क्या कोई लाकेट बीमारी भगा सकता है?
हमारे एक मित्र ने कल अचानक हमसे पूछा कि
क्या तुम्हें दिल की कोई बीमारी है?
हमने कहां- नहीं तो
उसने फिर पूछा- क्या तुम्हें शुगर की बीमारी है?
हमने फिर से कहा कि नहीं तो
उसने फिर पूछा कि और कोई बड़ी बीमारी वाली परेशानी है?
हमने फिर से कहा- नहीं तो
फिर हमने कहा कि अबे लेकिन तू ये सब पूछ क्यों रहा है, क्या अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर बीमारी भगाने के लिए झाड़-फूंक तो नहीं करने लगा है। हमें शक था कि उसको किसी न किसी ने ऐसी टोपी पहना दी है जिसके कारण वह ऐसा सब पूछ रहा है। हमने उससे कहा अबे सीधे-सीधे बता न क्या बात है।
अब यह अपनी बात पर आया और उसने बताया कि उसने एक ऐसा पैंडल यानी लाकेट खरीदा है जिसको पहनने से चार दिनों में ही बीमारी समाप्त हो जाती है। उस लाकेट की कीमत सुनकर तो हमारे होश उड़ गए। वह लाकेट किसी बंदे ने हमारे उस भोले-भाले दोस्त को साढ़े तीन हजार में थमाया था। और हमारे वो भोले सज्जन एक नहीं तीन-तीन लाकेट लेकर आए थे, एक अपने लिए, एक अपनी पत्नी और बच्चों के लिए।
हमने उनको समझाया कि अबे तू कब सुधारेगा और कब तक भोला बने रहेगा। तेरे इसी भोलेपन का लोग फायदा उठाते हैं। अगर किसी लाकेट से कोई बीमारी यूं ही दूर हो जाती तो फिर दुनिया में डॉक्टरों की जरूरत ही नहीं होती और न ही कोई बीमारी होती।
हमारे मित्र जो पैंडल लेकर आए थे, वह भारतीय न होकर जापानी है। इसके बारे में वे तरह-तरह की बातें बता रहे थे। एक काले रंग के धागे में काले से कलर के इस पैडल में उन्होंने चुम्बक होने की भी बात बताई। उन्होंने तो इसे धारण कर लिया है और साथ ही अपनी पत्नी को भी पहना दिया है। अब साढ़े दस हजार का चुना लगा है तो पैंडल तो पहनाना ही है।
सोचने वाली बात है कि क्यों कर अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग भी ऐसी अंध विश्वासी बातों पर यकीन करके हजारों रुपए गंवा देते हैं। क्या कभी ऐसा हो सकता है कि किस लाकेट से कोई बीमारी ठीक हो जाए। क्या आप लोग किसी ऐसे लाकेट के बारे में जानते हैं। वैसे टीवी पर भी कई चैनलों में इस तरह के बकवास विज्ञापन आते हैं जिसके झांसे में लोग फंस ही जाते हैं। इन विज्ञापनों में फिल्मी सितारों के साथ नामी लोगों को दिखाया जाता है। अब कोई भी हमारे मित्र जैसा भोला-भाला इंसान तो ऐसे नामी लोगों को देखकर झांसे में आ ही जाएगा।
ब्लाग बिरादरी के मित्र इस बारे में क्या सोचते हैं, जरूर बताएं।
5 टिप्पणियाँ:
सब जाल फ़ेंको फ़ंसाओ मार्केटिंग है।
चलो एक के और फ़ंसने की सूचना मिली।
ये भी बढिया रही
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बॉस, तीन दिन देखो...काम का लगे तो बताना..यहाँ तो बीपी, मधुमेह हर बात में जबाब हाँ ही मिलेगा... तीन दिन के बदले तीस दिन भी चलेगा...लाकेट केबदले टोपी भी. :)
राज भाई यदि ऐसा ही होता तो जापान के सारे अस्पताल बंद हो चुके होते और उसकी जगह ये पैंडल स्टोर खुल चुके होते , आज के जमाने में इन बातों पर इतना विश्वास हद है यार ,
अजय कुमार झा
विज्ञापक लोग उस्ताद हैं, उन्हें पता है हमारी दुखती रग का पूरा पोस्टल एड्रेस.
इंसानी फितरत .... क्या कहे.
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