एक ब्लागर मित्र आ ही धमके रायपुर
रविवार का ब्लागर मिलन स्थगित होने की वजह से हमने सोचा दूसरा काम कर लिया जाए। ऐसे में हम बाहर चले गए। अचानक संजीव तिवारी जी का फोन आया कि राजकुमार भाई कहां हैं?
हमने कहा कि हम तो बाहर हैं, क्या हो गया?
उधर से संजीव जी ने बताया कि भईया बिलासपुर के एक ब्लागर मित्र अरविंद कुमार झा जी तो रायपुर प्रेस क्लब पहुंच गए हैं, उनको ब्लागर मिलन के स्थगित होने की सूचना नहीं मिल पाई थी। ब्लागरों को सूचना देने का जिम्मा अपने ललित शर्मा जी ने खुद होकर लिया था। वैसे हम भी कभी झा जी से नहीं मिले थे, हमारे पास उनका नंबर भी नहीं था।
हमने झा जी को सूचना कैसे नहीं मिल पाई, यह जानने जब शर्मा जी को फोन लगाया तो उन्होंने बताया कि सूचना तो सभी को एसएमएस के माध्यम से दे दी गई थी। उनका एसएमएस हमें भी मिला था।
उन्होंने कहा कि आपके साथ डॉ. महेश सिन्हा ने भी ब्लागर मिलन के स्थगन पर पोस्ट लगा दी है। ऐसे में कोई गलतफहमी तो नहीं होनी चाहिए थी।
लेकिन गलतफहमी तो हो गई थी। अभी हम ललित शर्मा से बात करके हटे ही थे कि अरविंद कुमार झा जी का फोन आ गया। उनको हमारा नंबर ललित शर्मा जी से मिला था। उन्होंने बताया कि वे रायपुर प्रेस क्लब के बाहर खड़े हैं। हमें बहुत अफसोस हुआ कि हम वहां तक नहीं पहुंच सकते थे। बहरहाल उनसे चर्चा हुई तो उन्होंने कहा कि चलिए कोई बात नहीं हो जाती है भूल-चूक । उन्होंने कहा कि चलिए इस रविवार न सही अगले रविवार मिलते हैं, सभी से मेल मुलाकात हो जाएगी। झा जी का रायपुर आना सार्थक आना नहीं रहा इसका हमें हमेशा अफसोस रहेगा। काश हम रायपुर में होते तो कम से कम हम ही उनसे मिल लेते।
अब अपने झा जी को सूचना नहीं मिल पाई इसके लिए अपना एसएमएस का वह सूचना तंत्र जिम्मेदार है जिसके भरोसे हम लोग रहते हैं। हमने किसी को एसएमएस कर दिया और सोचते हैं कि उनको सूचना मिल गई होगी। खैर यह कोई बहस का मुद्दा नहीं है। हो जाता है।
चलते-चलते अपने संजीत त्रिपाठी जी की भी नाराजगी का उल्लेख करते चले। उन्होंने भी कल हमारा फोन खटखटाया और कहा कि भाई साहब ब्लागर मिलन के स्थगन की सूचना तो दे देते, मैंने अपने अखबार के संपादक के कार्यक्रम को ब्लागर मिलन के कारण छोड़ दिया। संजीत जी ने यह भी कहा कि हम रायपुर में रहते हैं और हमें यहां होने वाले कार्यक्रम की सूचना भिलाई से मिलती है।
खैर जो गलतियां इस बार हुई हैं, अगली बार नहीं होंगी, इसकी उम्मीद करते हैं। और एक बात यह भी कि हम ब्लागर सभी-सभी भाई-भाई हैं हमारे बीच गिले -शिकवे तो हो सकते हैं, पर नाराजगी जैसी बात नहीं होनी चाहिए। गिले-शिकवे तो दूर हो जाते हैं, पर कई बार नाराजगी भारी पड़ जाती है। ऐसे में हमारा सभी ब्लागर मित्रों से आग्रह है कि वे नाराजगी नाम के शब्द को अपने जीवन में आने ही न दें और उसे बाहर का रास्ता दिखाते हुए पहले ही बता दें कि उनके दिल में ऐसे किसी शब्द के लिए नो एंट्री ही है।
सभी गिले-शिकवे हम भूल जाए और इंतजार करें अब अगले रविवार का जिस दिन कम से कम एक दर्जन से भी ज्यादा ब्लागरों के मिलने की आश है।
10 टिप्पणियाँ:
हो जाता है...अगले रविवार का इन्तजार है रिपोर्ट और तस्वीरों के लिए...शुभकामनाएँ.
बड़े-बड़े शहरों की छोटी-छोटी गलियों में ऐसा अक्सर हो जाया करता है ...
आने वाली ब्लॉगर मीट की अग्रिम में शुभकामनाएँ स्वीकार कीजिए
गलतफ़हमियाँ हो जाती हैं, ब्लॉगर मीट के लिये अग्रिम शुभकामनाएँ।
हो जाता है ऐसा कभी कभी
यह सब कार्य एक सामूहिक जिम्मेदारी का है न कि शिकवे शिकायतों का
दरअसल इतनी तरक्की होने के बाद भी कई बार एसएमएस या ईमेल नहीं पहुँचता
हर व्यक्ति की ईमेल या ब्लॉग पढ़ने की फ्रिक्वेन्सी भी अलग अलग होती है . कई लोग तो एसएमएस और ईमेल पढ़ते ही नहीं
मशीन तो मशीन है अटक भी जाती है . कल रात को ही हमारा मोबाइल हैंग हो गया.
आप एक काम और कर सकते थे किसी और से जो रायपुर में था झा जी का संपर्क करवा सकते थे.खैर चलिये आगे से हम सब ध्यान रखें .
ओह!
आगे से इन बातों का ध्यान रखा जाएगा
बी एस पाबला
आदरणीय ललित शर्माजी,राजकुमारजी,तिवारीजी एवं अन्य ब्लोगर वंधुओं,
ऎसी छोटी-छोटी बातें होती रहती है.अगले सप्ताह होनेवाली बैठक स्थल को मैं पहले ही देख आया ,इससे अगली बार मुझे वहां पहुंचने मे आसानी होगी-इसके लिये मैं आप सबका आभारी हूं. कृपया गिले,शिकवे,नरजगी और गलती जैसे शब्दों की चर्चा न करें.
पाबला जी से पहली बार बात हुई और उन्होंने स्थगन की सूचना दी, जो भी हो पाबला जी से बात तो हो गई ।
अब रविवार का इन्तेजार है ।
इंतजार हमें भी है ब्लागर मीट की रपट का। शुभकाननायें!
राज भाई अरविंद भाई इस ब्लोग्गर मीट को लेकर खासे उत्साहित थे , उन्होंने मुझ से भी पूछा था कि मैं भी आ रहा हूं क्या , मैंने उन्हें बता दिया है कि मेरा आना मार्च अप्रैल में होगा । आप सबका स्नेह और साथ उनके लिए मार्गदर्शन का काम करेगा । रविवार के लिए शुभकामनाएं
अजय कुमार झा
होता है भाई, मित्रो के बीच अब कोई गिला-शिकवा नही है.
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