छत्तीसगढ़ के खेलों में डालना जान-श्रीकांत अयगर का अरमान
भारतीय हॉकी टीम के फिजियोथेरेपिस्ट
से विशेष बातचीत
भारतीय हॉकी टीम के खिलाडिय़ों को फिटनेस में माहिर करने वाले फिजियोथेरेपिस्ट रायपुर के श्रीकांत अयगर का अब अरमान है कि वह अपने राज्य छत्तीसगढ़ के खेलों में भी जान डालने का काम करें। उनको जब भी मौका मिलता है वे रायपुर आते हैं, पर यहां आने के बाद उनको खाली बैठना पड़ता है जो उनको पसंद नहीं है। इसलिए वे चाहते हैं कि उनकी मदद जो भी खेल संघ लेना चाहते हैं ले सकते हैं। उनकी इस मंशा को देखते हुए ही खेल संचालक ने सभी खेल संघों को पत्र लिखने की बात कही है।
भारतीय टीम के कनाडा दौरे से पहले रायपुर आए श्रीकांत ने यहां पर खेल भवन में चर्चा करते हुए कहा कि वे जब भी रायपुर आते हैं तो वे यहां पर खेल संचालक जीपी सिंह से जरूर मिलने आते हैं। उन्होंने बताया कि वे चाहते हैं कि अपने राज्य के खिलाडिय़ों के लिए भी कुछ करें। वे पूछने पर बताते हैं कि पिछले दो साल से वे भारतीय हॉकी टीम के फिजियो के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने टीम के कप्तान संदीप ङ्क्षसह के साथ दिलीप तिर्की, प्रभाजोत सिंह सहित सभी उन खिलाडिय़ों को फिटनेस में माहिर किया है जो दो साल से भारतीय हॉकी टीम से खेल रहे हैं। इस समय छत्तीसगढ़ का एक और खेल सितारा मृणाल चौबे भी भारतीय टीम के साथ है। श्रीकांत बताते हैं उनको अपने राज्य के मृणाल को हॉकी टीम में देखकर अच्छा लगा। वैसे वे भारत की जूनियर टीम को भी तैयार करने का काम करते हैं। पूछने पर वे बताते हैं कि उनका भारतीय टीम के साथ २०१० की एशियन चैंपियनशिप तक अनुबंध है। इस बीच टीम को जहां अगले साल दिल्ली में होने वाले विश्व कप में खेलना है, वहीं टीम दिल्ली में होने वाले कामनवेल्थ में भी खेलेगी। एक सवाल के जवाब में बताते हैं कि टीम की सबसे बड़ी समस्या यह है कि सीनियर टीम के खिलाडिय़ों के घायल होने की दशा में टीम को फिट बेक नहीं मिल पाता। मेरे कहने का मतलब है कि टीम के पास अतिरिक्त खिलाडिय़ों की कमी है। हॉकी संघ ने फैसला किया है कि जूनियर टीम के ज्यादा खिलाडिय़ों को अब मौका दिया जाएगा। इसी रणनीति के तहत ही मृणाल चौबे को भी मौका मिला है।
छत्तीसगढ़ में एस्ट्रो टर्फ जरूरी
वे पूछने पर कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में हॉकी को सही दिशा देने के लिए ज्यादा से ज्यादा एस्ट्रो टर्फ लगाने चाहिए। वे बताते हैं कि कई देशों में गए हैं और वहां देखा है कि क्लबों के पास भी अपने एस्ट्रो टर्फ रहते हैं। वे पूछने पर बताते हैं कि वे मूलत: रायपुर के हैं और उनकी शिक्षा यही हुई है। यहां पर वे सालेम स्कूल में पढ़े हैं और राज्य स्तर तक क्रिकेट खेलने के साथ वे स्कूल की टीम से फुटबॉल भी खेले हैं। वे कहते हैं कि आज जबकि वे भारतीय हॉकी टीम के खिलाडिय़ों को फिटनेस के गुर सिखाते हैं तो उनको लगता है कि वे अपने राज्य के खिलाडिय़ों को भी ऐसा कुछ बताएं जिससे वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य का नाम रौशन कर सके। वे बताते हैं कि वे यहां पर १०-१५ दिनों के लिए आते हैं तो खाली रहते हैं। ऐसे में वे सोचते हैं जब भी वे आया आएं तो उनके आने का फायदा किस भी खेल के खिलाड़ी ले सकते हैं। श्रीकांत की इसी मंशा को ध्यान में रखते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने श्रीकांत की सेवाएं लेने के लिए प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ सभी खेल संघों को पत्र लिखने की बात कही है।
5 टिप्पणियाँ:
अपने ही राज्य छत्तीसगढ़ में आपका स्वागत है श्रीकांत जी।
खेलों में जमाना फिटनेस का है, और फिटनेस गुरु की मदद लेने में देर क्यों गुरु
खेलों का विकास तो किया ही जाना चाहिए .. इस क्षेत्र में बहुत पीछे हैं हम !!
अपने से मदद करने वाले मिलते कहां है, सभी को मदद के लिए लपक पडऩा चाहिए
ऐसे फिजियो का फायदा उठाने के लिए हर खेल संघ को आगे आना चाहिए।
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