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गुरुवार, सितंबर 17, 2009

मद्रासी ने किया क्रिकेट का आपरेशन

एक मद्रासी भाई काफी गुस्से में चले जा रहे थे, एक मित्र मिला और पूछा अन्ना इतने गुस्से में क्यों हो यार? आखिर क्या बात है?

अन्ना बोला- अरे गुस्सा, मेरे को बहुत-बहुत गुस्सा, लीमिट के बाहर गुस्सा।

मित्र बोला- लेकिन बात क्या है?

अन्ना- अरे बाबा वानखेड़े स्टेडियम में कोई क्रिकेट-फिरकेट है बोला, सोचा चलो साला हम भी जाकर देखे, ये क्रिकेट-फिरकेट क्या है जिसके पीछे दुनिया पागल है। साला हम दो सौ रुपए का टिकट लेकर गया। सारा पैसा पानी में गया साला।

मित्र बोला- आखिर हुआ क्या?

अन्ना- हुआ क्या, होना क्या है, वहां जाकर देखा इतने बड़े मैदान में तीन लकड़ी ये बाजू-तीन लकड़ी वो बाजू, हम बोला साला ये छह लकड़ी देखने को इतने पब्लिक आता है, साला हमारे घर में आकर देखों यार कितना लकड़ी है।

मित्र बोला- फिर क्या हुआ?

अन्ना- फिर क्या, हम सोचा यार यहां कोई क्रिकेट-फिरकेट नहीं है ये लकड़ी देखने को पागल पब्लिक आया है, हम सोचा चलो यार घर चलते हैं। तभी पब्लिक जोर-जोर से चिल्लाया आया.. आया.... आया..। हमने देखा को सामने वाली बिल्डिंग से दो डॉक्टर (अंपायर सफेद कोट पहने हुए रहते हैं, अन्ना उनको डॉक्टर समझते हैं) आया। दोनों डॉक्टर लकड़ी के आजू-बाजू में घुमा। फिर सामने वाला बिल्डिंग से दो आदमी (दोनों टीमें के कप्तान) आया वो भी लकड़ी के आजू-बाजू में घुमा। एक डॉक्टर ने दोनों आदमी से बात किया और खीसे से एक सिक्का निकाला और आसमान में उछाल दिया। दूसरा डॉक्टर साला पक्का चोर सिक्का उठाकर अपने खीसे में रख लिया।

थोड़ी देर बाद फिर पब्लिक चिल्लाया.. आया... आया....। हमने सोचा अब कौन आया रे.. क्या देखता है सामने वाला बिल्डिंग से 10-12 वार्ड बॉय आया और लकड़ी के चारों तरफ मैदान में खड़े हो गया। हमारे समझ में कुछ नहीं आया, सोचा बाबा पागल दुनिया ये क्या क्रिकेट है ये बाबा।

इतने में फिर से पब्लिक जोर-जोर से चिल्लाया आया.. आया.. आया..। इस बार लड़की लोग भी चिल्लाया। हमने सोचा यार इसी बारी जरूर अमिताभ बच्चन आया होगा।

हमने देखा सामने वाला बिल्डिंग से दो पेसेंट पैर में ब्लास्टर बांध कर लकड़ी टेकते हुए आया (बल्लेबाज पेड बांध कर बल्ला लेकर आए)। हमने सोचा यार यहां क्रिकेट -फिरकेट कुछ नहीं होगा यहां साला किसी का आपरेशन होगा और हम वापस आ गया है, फोकट में साला दो सौ रुपए टिकट का गया यार। बाबा पागल दुनिया क्रिकेट के पीछे भगाता है। इतने बड़े मैदान में आपरेशन देखने जाता है टिकट लेकर।

नोट: यह एक जोक है जिसे हमने काफी पहले जानी लीवर से सुना था। उनका यह जोक आज भी काफी पसंद किया जाता, हमने सोचा चलो लोगों का मुड आज मस्त कर दिया जाए। वैसे इसको जानी लीवर की आवाज में सुनने का मजा अलग है, कहीं मिले तो जरूर सुनिएगा।

6 टिप्पणियाँ:

Unknown गुरु सित॰ 17, 08:52:00 am 2009  

तीन लकड़ी ये बाजू-तीन लकड़ी वो बाजू, हम बोला साला ये छह लकड़ी देखने को इतने पब्लिक आता है, साला हमारे घर में आकर देखों यार कितना लकड़ी है।
क्या बात है, हंसी के मारे बुरा हाल हो गया

shokat ali,  गुरु सित॰ 17, 09:21:00 am 2009  

जानी लीवर का यह जोक मैंने भी काफी पहले सुना था, उनकी आवाज में सुुनने का मजा ही कुछ और है। इस जोक को याद दिलाने के लिए धन्यवाद।

Unknown गुरु सित॰ 17, 09:33:00 am 2009  

क्रिकेट की तो वाट लगा दी मद्रासी भाई ने

guru गुरु सित॰ 17, 10:22:00 am 2009  

मजेदार जोक है गुरु

Unknown गुरु सित॰ 17, 03:15:00 pm 2009  

अरे यार अब तक कहां छुपा रखा था इसे

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