वंदेमातरम् से मुसलमानों को परहेज नहीं
वंदेमातरम् को लेकर ब्लाग जगत में लगातार बवाल मचा हुआ है। इस मामले में मुस्लिम समाज में ही एका नहीं है। एक समूह इसका लगातार विरोध कर रहा है तो एक समूह को इस पर कोई एतराज नहीं है। हमारे भी कई मुसलमान मित्र हैं, उनको भी वंदेमातरम् से कोई परहेज नहीं है इस बात का एक सबूत हमें तब भी मिला जब एक कार्यक्रम में वंदेमातरम् का गान किया गया और इस कार्यक्रम में उपस्थित कई मुसलमान मित्रों ने बकायदा सभी की तरह इसका सम्मान किया। इस कार्यक्रम के बाद हमने अपने उन मित्रों से इस बारे में चर्चा भी तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि हमें इस पर कोई एतराज नहीं है, जो लोग इस तरह का विवाद खड़ा कर रहे हैं उनको ने तो देश से मतलब है और न ही मुस्लिम समाज से।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित करने का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की रिपोर्टिंग करने का जिम्मा हमारे अखबार दैनिक हरिभूमि की तरफ से हमारा पास था। हम जब इस कार्यक्रम में गए तो हमें भी नहीं मालूम था कि यहां पर वंदेमातरम् का गान होगा। लेकिन कार्यक्रम में मुख्यअतिथि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आने के पहले यह बताया गया कि मुख्यअतिथि के आते ही वंदेमातरम् का गान होगा, तभी सबको मालूम हुआ। जब मुख्यअतिथि आए तो वंदेमातरम् का गान हुआ तो सभी के साथ कार्यक्रम में उपस्थित कई मुसलमान खिलाडिय़ों ने भी इसका सम्मान किया।
कार्यक्रम के बाद हमने अपने मुसलमानों मित्रों को जब ब्लाग बिरादरी में चल रहे बवाल की बात बताई और उनसे पूछा कि क्या उन लोगों को भी वंदेमातरम् से कोई एतराज है और इससे परहेज है तो उन्होंने साफ कहा कि हमें न तो कोई एतराज है और न ही परहेज हैं। इन्होंने कहा कि ऐसा विवाद खड़ा करने का काम वहीं लोग करते हैं जिनको अपने देश और समाज से कोई मतलब ही नहीं होता है। ऐसे लोग का काम ही विवाद खड़ा होता है।
हमारे ये मित्र मो. अकरम खान जहां छत्तीसगढ़ वालीबॉल संघ के महासचिव हैं, वहीं बशीर अहमद खान प्रदेश ओलंपिक संघ के साथ प्रदेश हैंडबॉल संघ के सचिव भी हैं। इसी के साथ कार्यक्रम में आईं बास्केटबॉल की खिलाड़ी इशरत जहां, हैंडबॉल की शबनम बानो, इमरान खान, मो. कलीम खान, इम्तियाज खान, सैय्यद इरफान अली, इसरत अंजुम, साइमा अंजुम, इशरत जहां से भी हमने बात की। सभी ने कहा कि हमें वंदेमातरम् से कोई एतराज नहीं है। इन खिलाडिय़ों के अलावा हमारे और भी कई मुसलमान मित्र हैं जिनका खेल से नाता है इनमें से मुश्ताक अली प्रधान, नासिर अली सहित और कई खिलाड़ी हैं जिनसे हमारा बरसों पुराना परिचय है। इनसे भी हमने पूछा है, किसी को कोई एतराज नहीं है।
खिलाडिय़ों के साथ दूसरे क्षेत्रों से भी जुड़े हमारे कई मुसलमान मित्र हैं। हमने लगभग सभी से इस संबंध में पूछा है किसी को कहीं कोई एतराज नहीं हैं। फिर यह बात समङा से परे हैं कि क्यों कर वंदेमातरम् का विरोध करके इसको बिना वजह मुद्दा बनाकर देश के साथ हिन्दु और मुसलमानों के दिलों में पले रहे प्यार को बांटने का काम किया जा रहा है। कभी किसी ने यह नहीं कहा कि भारत में रहने वालों के लिए वंदेमातरम् का गान जरूरी है। देश के संविधान में भी कहीं ऐसा नहीं है फिर यह किसने कह दिया है कि वंदेमातरम् न बोलने और गाने वाले देशद्रोही हैं। जिसे न गाना है न गए लेकिन इसको लेकिन इसको लेकर विवाद खड़ा करने की क्या जरूरत है। लेकिन इतना जरूर है कि अगर आपके सामने वंदेमातरम् का गान होता है तो उनका सम्मान करना चाहिए। अगर आप उसका सम्मान नहीं करते हैं तो फिर आप किस मुंह से कह सकते हैं कि आप भारतवासी हैं । हमारा मानना है कि बिनावजह पैदा किए गए इस विवाद का अंत होना ही चाहिए।
10 टिप्पणियाँ:
ठीक कहते हैं आप ज्यादातर मुसलमानों को वंदेमातरम से कोई एतराज नहीं है, ये एतराज को गंदी सोच वालों को है।
ऐसे ही अनुभव मेरे भी रहे हैं
बी एस पाबला
अरे काहे का विरोध राज भाई ..ये सब राजनीति की टंटेबाजी है ..आप खुद ही देखिये न गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा आदि को मुद्दा बनाएं न फ़िर देखिए कौन विरोध करता है । रही बात इन्हें सम्मन देने की तो जिसे भी अपने वतन से प्यार होगा वो करेगा ही इन ठेकेदारों के कुछ कहने करने से कोई फ़र्क नहीं पडने वाला
कोई हिन्दुस्तानी कैसे वंदेमातरम से मुंह मोड़ सकता है, ऐसे लोग हिन्दुस्तानी हो ही नहीं सकते हैं।
वंदेमातरम का मान रखने वालों को सलाम है गुरु
सब राजनीति करवा रही है , अगर विरोध लायक कुछ होता तो शायद कोई भी मुसलमान न गाता ।
गंदे लोगों की सोच गंदी होती है, अच्छा काम करने वालों को भी ये गंदा बनाने की राह पर डालने के लिए कुछ भी उल्टा-सीधा करते हैं। ऐसे गंदों लोगों का देस और समाज में बहिष्कार होना चाहिए।
आप की बात सच है किसी भी भारतीय को एतराज़ नहिं होता। फ़िर हिन्दु हो या मुसलमान। ये तो सिर्फ़ एक मुद्दा बना दिया जाता है जब कोई पार्टि हार की कगार पर खडी हो जाती है। बेशक़ सभी लोग ईस गान का सम्मान करते हैं।
एक आम भारतीय चाहे वो हिन्दू हो, मुस्लिम हो या फिर अन्य किसी भी धर्म सम्प्रदाय को मानने वाला....वो सिर्फ यही सोचता है कि कैसे अपनी पारिवारिक/सामाजिक जिम्मेवारियों को अच्छे से निभाया जाए....बस..इसके अतिरिक्त कुछ नहीं । ऎसे मसलों में उलझने के बारे में सिर्फ वही सोच सकता है.. जिनके अपने स्वार्थ सामाजिक समरसता को समाप्त करने से ही जुडे हुए हैं....
राज जी....
यही तो फ़र्क है सब लोग अपने कहते है की वन्दे मातरम गाने से कोई देशभक्त नही हो जाता लेकिन वही लोग ये भी कहते है जो नही गायेगा वो गद्दार है....
आप खुद देख लीजिये....यही बात "अजय कुमार झा.....rajni....और मिथलेश दुबे जी ने आपके इस लेख पर कही है....
इस विषय पर मेरे ब्लाग पर काफ़ी बहस हुई है देख सकते है और अपने विचार भी ज़ाहिर कर सकते है.....
http://qur-aninhindi.blogspot.com/2009/11/no-indian-muslim-is-patriostic.html
http://qur-aninhindi.blogspot.com/2009/11/if-you-worship-this-country-this-soil.html
http://qur-aninhindi.blogspot.com/2009/11/as-in-hindu-sanatan-religion-to-make.html
एक टिप्पणी भेजें