क्या इस्लाम में 15 निकाह भी जायज है?
आज अचानक एक खबर पर नजर पड़ी कि उप्र के ज्योतिफूले नगर के एक जनाब अब्दुल वहीद ने 1960 से लेकर पिछले साल तक 15 निकाह किए और वो भी महज इसलिए कि उनको किसी बीबी से औलाद नसीब नहीं हो रही थी। एक तो यह सोचने वाली बात है कि क्या किसी को इस्लाम 15 निकाह करने की इजाजत देता है? नहीं देता है तो फिर ऐसे काफिर के खिलाफ कोई फतवा जारी करने की हिम्मत कोई क्यों नहीं करता। दूसरी बात यह कि क्या उन जनाब को यह बात मालूम नहीं थी कि बच्चा पैदा करने की क्षमता होने पर ही तो बच्चा होता। यह तो अपने को मर्द साबित करने की एक घिनौनी हरकत के सिवाए कुछ नहीं है। क्या ऐसे गुनाहगार के लिए इस्लाम में कोई सजा नहीं है। क्या ऐसे इंसान को बर्दाश्त करना इस्लाम सिखाता है?
अब्दुल साहब ने पहली बार 1960 में डिडौली इलाके के सहसपुर की नफीसा से निकाह किया। नफीसा के इंतकाल के बाद 18 बीघा जमीन के स्वामी अब्दुल साहब ने 1965 में हया से निकाह किया। इनसे निकाह के 7 साल बाद भी औलाद न होने पर जनाब ने 1972 में तीसरा निकाह बिहार की कुलसुम से किया। लेकिन दो साल बाद भी औलाद की चाह पूरी न होने पर 1974 में चौथा निकाह निशा फातिमा के किया। इसके बाद 77 में सकीना, 80 में परवीन, 83 में शहनाज,89 में जलीना, 94 में नूरजहां, 95 में दिलबरी, 98 में आसमीन, 2001 में हूरबानो और 2008 में फरजाना से निकाह किया। 15 निकाह के बाद भी इन जनाब को कोई औलाद नहीं हुई। 66 साल के हो चुके इस जनाब ने जो कारनामा किया है, उसके लिए इस्लाम में क्या कोई सजा नहीं है? क्या इस्लाम को मनाने वालों को यह बात मालूम नहीं है कि औलाद पैदा करने की क्षमता मर्द में होती है। अगर इन जनाब में क्षमता होती तो क्या किसी भी औरत से बच्चा नहीं होता। इन्होंने जिन 15 औरतों से निकाह किया, वे सबकी सब तो बांझ नहीं हो सकती है। ऐसे में यह बात साफ लगती है कि अपने जनाब अब्दुल साहब ने कोई औलाद की खातिर नहीं बल्कि अपनी हवस की खातिर 15 औरतों का इस्तेमाल किया।
औरतों की बहुत ज्यादा इज्जत करने की बात इस्लाम में की जाती है, क्या ऐसे ही इज्जत की जाती है? क्या ऐसा घिनौना काम करने वाले अब्दुल वहीद के खिलाफ कोई फतवा जारी करने की हिम्मत किसी में नहीं है। वंदेमातरम के खिलाफ तो फतवा जारी हो सकता है, लेकिन 15 जिंदगियां तबाह करने वाले अब्दुल के खिलाफ कोई फतवा जारी नहीं हो सकता है। क्या इस्लाम इतने ज्यादा निकाह की इजाजात देता है? नहीं तो फिर क्यों नहीं ऐसे इंसान के खिलाफ कोई सजा देने का काम करते हैं इस्लाम के चाहने वाले।
इसका जवाब है किसी के पास, कि अब्दुल वहीद के खिलाफ क्या करेंगे इस्लाम के चाहने वाले?
22 टिप्पणियाँ:
ऐसे लोग औरत की इज्जत करना नहीं उनका शौषण करना जानते हैं, जितना शोषण औरतों का मुस्लिम समाज में होता है इतना और कहीं नहीं होता है।
ऐसे इंसान के खिलाफ मौत का फतवा जारी होना चाहिए
इस्लाम की नींव ही केवल मर्दों के मजे के लिये रखी गई थी. मुहम्मद साहब का नाम यहाँ दोहराने की जरूरत नहीं है. इस्लाम में औरतों की ईज्जत नहीं वास्तव में उनका शोषण होता है. अभी रूको इस मुद्दे पर इस्लाम का एक ठेकेदार सलीम उर्फ एक मानसिक रोगी आता ही होगा अपनी बकवास के साथ.
इस्लामी चैनल 'क्यू टीवी' के एक प्रोग्राम में एक बंदे ने सवाल किया कि क्या औलाद के लिए दूसरा निकाह जायज़ है?
उलेमा ने जवाब दिया...नहीं, क्योंकि अगर उसकी बीवी मां नहीं बन सकती तो इसमें उसकी बीवी का कोई कुसूर नहीं है...यह तो अल्लाह की मर्ज़ी है...
हैरत की बात है कि इसके बावजूद भी लोग औलाद की आड़ लेकर 15-15 निकाह कर रहे हैं...इनके खिलाफ़ कौन फ़तवा जारी करता है...? देखते रहिये...
क्या भाई क्या ईरादा है-फ़तवा जारी करवा कर ही मानोगे लगता है-आपकी चिंता जायज है।
भाई एक अहमक की मिसाल लेके सारे समझदारों को क्यूं बदनाम कर रहे हो, यह अहमक 150 भी कर ले तो हमें किया, फतवा किसी के नाम नहीं दिया जाता यह बात मुझे जब पता लगी जब मेरे एक लेख पर कुछ मेरे भाई फतवा लेने पहुंचे थे, उन्हें यह कह कर चलता कर दिया गया कि फतवा मतलब राय ना कि हुक्म मसले पर दिया जायेगा किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, तब हम तो बच गये जनाब,
मेरी जान तुम तो ऐसे गुजारिश कर रहे रहो जैसे यह फतवा कोई आर्डर हुक्म होता है, मिल भी गया तो उसे 16वें या 150वें से कोई नहीं रोक सकता, वह अहमक है इसलिये
साबित करो कि तुम अहमक नहीं हो और विचार करो
signature:
कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्टा? हैं या यह big Game against Islam है?
antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)
6 अल्लाह के चैलेंजसहित अनेक इस्लामिक पुस्तकें
islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)
डायरेक्ट लिंक
मो. उमर साहब
आप फरमाते हैं कि किसी व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी किया जाता है, तो फिर देश का नाम रौशन करने वाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सानिया मिर्जा के खिलाफ कैसे फतवा जारी किया गया था कि वह इस्लाम धर्म के खिलाफ जाकर छोटे कपड़े पहनकर खेलती हैं। क्या इस्लाम के जानकार यह नहीं जानते हैं कि टेनिस कोई बुर्का पहनकर तो खेला नहीं जा सकता है। अगर व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी नहीं होता है तो फिर सानिया के खिलाफ कैसे जारी किया गया था, इसका जवाब किसके पास है?
क्या इस्लाम औलाद न होने पर किसी महिला को 15 निकाह करने की इजाजत दे सकता है, क्या तब उसके खिलाफ कुछ नहीं किया जाएगा और उसे भी अहमक कहकर छोड़ दिया जाएगा।
मो. उमर साहब
आप फरमाते हैं कि किसी व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी नहीं किया जाता है, तो फिर देश का नाम रौशन करने वाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सानिया मिर्जा के खिलाफ कैसे फतवा जारी किया गया था कि वह इस्लाम धर्म के खिलाफ जाकर छोटे कपड़े पहनकर खेलती हैं। क्या इस्लाम के जानकार यह नहीं जानते हैं कि टेनिस कोई बुर्का पहनकर तो खेला नहीं जा सकता है। अगर व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी नहीं होता है तो फिर सानिया के खिलाफ कैसे जारी किया गया था, इसका जवाब किसके पास है?
औरतों की इज्जत बता करने वालों के धर्म में ही बहन (मौसी की लड़की) और भांजी से विवाह की मंजूरी दी जाती है, ऐसे धर्म में भला औरतों की इज्जत हो सकती है।
ऎसे मुद्दों पर सोचने विचारने का इन लोगों के पास कोई समय नहीं ....ये लोग तो सिर्फ बकवास करना जानते हैं ।
राजकुमार ग्वालानी जी, किसी ने देखा वह फतवा किसी ने दिखाया है वह फतवा, कहीं कापी है उसकी नेट में , हम चांद तारा इस्लामी निशान नहीं का फतवा लाये थे तो दुनिया को दिखाया था, दिखा रहे हैं,
भाई किसी के नाम का फतवा इन बडे इदारों से नहीं दिया जाता जिनके फतवे की सारी दुनिया में धूम होती है मुझ पर बीती थी इस लिये बात बता दी,
होता यूं है कि सवाल वैसा ही किया जाता है जो उस शख्सियत पर फिट बैठता हो कि किया कोई मुसलमान लडकी ऐसी ड्रेस पहन सकती है वहां समझ ही सकते हो किया जवाब मिलेगा, बस मशहूर कर दिया जाता है,
भाई और तफसील तनिक ठहर के बतायेंगे वह इसलिये भी कि हम नाम के ही तो साइबर मौलाना है किसी इस्लामी संस्था को पता लग गया तो नाम का फतवा भी देदेगा हमारे खिलाफ वह अलग बात है तब भी केवल वह धार्मिक राय, विचार, मशवरा ही तो रहेगा अपना किया सुधार लेगी
वत्स जी 9 वाला आंकडा भूल गये अब यह 13वां कमेंटस पढ लो
सानिया को याद करने वालों इस कमेंटस का हमें लगता है यहां भी सदुपयोग है,
अवधिया चाचा said...
बुरका दत्त ना कांग्रेस की तरफ है ना तुम्हारी तरफ, वह बुरके की तरफ है जिसे बुलेट प्रूफ जाकिट का नाम दिया जा सकता है, नारी जो नहीं दिखाना चाहती वह ना दिखे, बुर्के वाली के हम तुम हर कहीं नजर नहीं डाल सकते, बल्कि कहीं भी नहीं डाल सकते, जबकि सानिया तो जानती ही नहीं कि हम बोल देख रहे हैं कि बल्ला, उसे कहते हैं बंद मुटठी लाख की खुल जाये तो खाक की,
अवधिया चाचा नाम में क्या रखा है फूल तो फूल है किसी भी नाम से पुकारो
13 October, 2009 1:10 PM
http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2009/10/blog-post.html?showComment=1255419631640#c6817480914713226595
१५ निकाह करने वाले को तो सरे आम सड़क पर पिटना चाहिए और जूतो की माला पहना कर उनका जनाजा निकालना चाहिए।
सबसे ज्यादा दुर्गति महिलाओं की मुस्लिम धर्म में है। यहां तो औरत को पैर की जुती समङाा जाता है।
क्यूँ अपना खून जला रहे हो आप लोग ?
इन जाहिलों से बात करने से कोई फायदा नहीं !
जो कौम हर चीज का हल हजारों साल पहले लिखी किसी किताब में तलाशती है .... उस कौम से आप समझदारी की उम्मीद कर रहे हैं !
आप कभी इनके जो महा-विद्वान लोग हैं .. जरा उनकी बातें सुनो तो अपनी खोपड़ी पीट लोगे ! अभी कुछ दिन पहले मैं टी वी पर सुन रहा था .... एक महाशय कह रहे थे कि ओसामा बिन लादेन नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं .... यह सब इस्लाम के दुश्मनों की साजिश है .....
क्या कहोगे आप ऐसे उल्लू के पट्ठे की बात सुनकर ?
एक बार और सुना था अभी दस-बारह दिन पहले ! जेहाद को लेकर चर्चा चल रही थी ! एक अहमकाना सवाल किया गया - जो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की घटना हुयी थी ... क्या वो जेहाद के नाम पर अलकायदा ने सही किया था ? जवाब देते हैं विद्वान जी - वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले में किसी मुस्लिम का हाथ था ही नहीं .... यह सब पश्चिमी मीडिया द्वारा उड़ाई गयी मनघड़ंत कहानी है ! हम उनकी राय से जरा भी इत्तेफाक नहीं रखते .... हम बीबीसी की बाण नहीं मानते !
धुनों अपना सिर !
अब यहीं देख लीजिये Mohammed Umar Kairanvi साहब फरमाते हैं - 'यह अहमक 150 भी कर ले तो हमें किया'
वाह आपको क्या .... क्या बात है जनाब ! एक आदमी 150 महिलाओं की जिंदगी जहन्नुम बना रहा है लेकिन आपको क्या ?
वैसे तो कोई बाहर का आदमी किसी मस्जिद पे एक घूँसा भी मार दे तो पूरा इस्लाम चरमरा उठता है ... उसकी चूलें हिल जाती हैं ! लेकिन जहाँ भी इंसानियत की बात आती है वहां जुबान को लकवा मार जाता है ?
अमेरिका चाहे अफगानिस्तान पर हमला करे या इराक़ पर ... मुस्लिम समाज का धरना प्रदर्शन इंडिया के हर शहर में शुरू हो जाता है ! लेकिन लाखों विस्थापित कश्मीरी पंडितों को दर-बदर देख इस कौम को कुछ नहीं होता ! इस्लामी आतंकवाद के एक से एक जघन्य कारनामे देश में हुए .... तब इनका धरना प्रदर्शन कहीं नहीं होता ! बहुत हुआ तो मीडिया में चलताऊ बयान दे दिया - कुरान में दहशतगर्दी की कोई जगह नहीं है .......
हम बीबीसी की बाण नहीं मानते !
यहाँ बाण को 'बात' पढ़ा जाए
निकाह हुआ तो जायज़ ही हुआ ना सर। चाहे १५ हो या १६००८ (कृष्ण) निकाह हमेशा जायज़ ही कहा जाएगा। अपनी अपनी तबियत और हिम्मत की बात है, यह तो। है कि नहीं ? हा हा। और कैरानवी साहब यहाँ पर सच्चे मुसलमानों जैसी बात नहीं कर रहे हैं, क्योंकि शादी करने वालों को अहमक कहना भी गुनाह है, इस्लाम में।
मो. कैरानवी साहब
सानिया के फतवे के बारे में आप कहते हैं किसी ने देखा या दिखाया है, तो हम आपको बता दें कि करीब चार साल पहले जारी इस फतवे को लेकर पूरे मीडिया जगत में बवाल मचा था, तब उसी दिन हमने इस पर त्वरित टिप्पणी लिखी थी जो पहले पेज पर प्रकाशित हुई थी, तब हम रायपुर के प्रतिष्ठित दैनिक देशबन्धु में समाचार संपादक हुआ करते थे। अगर आपको सबूत चाहिए तो आप चार साल पुराने अखबार देख सकते हैं। एक बात और बता दे कि सलमान खान के खिलाफ भी एक बार फतवा जारी हो चुका है कि वे अपने घर में गणेश बिठाते हैं। ऐसे और कई उदाहरण हैं जब व्यक्तिगत फतवे जारी हुए हैं, हैरानी की बात है कि आपको मालूम नहीं है। या फिर आप मानना नहीं चाहते हैं।
आपका कहना बिल्कुल ठीक है, मुस्लिम अपनी सोच बदल रहे है किन्तु पोंग पंथी कठमुल्ले हमेशा आड़े आते है।
वंदे मातरम्
इस्लाम में इस तरह की कोई इजाज़त नही है....अगर आपको औलाद नही होती है इसमे अल्लाह की मर्ज़ी है...मैं ऐसे बहुत से लोगो को जानता हूं जिनके यहां लडका-लडकी में कोई कमी नही थी फ़िर भी वो बे-औलाद थे इसमे सिर्फ़ अल्लाह की मर्ज़ी थी और कुछ नही......
ये इंसान हवस का मारा है और कुछ नही अपनी हवस को मिटाने के लिये वो ये सब कर रहा है........
पता नही इन लोगों के खिलाफ़ फ़तवा क्यौं नही आता है...
एक टिप्पणी भेजें