हम तो 17 दिनों से बेकार हैं, क्या करें?
बात आज से ठीक 17 दिनों पहले की है, तब हमें मालूम नहीं था कि हम इस दिन अचानक बेकार हो जाएंगे। वैसे बेकार होने की शंका तो हमें पहले से थी, लेकिन हम इतनी जल्दी बेकार हो जाएंगे सोचा नहीं था। लेकिन क्या करते बहुत समय हो चुका था और अब उसे ज्यादा दिनों तक झेलना ठीक नहीं था, ऐसे में जैसे ही हमें एक खरीददार मिला हमने उसे उसके हाथों सौंपकर बेकार होने का फैसला कर लिया।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। मित्रों हम बात कर रहे हैं अपनी कार की। हमारे पास करीब दो साल से एक पुरानी मारूति 800 थी। इस कार ने वैसे तो हमारा अच्छा साथ दिया, पर पैसे भी काफी खर्च करवाएं। एक दिन हमारे कार मिस्त्री ने कहा कि भईया अब इसको बेचे ही दें, नहीं तो नुकसान में रहेंगे। हमने उनसे पूछा कि कितने पैसे मिल जाएंगे। उन्होंने कहा 30 हजार तक मिल जाएं तो ठीक है, वैसे ज्यादा पैसे भी मिल सकते हैं।
हमने सोचा कि यार जब मिस्त्री साहब कह रहे हैं तो बेकार होना ही ठीक रहेगा। हमने सोचा था कि इस कार को बेचकर दूसरी ले लेंगे। लेकिन हमें क्या मालूम था कि हमारे बेकार होने के 17 दिनों बाद भी हमें कार नसीब नहीं होगी। हमारी कार को एक मिस्त्री ने एक सज्जन को दिखाया तो वह उसे पसंद आ गई। सौदा हुआ 37 हजार में। एक हजार रुपए कार बिकवाने वाले मिस्त्री को देने थे। कार लेने वाले उन वकील साहब का बजट इतना नहीं था, वह पहले हमें 25 हजार थमाकर बाकी बाद में देने की बात कह रहे थे, हमने उनसे कहा कि मित्र आपको कार पसंद है तो हम कुछ दिनों तक रूक जाएंगे, जब पैसों का इंतजाम हो तो ले लेना। लेकिन उन सज्जन को भी जल्दी थी, वे दूसरे ही दिन सुबह-सुबह घर आ घमके। उन्होंने कार लेने के लिए एंग्रीमेंट भी करवा लिया था। उन्होंने हमसे आग्रह किया कि भाई साहब दो हजार रुपए कम हैं, हम आपको जल्द देंगे। उनकी कार के प्रति लगन देखकर हमने उन अंजान आदमी पर भरोसा करते हुए उनको कार 35 हजार रुपए लेकर दे दी। उन पैसों में से एक हजार रुपए कार बिकवाने वाले मिस्त्री को दे दिए।
उन सज्जन जिनका हम पहले नाम भी नहीं जानते थे, उन्होंने अपने वादे के मुताबिक एक सप्ताह के अंदर ही हमारे बचे दो हजार रुपए लाकर दे दिए। और यह भी कहा कि आपने वास्तव में कार अच्छी दी है। हमने उस कार को ठीक रखने के लिए 25 हजार रुपए से ज्यादा का खर्च किया था। कार में कोई खराबी तो थी नहीं। लेकिन हम चूंकि कई बार लंबे सफर पर चले जाते थे, और वह पुरानी होने के कारण ज्यादा लंबे सफर के लायक नहीं थी, यही वजह रही कि मिस्त्री के कहने पर हमने कार बेच दी। हमने कार लेने वाले सज्जन को बता भी दिया था कि ज्यादा लंबे सफर में जाएंगे तो लंबे खर्च के चपेटे में भी पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनको शहर में ही कार चलानी है।
मिस्त्री के कहने पर हम बेकार तो हो गए हैं, पर 17 दिनों से तलाश करने के बाद भी हमें कोई कार नहीं मिल रही है। हमें जो कार चाहिए उसका बजट एक लाख पचास हजार है। अब इतने बजट में अच्छी कार चार-पांच साल पुरानी मिल जाएगी, ऐसा हमारे मित्र और मिस्त्री कहते हैं, पर अब तक कोई मिली नहीं है। दो बार पांच साल पुरानी वैगनआर हाथ आते-आते रह गई। कई मित्र कहते हैं कि यार नई कार ले लो। आज कल तो बैंक से लोन मिल जाता है, पर हम किसी लोन-वोन के चक्कर में नहीं रहते हैं। ऐसे में हमने फैसला यही किया है कि जितने पैसे हमारे पास हैं, उतने बजट में ही पुरानी कार लेंगे और अपने बेकार होने का संकट दूर करेंगे। है न ठीक बात मित्रों।
14 टिप्पणियाँ:
bhagwaan aapko jald koi car de!!
आप का निश्चय सही है। आप अपने बजट ही कार लें। लोन के झंझट में ना पड़ें।
ओए बादशाहो! कार लेणा, बेकार नही।
कार ही चलती है अपणी सरकार नही।
अब बोझा उतार दो एटलस
गधे का क्या अंजाम हुआ?
कलम के योद्धा पी सी गोदियाल-"चिट्ठाकार चर्चा"
ललित जी,
कार का तो होता है इंजन ही फेल
सरकार निकाल देती है जनता का तेल
कार अच्छी मिले, बजट में मिले, टेंशन न दे...इस हेतु समस्त शुभकामनाएँ.
ललित जी एक बात और...
काश आज ही मिल जाती कार
संडे को होते ब्लागर मित्रों
के साथ उसमें सवार
इस संडे का मिलन तय है न मित्र?
आपके कार को लेने वाले अंजान वकील साहब को नमस्कार.
जल्दी मिले आपको आपके बजट मे आपका मनपसन्द कार.
तय है मित्र :-)
becari se aapka padesaan hona swabhavik hai.koi raasta nikaliye jisse sabhi bekaro ko car mil jaye.
मारुति ट्रू वैल्यू में पता करें
पुरानी कार को अच्छी तरह से बनाकर बेचते हैं 1 साल के वारंटी के साथ
मेरे पास एक कार पड़ी है... लोग कहते हैं कि इसे बेच कर जो भी पैसे मिले ...उसमें थोड़े और पैसे मिला कर एक सेकंड हैण्ड साईकिल ले लो... वो मैं आपको फ्री में देने तो तैयार हूँ.
राज भाई कहिए तो दिल्ली से भिजवाएं यहां खूब मिल जाती है ........और खूब बिकती भी है कार और सरकार दोनों .....हां चलती कितना हैं दोनों ही पता नहीं ,जल्दी ले हमारी शुभकामनाएं
अजय कुमार झा
महफूज भाई
वैसे आपकी कार के बदले हम आपको एक ऐसी कीमती सायकल तोहफे में दे सकते हैं जिसे हमने पिछले 24 सालों से संभालकर रखा है। यह वही सायकल है जिससे हमने दो बार उत्तर भारत की यात्रा की है। यह सायकल हमारे लिए इतनी कीमती है कि इसे हमने सजेग कर रखा है, अब यह बात अलग है कि यह भी चलती नहीं है। आपको सायकल लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और कार। अंत में आपके प्यार भरे संदेश के लिए आभार।
अजय भाई
दिल्ली की कार और सरकार चले ने चले हमें क्या, हमें तो इस बात से मतलब है कि अपने अजय भाई के साथ अपने प्यार का सिलसिला चलते रहना चाहिए। आपके छत्तीसगढ़ आने की राह हम सभी देख रहे हैं।
आपकी जादू का झप्पी का बेताबी से इंतजार है
हम सबका दिल बेकरार है
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