नक्सलियों पर हमले के लिए किसका इंतजार है?
छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों से नक्सलियों के आतंक का सफाया करने की सारी योजनाएं बना लेने के बाद भी न जाने क्यों कर इस अभियान को अंतिम रूप देने में लगातार विलंब किया जा रहा है, आखिर किसका इंतजार किया जा रहा है यह बात समझ से परे है। क्या सरकार नक्सलियों को तैयारी का वक्त दे रही है या फिर सरकार की खुद की तैयारी अभी अधूरी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इधर नक्सलियों पर हमले में सेना की मदद से इंकार कर दिया है, उनका यह बयान समझदारी भरा है वो इसलिए कि संभवत: प्रधानमंत्री को यह समझा दिया गया है कि नक्सलियों से निपटना सेना के बस में नहीं है। लेकिन जिनके भी बस में है वे तो तैयार बैठे हैं तो फिर देर किस बात की है।
नक्सलियों के सफाए के लिए लगता है इस बार केन्द्र सरकार वास्तव में गंभीर है, तभी तो उसने कई राज्यों के साथ मिलकर उनके सफाए कि योजना बना ली है, अब इस योजना को कब अमली जामा पहनाया जाएगा इसी बात का खुलासा नहीं किया गया है। एक यही बात कही गई है कि हमला दीपावली के बाद नवंबर में होगा। लेकिन नवंबर में कब इसका खुलासा न करके सरकार ने एक अच्छा काम किया है, वैसे कई बाते सार्वजनिक कर दी गई हैं, जो की गलत है। वैसे सरकार भी इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि वह इन बातों को सार्वजनिक नहीं भी करती तो वो सारी बातें नक्सलियों तक पहुंच ही जानी है, नक्सलियों का नेटवर्क कितना तगड़ा है बताने की जरूरत नहीं है जो बातें किसी को मालूम नहीं होती हैं, वह बातें आसानी से नक्सलियों तक पहुंच जाती हैं। अगर सरकार ने अपनी रणनीति को छुपा रखा है तो यह एक अच्छी बात है, अगर उसने अपनी रणनीति ठीक उसी तरह से बनाई है जैसी कि सबको मालूम है तो यह बात बहुत घातक हो सकती है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि नक्सली भी जवाबी हमले की तैयारी करके बैठे होंगे, अब यह बात अलग है कि उन पर अचानक हमला किया जाए तो सफलता मिल सकती है। लगता तो कुछ ऐसा ही है कि इस बार नक्सलियों पर इस तरह से चौतरफा हमला होगा कि उनको बचने का मौका नहीं मिलेगा, ऐसा हुआ तो यह सबके लिए सुखद होगा, क्योंकि नक्सलियों ने आज आम लोगों का भी जीन दूभर कर कर दिया है। सरकार को तो महाराष्ट्र के चुनाव और दीपावली के पचड़े में पड़े बिना ही अविलंब हमला कर देना था ताकि नक्सलियों को सोचने का समय ही नहीं मिलता लेकिन पिछले एक माह से जिस तरह से हमला करेंगे-हमला करेंगे कि रट लगाई जा रही है, उससे नक्सलियों को संभलने का पूरा मौका मिल गया है । अगर सरकार यह सोच रही होगी कि नक्सलियों पर हमले की बातें बार-बार कहने से वे भाग जाएंगे तो यह उसकी गलती है, नक्सली उनके बयानों से बौखला कर लगातार वारदातें कर रहे हैं, ऐसे में ही सरकार को समझ जाना चाहिए कि उन पर जल्द से जल्द हमले के अलावा और कोई चारा नहीं है, मालूम नहीं सरकार किस बात का इंतजार कर रही है। सरकार को अविलंब अपनी रणनीति को अंजाम देना चाहिए।
6 टिप्पणियाँ:
नक्सली खौफ से मुक्त नहीं हो पा रही है सरकार
यह बात बिलकुल सच है कि नक्सलियों ने लोहा लेना सेना के बस की बात नहीं है। सेना की कारवाई अलग तरह की होती है
नक्सलियों ने नेटवर्क का जवाब नहीं है, सरकार की खुफिया एजेंसी में दम ही नहीं है
लगता है सरकार में दम ही नहीं है कि नक्सलियों पर जल्द हमला किया जा सके।
हम भी सहमत हैं आपकी बातों से ।
आभार ।
नक्सली भी जवाबी हमले dagai.
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