आ गई बंसत ऋतु की बहार
आ गई बंसत ऋतु की बहार
पड़ेगी अब रंगों की फुहार।।
आएगा मस्ती का एक त्यौहार
दिलों से बरसेगा होली के दिन प्यार।।
होली का तो सब करते हैं इंतजार
रंगों से खेलने सब रहते हैं बेकरार ।।
क्या आपको है इस बात से इंकार
तो फिर कैसे जीते हैं आप यार ।।
थोड़ा सा करके देखों तो प्यार
बदल जाएगा तुम्हारा भी संसार ।।
तो चले खोजने कोई दिलदार
जो करे सके उम्र भर प्यार ।।
गर मिल जाए कोई ऐसा दिलदार
तो न छोडऩा उम्र को उसको यार ।।
नोट: बंसत ऋतु की बधाई देने के लिए जब अभी सुबह-सुबह हमने दो लाईनें लिखनी चाही, तो यह पूरी की पूरी कविता ही बन गई, तो पेश है यह कविता। कई सालों बाद फिर से कविता लिखने की तरफ लौटे हैं। सभी ब्लागर मित्रों और पाठकों को बंसत ऋतु की बधाई।
4 टिप्पणियाँ:
बंसत ऋतु की बधाई।
क्या खूब कविता हो गई!!
बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई
बासंती कविता भी खुब है गाई
aap bahut achchha likhte hai
padte hain to vakai lagta hai likhne me gazzab ki mehnat karte hai
प्रदीप जी,
आपको हमारा लिखा पसंद आता है, इसके लिए हम आपके आभारी हैं। आपका ब्लाग देखा तो मालूम हुआ कि आप चुरू के हैं। हम आपको बता दें कि चुरू से हमारा भी गहरा रिश्ता है। हमारी मौसी वहां रहती हैं, हमने भी काफी समय वहां गुजारा है। हम चुरू की होली को कभी भूल नहीं सकते हैं। कभी फिर से मौका मिला तो जरूर आएंगे, वहां आने की काफी समय से तमन्ना है।
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