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शनिवार, सितंबर 12, 2009

सरकारी कबड्डी में भी चंदा उगाही

खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सरकारी कबड्डी के आयोजन में ही कबड्डी संघ द्वारा चंदा लिए जाने का मामला सामने आया है। इस मामले में खेल विभाग ने ३ लाख ७० का खर्च किया, इसके बाद भी कबड्डी संघ ने करीब दो लाख का चंदा किया है। इस बारे में कबड्डी संघ के महासचिव रामबिसाल साहू कबूल भी करते हैं कि चंदा लिया गया। उनका कहना है कि चंदा नहीं लेते तो व्यक्तिगत पुरस्कार नहीं दे पाते। इसी के साथ और कई तरह के खर्च होते हंै जिन खर्चों के लिए खेल विभाग पैसे नहीं देता है। इस मामले को खेल संचालक जीपी सिंह ने गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच करवाने की बात कही है।

प्रदेश के खेल विभाग ने प्रदेश कबड्डी संघ के सहयोग से कुरूद में सब जूनियर बालक-बालिका कबड्डी का आयोजन ४ से ६ सितंबर तक किया। इस आयोजन में यह बात सामने आई है कि कुरूद में व्यापारियों से ११ हजार से लेकर २५ हजार और ५० हजार का चंदा लिया गया है। सरकारी आयोजन में जब चंदे की बात हरिभूमि को मालूम हुई तो इस बारे में जानने जब प्रदेश कबड्डी संघ के महासचिव रामबिसाल साहू से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बात को माना कि चंदा लिया गया है। जब उनसे पूछा गया कि जब सारा खर्च खेल विभाग करता है तो फिर चंदा क्यों लिया गया तो उनका कहना है कि खेल विभाग ७० प्रतिशत खर्च करता है। उन्होंने कहा कि संघ के जो तकनीकी अधिकारी आते हैं इसी के साथ खिलाडिय़ों को भी व्यक्तिगत पुरस्कार दिए जाते हैं, ये सारा खर्च संघ करता है। ऐसे में चंदा लिए बिना काम नहीं होता है। उन्होंने यह तो नहीं बताया कि कितना चंदा लिया गया है, लेकिन इधर जानकारों का ऐसा कहना है कि आयोजन के नाम पर व्यापारियों ने दो लाख से ज्यादा की राशि वसूली गई है।

इधर खेल विभाग के उन अधिकारी से संपर्क किया गया जिनके जिम्मे आयोजन था तो उन्होंने साफ बताया कि तकनीकी अधिकारियों के लिए ३० को पैसे देने की बात हुई थी, इसके बाद भी संघ के कहने पर ४० तकनीकी अधिकारियों को ५०० रुपए की दर से भुगतान किया गया है जिसकी रसीद खेल विभाग के पास है। इन राज्य खेल अधिकारी विलियम लकड़ा ने बताया कि आयोजन का विभाग ने तीन लाख ७० हजार का बजट बनाया था जो खर्च किया गया। इस बजट में खिलाडिय़ों के आने-जाने के खर्च, खाने, रहने के साथ पुरस्कार से लेकर सारा खर्च शामिल हैं। ऐसे में और कोई अतिरिक्त खर्च होता नहीं है। उन्होंने बताया कि ऐसा कोई भुगतान नहीं है जो खेल विभाग ने नहीं किया है। यह कहना गलत है कि विभाग ७० प्रतिशत खर्च करता है, विभाग खेल संघों के साथ पूरी योजना बनाकर पूरा खर्च वहन करता है।

5 टिप्पणियाँ:

Unknown शनि सित॰ 12, 09:54:00 am 2009  

जिनसे चंदा लिए गया है उनको चंदा लेने वालों के खिलाफ जुर्म दर्ज करवाया चाहिए।

sanjay varma,  शनि सित॰ 12, 09:57:00 am 2009  

यह तो सरकारी पैसों का सरासर दुरूपयोग है।

Unknown शनि सित॰ 12, 10:10:00 am 2009  

ऐसे खेल संघों पर सरकार को प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

vinod,  शनि सित॰ 12, 11:07:00 am 2009  

नेहा जी से सहमत

Unknown शनि सित॰ 12, 01:54:00 pm 2009  

सरकारी खर्च पर आयोजन करवाना बंद किया जाए।

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