पांच माह में 200 पोस्ट, 16,050 पाठक, 1991 टिप्पणियां
राजतंत्र पर नियमित रूप से लिखते हुए करीब पांच माह हो गए हैं। यूं तो इस ब्लाग का आगाज फरवरी 2009 के अंत में किया था, पर फरवरी और मार्च में ज्यादा कुछ नहीं लिख सके। अप्रैल से जो नियमित लिखना प्रारंभ किया तो बिना एक दिन का नागा किए लगातार लिख रहे हैं। कल ही हमारे ब्लाग पर पोस्ट का दोहरा शतक यानी 200 पोस्ट पूरी हुई है। इसी के साथ हमें इन पोस्टों के लिए जहां 16,050 पाठक मिले, वहीं हमारे मित्रों से 1991 टिप्पणियों ने नवाजा है। इस बीच हमें ब्लाग बिरादरी के साथ अपने मित्रों का अपार प्यार और स्नेह मिला है। कई बार मित्रों ने यह भी कहा कि यार किस-किस विषय पर बिना वजह लिखते रहते हो, न जाने क्यों लफड़ों में पड़ते रहते हो, पर क्या करें हमें गलत बात पसंद नहीं सो हो जाता है कई बार किसी विषय में लोगों से पंगा। पंगे से याद आया कि वैसे भी ब्लाग जगत में अपना आगाज एक तरह से पंगे से ही हुआ था, जब हमने कपड़ों के लफड़ों पर लिखा था। तब भी हमारे मित्रों और शुभचिंतकों ने कहा कि ये क्या लफड़ा है। हमने उनको समझाया था कि यार यह तो जिंदगी का एक हिस्सा है, जरूरी नहीं है कि जो बातें हमें पसंद न हों उससे सब सहमत हों। वैसे इसे पंगे का नाम देना ही गलत है। इसे एक तरह से स्वस्थ्य बहस का नाम दिया जाना उचित होगा। किसी भी विषय में अगर विचार मेल न खाएं तो उसको पंगे का रूप देना भी नहीं चाहिए, जैसा कि अपनी ब्लाग बिरादरी में कई बार दे दिया जाता है। ब्लाग बिरादरी में भी हमने देखा है कि भारत-पाकिस्तान जैसी स्थिति आ जाती है। लोग सारी सीमाएं पार कर जाते हैं। वास्तव ब्लाग जगत एक परिवार है जिसमें सबको मिलकर रहना है। वैसे भी अपने हिन्दी जगत का ब्लाग परिवार काफी छोटा है। अभी से यह हाल रहा तो आगे न जाने क्या होगा।
बहरहाल हम किसी को कोई नसीहत देना नहीं चाहते हैं। वैसे भी आज-कल देखा जाए तो नसीहत महंगाई की तरह ही महंगी हो गई है, क्यों इसे मुक्त में जाया किए जाए। हमें इतने कम समय में इतने ज्यादा प्यार और स्नेह के साथ मार्गदर्शन के लिए भी हम ब्लाग बिरादरी के मित्रों के साथ अन्य उन मित्रों के भी आभारी हैं जो हमारा ब्लाग नियमित पढ़ते हैं। ब्लाग पढऩे वालों में हमारे कई ऐसे मित्र भी शामिल हैं, जिनको ब्लाग लेखन से कोई मतलब नहीं है लेकिन चूंकि वे हमारे मित्र हैं इसलिए नियमित रूप से न सिर्फ हमारा ब्लाग पढ़ते हैं, बल्कि टिप्पणियां करने के साथ कई बार सुझाव भी देते हैं कि इस विषय पर क्यों नहीं लिखते हैं। हमारे ऐसे मित्र अपने राज्य छत्तीसगढ़ में ही नहीं पूरे देश में हैं, जिनके सुझाव आते हैं जो हमसे लगातार फोन पर भी बात करते हैं। संभवत: यह उनका मार्गदर्शन, सुझाव और प्यार है जिसने हमें इस मुकाम तक पहुंचाया है, हम सभी के तहे दिल से आभारी हैं। हमें आशा ही नहीं विश्वास है कि ऐसा ही प्यार और स्नेह सदा बना रहेगा। इसी आशा के साथ कल तक के लिए विदा लेते हैं। कल फिर मिलेंगे एक नए लेख के साथ।
30 टिप्पणियाँ:
meri or se dher saari badhaaiyaan
बधाई हो गुरु
इसी तरह से धुंआधार लिखते रहे
बहुत बहुत बधई और हार्दिक शुभकामनाऐं.
जल्द ही पोस्ट का तिहरा शतक भी पूरा करें
आप ब्लागिंग पर बहुत श्रम कर रहे हैं। बधाई!
इसी तरह लिखते रहे
वाह!
बहुत बहुत बधाई।
ऐसे ही लिखते रहें। शुभकामनाएँ
… अच्छा, शाम को कब मिलूँ :-))
हा हा
हमारी भी बधाई
बहुत बहुत बधाई...
बधाई हो .....
यूं ही दौड़ाते रहे लेखन एक्सप्रेस को
अच्छा लिखे, उम्दा लिखे यही शुभकामनाएं हैं।
रफ्तार को यूं ही बनाए रखे, बधाई
आपके लेखन का मैं शुरू से कायल हूं।
बहुत बहुत बधाई
हमारी भी बधाई
200 पोस्ट होने की बधाई!
बहुत बहुत बधाई...
बधाई
आपको अपने श्रम का फल मिला है!!
शुभकामनाऎं!!
बहुत बहुत बधाई...
http://burabhala.blogspot.com
बहुत बहुत बधाई...
आसान नहीं होता है लगातार लिखना, आपने बहुत परिश्रम किया है, बधाई और शुभकामनाएं हैं कि ऐसा ही श्रम ब्लाग जगत के लिए करते रहे।
गजब की क्षमता है मित्र आपमें लिखने की। नियमित लेखन के लिए आपको बधाई।
बहुत शानदार रिजल्ट है, लगे रहिए।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बधाई हो बधाई:)
हिन्दी ब्लाग संसार को आप जैसे नियमित लिखने वालों की जरूरत है।
इसी तरह लिखते रहे
अरे वाह
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