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गुरुवार, नवंबर 26, 2009

मम्मी मुझे इंडिया में ही रहना है यूएस नहीं जाना


एक चार की छोटी सी बच्ची को पहली बार यूएस से इंडिया आने का मौका मिला। यहां पर आकर वह अपने मम्मी-पापा के देश में ऐसे रमी की उसे अब इंडिया छोड़कर जाने का मन ही नहीं हो रहा है। वह अपनी मम्मी से कहती है कि मम्मी मुझे इंडिया में ही रहना है, यूएस नहीं जाता है। मम्मी पूछती है क्यों? तो छोटी सी यह गुडिय़ा कहती है कि वहां मुझे अच्छा नहीं लगता है। वहां मुझे क्यों प्यार भी नहीं करता है, यहां देखों न कितने भईया और बहनें हैं। सब कैसे प्यार से खेलते हैं।

यह किसी फिल्म या फिर नाटक के संवाद नहीं हैं बल्कि हमारे एक मित्र के भाई की चार साल की बेटी की बातचीत है जो उसने अभी यहां पर राजधानी रायपुर में एक दिन पहले की। हमारे मित्र के भाई यूएस में इंजीनियर हैं। उनकी पत्नी भी इंजीनियर हैं। वे पिछले पांच सालों से वहां पर रहे हैं। वहीं पर उनको एक पुत्री हुई। इस पुत्री का नाम आयुषी है। आयुषी को पहली बार भारत आने का मौका मिला है क्योंकि उसके चाचा की शादी थी। यहां पर आने के बाद उसको अपने दादा-दादी और नाना-नानी के घर में जिस तरह का प्यार मिला उसने उसको इतना ज्यादा प्रभावित किया है कि वह अब यूएस लौटना ही नहीं चाहती है। छोटी की यह परी जैसी लड़की अपनी मम्मी से कहती भी है कि मम्मी यूएस में तो कोई मुझे प्यार भी नहीं करता है और कोई खेलने वाला भी नहीं है लेकिन यहां पर कितने भाई और बहनें हैं। वह जिद करने लगती है कि मम्मी प्लीज हम लोग वापस नहीं जाएंगे।

यह एक छोटा सा किस्सा है जो यह बताता है कि वास्तव में अपने देश में लोग कितने प्यार और अपनेपन से रहते हैं। बेशक यूएस जैसे देशों में पैसों की कमी नहीं है, लेकिन वहां जाकर इंसान मशीन बन जाता है और प्यार के लिए तरस जाता है। प्यार की भूख तो हर इंसान को होती है फिर वह चाहे चार साल का बच्चा ही क्यों न हो। ऐसे में भला आयुषी कैसे गंवारा करेगी कि वह एक ऐसे देश में रहे जहां पर प्यार नाम की सय से वह महरूम है।

इसलिए कहते हैं

ईस्ट हो या वेस्ट इंडिया इज द बेस्ट

12 टिप्पणियाँ:

Mithilesh dubey गुरु नव॰ 26, 09:19:00 am 2009  

अपना देश ही है ऐसा , सबको प्यारा लगता है ।

Unknown गुरु नव॰ 26, 09:26:00 am 2009  

इंडिया इज द बेस्ट

anu गुरु नव॰ 26, 09:29:00 am 2009  

अपने देश जैसा कोई देश हो भी नहीं सकता है।

बेनामी,  गुरु नव॰ 26, 10:29:00 am 2009  

बच्चे, मन के सच्चे!

बी एस पाबला

Anil Pusadkar गुरु नव॰ 26, 10:35:00 am 2009  

राजकुमार वंहा पैसा और यंहा प्यार।

ब्लॉ.ललित शर्मा गुरु नव॰ 26, 10:57:00 am 2009  

राजकुमार वंहा पैसा और यंहा प्यार।अपने देश जैसा कोई देश हो भी नहीं सकता है।

ताऊ रामपुरिया गुरु नव॰ 26, 01:07:00 pm 2009  

भाई रिश्तों की जो गर्माहट हमारे देश में है वो और कहीं नही है. बहुत सुंदर संस्मरण लिखा आपने.

रामराम.

Unknown गुरु नव॰ 26, 02:14:00 pm 2009  

अपने देश जैसे कोई देश हो भी नहीं सकता है।

soniya,  गुरु नव॰ 26, 04:10:00 pm 2009  

ये मेरा इंडिया, आई लव माई इंडिया

निर्मला कपिला गुरु नव॰ 26, 07:28:00 pm 2009  

सही है आज कल मेरी नातिन भी आयी हुई है वो भी यही कहती है असल मे जीवन के जो रंग भारत मे हैं वहाँ कहाँ । शुभकामनायें

bhavna,  गुरु नव॰ 26, 07:41:00 pm 2009  

आई लव माई इंडिया

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