किराया बचाकर किस पर अहसान कर रहे हैं मंत्री- दम है तो हटाए सुरक्षा में लगे अपने संतरी
देश में सुखे की स्थिति की दुहाई देते हुए केन्द्रीय मंत्री अब सामान्य श्रेणी में यात्रा करने लगे हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी सहित जहां कई मंत्री ऐसा करने लगे हैं, वहीं कई मंत्रियों को यह बात रास नहीं आ रही है। सोचने वाली बात यह है कि आखिर ये मंत्री किराया बचा कर किस पर अहसान कर रहे हैं। इन मंत्रियों को जनता को बेवकूफ बनाना बंद करना चाहिए। जनता सब समझती है। अगर सच में इन मंत्रियों को देश और जनता की इतनी ही फिक्र है और इनमें दम तो क्यों नहीं हटा देते अपनी सुरक्षा में लगे उन संतरियों को जिनके कारण जहां देश के पैसों की बर्बादी होती है, वहीं उनके लंबे चौड़े काफिले से आम जनता हलाकान होती है।
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने मंत्रियों और सांसदों को सादगी में रहने का फरमान जारी किया है, उससे कई मंत्री और सांसद खफा हैं। खफा इसलिए हैं क्योंकि इनको मुक्त में ऐश करने की आदत जो पड़ गई है। अब जिसको मुफ्त की घी की रोटी खाने की आदत पड़ी हो उसको अगर चिमटे वाली रोटी खाने के लिए कहा जाएगा तो यह रोटी कैसे उनके गले उतरेगी। यही हालत अपने मंत्रियों और सांसदों की हो गई है। अब ऐसे में वित्त मंत्री ने इनके सामने मिसाल पेश करने के लिए सबसे पहले खुद ही सामान्य श्रेणी में हवाई यात्रा करके दिखाई। आपकी यह मिसाल काबिले तारीफ है प्रणब जी। लेकिन क्या आप में इतना दम है कि आप सच में यह बता सके कि आप जनता के सच्चे हितैषी हैं। अगर दम है तो फिर कल से ही अपनी सुरक्षा में लगे उन सारे संतरियों को भी हटाने का काम करें जिनके कारण आम जनता को लगातार परेशानी होती है। इसी के साथ देश का पैसा भी बर्बाद होता है। प्रणब जी ऐसा करके एक मिसाल कायम करें और देश के सारे मंत्रियों के लिए भी यह फरमान जारी किया जाए कि अब किसी भी मंत्री को ज्यादा सुरक्षा नहीं दी जाएगी।
यह बात जग जाहिर है कि अपने देश का बहुत ज्यादा धन मंत्रियों की सुरक्षा में खर्च होता है। धन तो खर्च होता है सो होता है, पर सबसे ज्यादा मुसीबत तब आती है जब इनका काफिले किसी शहर में जाता है और इस काफिले के कारण सारे रास्ते जाम हो जाते हैं। जब तक आम जनता परेशान होती रहेगी तब तक किराया बचाने का कितना भी बड़ा नाटक ये मंत्री कर लें जनता पर इसका कोई असर होने वाला नहीं है। देश के संकट का हवाला देकर कब तक नेता ऐसे नाटक नहीं रहेंगे। देश को बेचने का काम भी तो यही करते हैं। देश और विदेशों से चाहे किसी भी मंत्रालय के लिए कोई भी खरीदी की जाए बिना दलाली के कोई खरीदी होती नहीं है। ऐसी दलाली करने वाले थोड़ा का किराया बचाकर किस पर अहसान कर रहे हैं। क्या ये मंत्री भ्रष्टाचार न करने की कसम खा सकते हैं? ऐसा ये कभी नहीं करने वाले हैं। तो फिर किराया बचाने का नाटक किस लिए? अब जनता उतनी बेवकूफ नहीं रही है कि आप उसको आसानी से बेवकूफ बना सके। जनता भी समझती है कि ये राजनीति के चौचले हैं और सस्ती लोकप्रियता पाने का फार्मूला है। यह एक कड़वी सच्चाई है कि देश की गरीब जनता की चिंता न तो इन नेता और मंत्रियों को कभी रही है और न कभी रहेगी।
आज जब सूखे की बात पर किराया बचाने का ढोंग किया जा रहा है तो ऐसे में हमें कादर खान की एक फिल्म का एक दृश्य याद आ रहा है जिसमें वे एक नेता रहते हैं। वे अपने पीए से कहते हैं कि देश में आई बाढ़ का मुआयना करने अगर मंत्री जी ट्रेन से जाए तो अखबारों में हमारा बयान देना कि जब लोग बाढ़ से मर रहे हैं तो मंत्री जी टे्रन से जाकर समय खराब कर रहे हैं और अगर वे हेलीकाप्टर से जाते हैं तो बयान देना कि लोग बाढ़ से मर रहे हैं ऐसे में मंत्री जी को हेलीकाप्टर से जाने की सुझ रही है और वे देश का पैसा बर्बाद कर रहे हैं। हमारे आज के मंत्री बिलकुल कादर खान के उसी किरदार से मिलते-जुलते लगते हैं। इनको बस एक-दूसरे की टांग खींचने और अपने घर से भरने से फुर्सत नहीं है तो ये जनता के बारे में क्या सोचेंगे। जनता तो बेचारी हमेशा से गरीब की लुगाई रहेगी है और रहेगी।
7 टिप्पणियाँ:
सुरक्षा का लाव-लश्वर लेकर चलने वाले नेता-मंत्री कैसे इसमें कमी कर सकते हैं। यह तो उनकी शान का प्रतीक है।
मंत्रियों की सुरक्षा को लेकर जनता हमेशा परेशान होती है, सोनिया जी को जनता की सच में चिंता है तो सुरक्षा के खर्च में कटौती की जाए।
कादर खान की फिल्म का उदाहरण बिलकुल सटीक दिया है, आज के मंत्री सच में ऐसे ही हैं।
जनता को मुर्ख समझने की गलती करने वाली सरकार की दाल अब नहीं गलती है
कांग्रेस सरकार न जाने क्या जताना चाह रही है, कहीं न नगरीय निकाय चुनावों में जनता को लुभाने का हथकंडा तो नहीं है।
में भी यही विचार रखता हूँ कि आवश्यक समझे जाने पर नेताओं कि पार्टी को उनकी सुरक्षा करनी चाहिए और जो लोग संपन्न हैं उन्हें उनकी कीमत पर सुरक्षा मिलनी चाहिए पर जो लोग इनमें से किसी भी श्रेणी में नहीं आते उन्हें ही सुरक्षा सरकारी खर्चे पर मिलनी चाहिए
नाटक करना तो मंत्रियों से सीखें
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