चिट्ठा जगत करता है मनमर्जी-और सुनता भी नहीं अर्जी
हमें काफी दिनों से यह लग रहा है कि चिट्ठा जगत जमकर अपनी मनमर्जी कर रहा है। हम ऐसा सीधे तौर पर आरोप लगा रहे हैं तो हवा में नहीं लगा रहे हैं। हमारे साथ कम से कम तीन बार ऐसा हुआ है कि हमारे लेखों की चर्चा दूसरे ब्लागों में होने के बाद भी उन प्रविष्टियों को हमारे हवाले में नहीं जोड़ा गया है। अभी 7 सितंबर को भी एक बार ऐसा किया गया। हमने चिट्ठा जगत का ध्यान ई-मेल करके भी दिलाया है, पर नतीजा शून्य रहा है। यानी सीधे तौर पर यह भी कहा जा सकता है कि चिट्ठा जगत में अर्जी भी नहीं सुनी जाती है। आखिर इसके पीछे क्या कारण हो सकता है ये तो चिट्ठा जगत का संचालन करने वाले ही बता सकते हैं या फिर इसके जानकार लोग क्योंकि हम तो ब्लाग जगत में अभी नवाड़ी है।
बहुत दिनों से सोच रहा था कि आखिर इस पर लिखा जाए या नहीं। लेकिन आखिर कब तक कोई किसी की मनमर्जी को बर्दाश्त कर सकता है। वैसे भी अपने हक के लिए लडऩा गलत नहीं होता है। यहां पर हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें ब्लाग जगत में आए ज्यादा समय नहीं हुआ है, यही कोई आधा साल पहले हम इस बिरादरी में आए हैं। पहले पहल हमें कुछ समझ नहीं आता था कि क्या सक्रियता क्रंमाक होता है और ये कैसे तय होता है। लेकिन जब से इसको जाना है, तब से देख रहे हैं कि चिट्ठा जगत में भी कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है, अब यह गड़बड़ तकनीकी है या फिर जानबूझ कर किसी के साथ ऐसा किया जाता है, यह हम नहीं जानते हैं। पर गड़बड़ तो है। हमें पहली बार इस गड़बड़ी का अंदेशा तब हुआ जब हमारे नक्सलियों पर लिखे एक लेख का उल्लेख संजीव तिवारी जी ने अपने ब्लाग आरंभ में किया। इस उल्लेख के बाद न तो हमारे ब्लाग का हवाला बढ़ाया गया और न ही इस प्रविष्टी को जोड़ा गया। हमने इसके बारे में चिट्ठा जगत में ई-मेल करके जानकारी दी, पर फिर भी कुछ नहीं किया गया।
हमारे गब्बर सिंह वाले लेख की चर्चा जब एक ही दिन में दो ब्लागों - झा जी कहिन और चिट्ठा चर्चा में हुई तो झा जी की प्रविष्टी को तो शामिल किया गया, पर अनूप शुक्ल जी द्वारा की गई चर्चा की प्रविष्टी को शामिल नहीं किया गया। हमने फिर से चिट्ठा जगत का ध्यान दिलाया तो इस बार हमसे हमारे ब्लाग का और उस लेख का पता मांगा गया, हमने पता मेल किया, फिर भी कुछ नहीं किया गया। अब चार दिनों पर पहले 7 सितंबर को हमारे एक लेख का उल्लेख दि संडे पोस्ट में हुआ तो बीएस पाबला जी ने अपने ब्लाग प्रिंट मीडिया पर ब्लागचर्चा में किया। इस प्रविष्टी को भी शामिल नहीं किया गया। ये तीन हादसे तो हमें याद हैं जिनके बारे में हम जानते हैं, इसके अलावा और भी ऐसे हादसे हो सकते हैं जिनके बारे में हम नहीं जानते हैं।
अब हम अपनी ब्लाग बिरादरी से ही पूछना चाहते हैं कि इसको आखिर मनमर्जी की संज्ञा दी जाए, बेईमानी कहा जाए या फिर कुछ और कहा जाए। आज हमें भी न जाने क्यों काफी समय पहले एक ब्लागर मित्र द्वारा लिखे एक लेख की याद आ रही है कि ब्लाग जगत में भी मठाधीशों की कमी नहीं है। क्या कोई ऐसा मठाधीश है जो यह नहीं चाहता है कि राजतंत्र आगे बढ़े। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि राजतंत्र ने महज पांच माह में ही आज सक्रियता में 80 वां स्थान प्राप्त कर लिया है। अगर हमारी तीन प्रविष्टियां को और शामिल किया जाता है तो यह और आगे होता। चिट्ठा जगत वालों को जवाब देना चाहिए कि आखिर क्यों कर किसी ब्लागर की प्रविष्टियां इस तरह से गायब हो जाती हैं, अगर कोई तकनीकी कमजोरी है तो उसे दूर किया जाना चाहिए। हम भी जानते हैं कि दस हजार से ज्यादा चिट्ठों के संचालन में गलती हो सकती है, लेकिन गलती लगातार और बार-बार नहीं होती है जैसा हमारे साथ हुआ है। जैसा हमारे साथ हुआ है संभव है और ब्लागरों के साथ भी हुआ हो। हमारी बस इतनी गुजारिश है कि इस तरफ गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। ताकि किसी को शिकायत का मौका न मिले।
22 टिप्पणियाँ:
मठाधीश कहां नहीं हैं मित्र, आगे बढऩे वालों के साथ सदा से अन्याय होते रहा है। जिनके बस में जितना होता है आगे बढऩे वालों को रोकने का प्रयास किया जाता है।
सक्रियता क्रमांक का आपने जिक्र किया, हम भी इसे समझ नहीं पा रहे हैं। कृपया हमें भी बताएं कि हम अपना सक्रियता क्रमांक कैसे जाने?
"अब हम अपनी ब्लाग बिरादरी से ही पूछना चाहते हैं कि इसको आखिर मनमर्जी की संज्ञा दी जाए, बेईमानी कहा जाए या फिर कुछ और कहा जाए। "
sir back link (hawale), is as automated process(that's what i think). and may be due to some system glitch or sometimes due to link not addad correctly in the concerned post this could happen. and chittha jagat has a big database so it's impossible for them to update each and every link manually.
however, yes , there should be kind of help desk wich can add atleast notified 'hawale' of blog which are notified to them by the blogger via email or other resources.
but again i can't see any 'advertisment ' or any earning resources for chittha jagat so wonnder if they can afford any help desk or not.
Dr. Smt. ajit gupta
चिट्ठा जगत में जाकर औजार बनाए वाले खाली स्थान में अपने ब्लाग का यूआरएल पता डाल दें इससे आपका सक्रियता क्रमांक मालूम हो जाएगा। आप इस क्रमांक का एचटीएमएल कोड लेकर अपने ब्लाग में इसको प्रदर्शित कर सकती है ।
आप तो मित्र बस लिखते रहे। आपकी प्रतिभा के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता है। सच में पांच माह में आपने जितने परिश्रम किया है, वह काबिले दाद है।
क्या गजब की नजरें है गुरु
चल चला चल राजतंत्र, चल चला चल
चल चला चल राजतंत्र, चल चला चल
मेरे भी तीन चार हवाले दिखाई नहीं दे रहे .. इसके बारे में मैं भी सोंच ही रही थी .. पर मुझे लगा कि कुछ अंतराल पर वे करते होंगे .. इस महीने के शुरूआत होते आशा बंधी थी .. पर आज ग्यारह तारीख हो गयी तो समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है .. आपने अच्दे मुद्दे पर पोस्ट लिखा !!
अरे भाई! आप तो हिसाब किताब मे पक्के निकले! हमने तो कभी चिठाजगत वालो के चोपडे ही नही मिलाऎ, अब हमने भी अपने मुनिमजी से कह दिया है की चिठाजगत का पुरा लेखा जोखा बारिकी से देखे! वैसे भी ब्लोग एग्रिगेटरो मे जब तक इजाफ़ा नही होगा क्वालेटी पर बिना प्रतिसपर्धा के सुघार सम्भव नही है.
हेपी ब्लोगिग ♥♥♥♥♥♥
भारतीय रिजर्व बैक के सिक्के पर यह किस प्रसिद्ध हिन्दी ब्लोगर का फोटू है।
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
शुरूवाती दिनों में मैं भी अपने हवाले को जोड़ा करता था.. मेरा क्रमांक 300 से भी नीचे था.. और मेरे भी कई हवालों को नहीं जोड़ा गया था.. मैंने कभी किसी को ना तो मेल किया और ना ही सही हवाले की जानकारी दी.. अब जबकी मेरा चिट्ठा चिट्ठाजगत में टॉप 35-40 मे दिखता है, मेरे ट्रैफिक पर कुछ भी असर नहीं हुआ.. और अब मैं इन सबसे कुछ मतलब नहीं रखता हूं कि चिट्ठाजगत में मेरा क्रमांक क्या है और ना ही कोई फर्क पड़ता है?
कुल मिलाकर अपने अनुभव पर आधारित बात कहूं तो, ये क्रमांक एक मृगतृष्णा से कम नहीं है.. और ना ही चिट्ठाजगत वालों को किसी से कोई दुश्मनी है.. ये सब तकनिकी समस्या से ज्यादा और कुछ नहीं है..
लेख सुन्दर है. आपकी चिंता जायज है. इतने कम समय में आपने जो रैंक हासिल किया है, वह अतुलनीय है. चिट्ठाजगत को आपकी शिकायत सुननी चाहिए.
कहिये तो एक दिन की की-बोर्ड हड़ताल कर दिया जाय....:-)
आप अपने कंटेंट पर ध्यान दीजिए। चिट्ठाजगत, ब्लागवाणी या दूसरे एग्रीगेटरों का बहुत जल्दी हिन्दी चिट्ठाकारी में महत्वहीन होते जाना अवश्यंभावी है।
आप तो बस लिखते रहें - हम पढ़ते रहें, हमें इतने से ही संतोष है । द्विवेदी जी की बात बहुत ध्यान देने वाली है, और मृगतृष्णा तो यह है ही ।
दिनेश जी ने सही कहा है "आप अपने कंटेंट पर ध्यान दीजिए।" चिट्ठाजगत व ब्लोग्वानी से कितने पाठक आते है ? इन दोनों साइट्स का इस्तेमाल सिर्फ हम ब्लोगर लोग ही करते है जबकि असली पाठक तो गूगल से आते है अतः चिट्ठाजगत रेंक की बजाए गूगल पर ध्यान दीजिए अपनी अलेक्सा रेंक सुधारिए और गूगल सर्च में आपका ब्लॉग पहले नंबर आये उसका जतन कीजिए |
चिट्ठाजगत में हो सकता है कोई तकनीकी कमी हो जिसके चलते एसा हो रहा है और ये सब आपके साथ ही नहीं लगभग सभी के साथ हो रहा है |
मित्र. द्विवेदी जी जी की सलाह पर ध्यान दे. भाई रेंकिंग से कुछ नहीं होता तकनीकी त्रुटी भी हो सकती है ..अपने लेखन को प्रभावशाली बनाने की दिशा में निरंतर ध्यान दे. आप अच्छा लिख रहे है .
दिनेशजी से सहमत, मैं भी कभी इन पर ध्यान नहीं देता, कर्म कीजिये फ़ल अपने आप मिल जायेगा।
हो सकता है कि तकनीकी समस्या भी हो।
मेरा ब्लाग आपको नहीं दिखाई देता है .. तो फोलोवर बनकर देखें .. ऐसे में कई लोगों की समस्या दूर हो गई है !!
शुरूवाती दिनों में मैं भी अपने हवाले को जोड़ा करता था
ये हवाला रेकेट क्या है जी? :)
तू बस अपना काम किए जा
तरे हर पीर हरेंगे राम:-)
इसको आखिर मनमर्जी की संज्ञा दी जाए, बेईमानी कहा जाए या फिर कुछ और कहा जाए
-तकनीकी समस्या की भी संभावना जोड़ दें तो बेहतर.
चिट्ठाजगत या ब्लॉगवाणी-ये बिना किसी प्रोफिट के हिन्दी ब्लॉगजगत की सेवा में लगे हैं, ऐसे में हेल्प डेस्क का सुझाव? क्या संभव है?
-मेरा अनुभव तो कहता है कि भरसक समस्याओं पर ध्यान दिया जाता है और निराकरण भी यथा संभव किया जाता है.
-आपने चिट्ठाजगत से क्या पत्राचार किया (भले ही जबाब न आया हो) वो अगर भेजें, तो समस्या को पुनः नजर में लाकर निराकरण का प्रयास किया जा सकता है.
-मनमर्जी का आरोप उचित नहीं प्रतीत होता ऐसी संस्थाओं के लिए हालांकि वो ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं.
मैं किसी का प्रवक्ता नहीं, बस अपने अनुभव के आधार पर आपसे बात कर रहा हूँ.
विचारियेगा.
चिट्ठा जगत वालों को इस बात का खुलासा करना चाहिए कि क्यों ऐसी गलती हो रही है।
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