हॉकी इंडिया की रमन सिंह भी मदद करें
हॉकी से करीब चार दशक से जुड़े प्रदेश के पूर्व हॉकी खिलाड़ी और प्रशिक्षक मुश्ताक अली प्रधान भी हॉकी इंडिया की दुर्गति पर खफा हैं। उनके हाथ में आज प्रदेश का संघ होता और संघ के पास फंड होता तो सबसे पहला काम वे हॉकी इंडिया की मदद करने का करते। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह से हॉकी इंडिया की मदद करने की पहल की है, उस पहल से खुश मुश्ताक का मानना है कि अपने राज्य के मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह को भी ऐसी पहल करनी चाहिए। प्रस्तुत है उनसे हॉकी के विभिन्न मुद्दों पर की गई बातचीत के अंश।
० भारत में हॉकी की दुर्गति के लिए आप किसे दोषी मानते हैं?
०० हॉकी की आज तो गत बनी है उसके लिए सबसे बड़ी दोषी केन्द्र सरकार है। केन्द्र सरकार के कारण ही पहले हॉकी फेडरेशन को भंग किया गया, इसके बाद जब पांच सदस्यों जिसमें अशोक ध्यानचंद, असलम शेर खान, अजीत पाल सिंह, धनराज पिल्ले और असलम खान थे, इसकी तदर्थ समिति बनाई गई थी तो हॉकी रफ्तार से ऊंचाई की तरफ जाने लगी थी, लेकिन अचानक भारतीय ओलंपिक संघ के दबाव में इस समिति को भंग कर दिया और एडॉक बॉडी बनाई गई। एडॉक बॉडी बनाने के बाद सभी राज्यों में भी राज्य की एडॉक बॉडी बन गई है तो इन एडॉक बॉडी के अध्यक्षों को बुलकर चुनाव के माध्यम से हॉकी इंडिया का गठन कर लेना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।
० हॉकी खिलाडिय़ों और हॉकी इंडिया के बीच विवाद का कारण क्या है?
०० भारत में अगले माह विश्व कप होना है और लगता है कि कोई इस साजिश में है कि भारत में विश्व कप खटाई में पड़ जाए। इसीलिए खिलाडिय़ों के प्रशिक्षक शिविर में कोई मदद नहीं की जा रही है। विश्व कप की तैयारी के लिए लगे शिविर में ज्यादा पैसे खर्च नहीं होने हैं। बमुश्किल १० लाख का खर्च होना है। इतना खर्च तो केन्द्र सरकार ही कर सकती है। न जाने क्यों विवाद को तूल दिया जा रहा है। वैसे भी हॉकी खिलाड़ी शुरू से उपेक्षित रहे हैं। हॉकी खिलाडिय़ों को पैसे तो कभी नसीब होते नहीं है। अगर आज मेरे हाथों में प्रदेश का संघ होता और इसमें फंड होता तो सारा फंड मैं हॉकी खिलाडिय़ों को दे देता।
० मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पहल के बारे में क्या कहेंगे?
०० शिवराज सिंह की पहल देश के लिए मिसाल है। यह पहल ठीक वैसी ही पहल है जैसी पहल १९७४ में तब पंजाब ने की थी जब १९७५ के विश्व कप खेलने के लिए भारतीय टीम को जाना था। इस बार भी विश्व कप से पहले विवाद हुआ है तो इस बार मप्र की सरकार सामने आई है। १९७५ में भारतीय टीम ने विश्व कप जीता था। इस बार मप्र सरकार की मदद से अगर भारतीय टीम कमाल करती है तो मप्र सरकार का नाम हो जाएगा। मेरा ऐसा मानना है कि अपने राज्य के मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह को भी ऐसी पहल करनी चाहिए।
० इस सारे मामले में केन्द्र सरकार को क्या करना चाहिए?
०० केन्द्र सरकार को वह काम करना था जो काम मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है। हॉकी टीम के शिविर में कोई करोड़ों तो खर्च होने नहीं हंै, केन्द्र सरकार के लिए क्या मुश्किल है थोड़ा सा बजट देना।
० इस मामले में पूर्व खिलाड़ी और ओलंपियन कोई मदद कर सकते हैं?
०० यह झगड़ा तो है ही पूर्व खिलाडिय़ों और ओलंपियनों की शान का। आज जबकि भारत में विश्व कप होने वाला है तो सभी ओलंपियनों को एकजुट होकर भारतीय हॉकी टीम की मदद करनी चाहिए।
० देश में हॉकी खिलाडिय़ों की हालत के बारे में क्या सोचते हैं?
०० देश में हॉकी खिलाडिय़ों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। हॉकी खिलाडिय़ों को कभी मैच खेलने के पैसे तो दूर खाने के पैसों के लाल पड़ जाते हैं। भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर का ताजा विवाद बहुत बड़ा उदाहरण है।
० छत्तीसगढ़ में हॉकी की क्या स्थिति है?
०० यहां हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई है। आज राजनांदगांव जिसे हॉकी की नर्सरी कहा जाता है, वहां भी मैदान में खिलाड़ी नहीं आते हैं।
० क्या कारण है?
०० छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद जब तक प्रदेश संघ की कमान आरएलएस यादव और पूर्व ओलंपियन एयरमैन बेस्टिन के हाथों में थी, सब ठीक चल रहा था, इसके हटने के बाद प्रदेश में हॉकी की बर्बादी शुरू हो गई जो अब पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। जिन लोगों को हॉकी की कमान दी गई, वे अपना स्वार्थ देखने लगे। हॉकी संघ को छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल से प्रायोजित करके लाखों दिए लेकिन पैसे खिलाडिय़ों पर खर्च होने की बजाए संघ के पदाधिकारियों पर खर्च हुए। अब ऐसे में खेल का कैसे भला हो सकता है।
० हॉकी को राज्य में फिर से जिंदा करने क्या करना होगा?
०० हॉकी संघ की कमान सही हाथों में सौंपी जानी चाहिए। प्रदेश सरकार को भी देखना चाहिए कि हॉकी के लिए क्या हो सकता है। प्रदेश में मैदानों की कमी है, उसे दूर करना होगा।
० शेरा क्लब क्या हॉकी के विकास में फिर से सामने आएगा?
०० हमारे शेरा क्लब में १९७५ से १९९८ तक हॉकी भी होती थी, हमारी टीम कई राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेली है। अब शेरा क्रीड़ा समिति हॉकी का भी एक स्कूल उसी तरह से खोलने जा रहा है जिस तरह से फुटबॉल का स्कूल खोला है।
3 टिप्पणियाँ:
डॉ रमन सिंह को ध्यान देना चाहिये...
ok, thanks
आपके विचारो से सहमत ..... मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाये....
एक टिप्पणी भेजें