूर हो जाते है.\
अपने लेखन पर ध्यान दें और ऐसी बातों की उपेक्षा करें. आपने सही फरमाया.
nice
बर्नारर्ड शॉ ने कहा है कि सिर्फ उपेक्षा और बहिष्कार ही एक रास्ता है किसी को विस्म्रत करने का ।
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