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सोमवार, सितंबर 14, 2009

किराया बचाकर किस पर अहसान कर रहे हैं मंत्री- दम है तो हटाए सुरक्षा में लगे अपने संतरी

देश में सुखे की स्थिति की दुहाई देते हुए केन्द्रीय मंत्री अब सामान्य श्रेणी में यात्रा करने लगे हैं। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी सहित जहां कई मंत्री ऐसा करने लगे हैं, वहीं कई मंत्रियों को यह बात रास नहीं आ रही है। सोचने वाली बात यह है कि आखिर ये मंत्री किराया बचा कर किस पर अहसान कर रहे हैं। इन मंत्रियों को जनता को बेवकूफ बनाना बंद करना चाहिए। जनता सब समझती है। अगर सच में इन मंत्रियों को देश और जनता की इतनी ही फिक्र है और इनमें दम तो क्यों नहीं हटा देते अपनी सुरक्षा में लगे उन संतरियों को जिनके कारण जहां देश के पैसों की बर्बादी होती है, वहीं उनके लंबे चौड़े काफिले से आम जनता हलाकान होती है।

केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने मंत्रियों और सांसदों को सादगी में रहने का फरमान जारी किया है, उससे कई मंत्री और सांसद खफा हैं। खफा इसलिए हैं क्योंकि इनको मुक्त में ऐश करने की आदत जो पड़ गई है। अब जिसको मुफ्त की घी की रोटी खाने की आदत पड़ी हो उसको अगर चिमटे वाली रोटी खाने के लिए कहा जाएगा तो यह रोटी कैसे उनके गले उतरेगी। यही हालत अपने मंत्रियों और सांसदों की हो गई है। अब ऐसे में वित्त मंत्री ने इनके सामने मिसाल पेश करने के लिए सबसे पहले खुद ही सामान्य श्रेणी में हवाई यात्रा करके दिखाई। आपकी यह मिसाल काबिले तारीफ है प्रणब जी। लेकिन क्या आप में इतना दम है कि आप सच में यह बता सके कि आप जनता के सच्चे हितैषी हैं। अगर दम है तो फिर कल से ही अपनी सुरक्षा में लगे उन सारे संतरियों को भी हटाने का काम करें जिनके कारण आम जनता को लगातार परेशानी होती है। इसी के साथ देश का पैसा भी बर्बाद होता है। प्रणब जी ऐसा करके एक मिसाल कायम करें और देश के सारे मंत्रियों के लिए भी यह फरमान जारी किया जाए कि अब किसी भी मंत्री को ज्यादा सुरक्षा नहीं दी जाएगी।

यह बात जग जाहिर है कि अपने देश का बहुत ज्यादा धन मंत्रियों की सुरक्षा में खर्च होता है। धन तो खर्च होता है सो होता है, पर सबसे ज्यादा मुसीबत तब आती है जब इनका काफिले किसी शहर में जाता है और इस काफिले के कारण सारे रास्ते जाम हो जाते हैं। जब तक आम जनता परेशान होती रहेगी तब तक किराया बचाने का कितना भी बड़ा नाटक ये मंत्री कर लें जनता पर इसका कोई असर होने वाला नहीं है। देश के संकट का हवाला देकर कब तक नेता ऐसे नाटक नहीं रहेंगे। देश को बेचने का काम भी तो यही करते हैं। देश और विदेशों से चाहे किसी भी मंत्रालय के लिए कोई भी खरीदी की जाए बिना दलाली के कोई खरीदी होती नहीं है। ऐसी दलाली करने वाले थोड़ा का किराया बचाकर किस पर अहसान कर रहे हैं। क्या ये मंत्री भ्रष्टाचार न करने की कसम खा सकते हैं? ऐसा ये कभी नहीं करने वाले हैं। तो फिर किराया बचाने का नाटक किस लिए? अब जनता उतनी बेवकूफ नहीं रही है कि आप उसको आसानी से बेवकूफ बना सके। जनता भी समझती है कि ये राजनीति के चौचले हैं और सस्ती लोकप्रियता पाने का फार्मूला है। यह एक कड़वी सच्चाई है कि देश की गरीब जनता की चिंता न तो इन नेता और मंत्रियों को कभी रही है और न कभी रहेगी।

आज जब सूखे की बात पर किराया बचाने का ढोंग किया जा रहा है तो ऐसे में हमें कादर खान की एक फिल्म का एक दृश्य याद आ रहा है जिसमें वे एक नेता रहते हैं। वे अपने पीए से कहते हैं कि देश में आई बाढ़ का मुआयना करने अगर मंत्री जी ट्रेन से जाए तो अखबारों में हमारा बयान देना कि जब लोग बाढ़ से मर रहे हैं तो मंत्री जी टे्रन से जाकर समय खराब कर रहे हैं और अगर वे हेलीकाप्टर से जाते हैं तो बयान देना कि लोग बाढ़ से मर रहे हैं ऐसे में मंत्री जी को हेलीकाप्टर से जाने की सुझ रही है और वे देश का पैसा बर्बाद कर रहे हैं। हमारे आज के मंत्री बिलकुल कादर खान के उसी किरदार से मिलते-जुलते लगते हैं। इनको बस एक-दूसरे की टांग खींचने और अपने घर से भरने से फुर्सत नहीं है तो ये जनता के बारे में क्या सोचेंगे। जनता तो बेचारी हमेशा से गरीब की लुगाई रहेगी है और रहेगी।

7 टिप्पणियाँ:

Unknown सोम सित॰ 14, 08:46:00 am 2009  

सुरक्षा का लाव-लश्वर लेकर चलने वाले नेता-मंत्री कैसे इसमें कमी कर सकते हैं। यह तो उनकी शान का प्रतीक है।

Unknown सोम सित॰ 14, 08:53:00 am 2009  

मंत्रियों की सुरक्षा को लेकर जनता हमेशा परेशान होती है, सोनिया जी को जनता की सच में चिंता है तो सुरक्षा के खर्च में कटौती की जाए।

asif ali,  सोम सित॰ 14, 09:07:00 am 2009  

कादर खान की फिल्म का उदाहरण बिलकुल सटीक दिया है, आज के मंत्री सच में ऐसे ही हैं।

Unknown सोम सित॰ 14, 09:59:00 am 2009  

जनता को मुर्ख समझने की गलती करने वाली सरकार की दाल अब नहीं गलती है

Unknown सोम सित॰ 14, 01:22:00 pm 2009  

कांग्रेस सरकार न जाने क्या जताना चाह रही है, कहीं न नगरीय निकाय चुनावों में जनता को लुभाने का हथकंडा तो नहीं है।

वीरेन्द्र जैन सोम सित॰ 14, 09:55:00 pm 2009  

में भी यही विचार रखता हूँ कि आवश्यक समझे जाने पर नेताओं कि पार्टी को उनकी सुरक्षा करनी चाहिए और जो लोग संपन्न हैं उन्हें उनकी कीमत पर सुरक्षा मिलनी चाहिए पर जो लोग इनमें से किसी भी श्रेणी में नहीं आते उन्हें ही सुरक्षा सरकारी खर्चे पर मिलनी चाहिए

nilam sona,  मंगल सित॰ 15, 12:23:00 am 2009  

नाटक करना तो मंत्रियों से सीखें

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