काश हम भी उडऩ टिप्पणी बन पाते
सुबह हो या शाम या फिर रात का कोई भी पहर हो जब भी ब्लाग की दुनिया में जाते हैं और ब्लागों को खगालने का काम करते हैं तो एक नाम ऐसा है जो हर ब्लाग में नजर आ जाता है। आप समझ ही गए होंगे कि हम किनकी बात कर रहे हैं। ठीक समझे आप हम आदरणीय समीरलाल जी यानी उडऩ तश्तरी की ही बात कर रहे हैं। हम सोचते हैं कि यार काश हम भी समीरलाल जी की तरह उडऩ टिप्पणी बन पाते और हर ब्लाग में जाकर टिपियाते। लेकिन क्या करें यह कमबख्त समय ही ऐसा है कि हमें नसीब नहीं होता है। हमें लगता है जैसा हम सोचते हैं वैसा ही सभी ब्लागर सोचते होंगे कि काश वे भी इतना ज्यादा टिपिया पाते कि हर ब्लाग गुलशन टिप्पणियों से आबाद हो जाता।
हमें ब्लाग जगत में कदम रखे एक साल भी नहीं हुआ है और इस छोटे से समय में हमें एक नाम ऐसा लगा है जिन्होंने हर ब्लागर को प्रोत्साहित करने का काम किया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि जब भी समय मिलता है और हम कम्प्यूटर पर बैठते हैं और नेट से नाता जोड़ते हैं तो सबसे पहला नाम जो किसी भी ब्लाग में नजर आता है वह उडऩ तश्तरी का होता है। चिट्ठा जगत में जब धड़ाधड़ टिप्पणी वाले कालम पर नजरें जाती हैं तो वहां भी लाइन से उडऩ तश्तरी का नाम नजर आता है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि अगर ब्लाग जगत में कोई सबसे ज्यादा टिप्पणी करते हैं तो वे समीरलाल जी ही हैं। एक दिन हम ब्लागर अपने मित्र ललित शर्मा के साथ बैठे थे तो अचनाक टिप्पणियों पर बात निकली तो उन्होंने भी कहा कि यार ये बात समझ में नहीं आती हैं कि जब भी ब्लाग खोलो तो उसमें समीरलाल जी की टिप्पणी जरूर होती है। शर्मा जी कहते हैं कि यार ये अपने समीर लाल जी आखिर सोते कब हैं? इसी के साथ उन्होंने कहा कि इनको इतना समय कैसे मिल जाता है इतनी सारी टिप्पणियां करने के लिए।
बहरहाल जो भी है समीर लाल जी हर ब्लागर को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, इसमें कोई दो मत नहीं है। अगर अपने ब्लाग जगत में और कुछ समीर लाल जी जैसे लोग हो जाए तो हिन्दी ब्लाग जगत बहुत ऊंचाईयों पर जा सकता है। हम भी सोचते हैं कि काश हम भी ऐसा कर पाते। जिस ब्लाग को खोलते हैं और पढऩे के लिए समय निकलते हैं उसके बाद सोचते हैं कि चलो इस पर तो टिप्पणी कर दी जाए, लेकिन क्या करें कमबख्त समय का। जब सोचते हैं कि कोई टिप्पणी कर दें तो पता चलता है कि प्रेस में मीटिंग में जाने का समय हो गया है। हमें कम्प्यूटर में एक तो सुबह का थोड़ा सा समय मिलता है, या फिर दोपहर को जब खाना खाने घर आते हैं या फिर रात के 12 बजे के बाद का थोड़ा सा समय। अब इतने कम समय में जितना हो सकता है लिखते और पढ़ते हैं साथ ही कोशिश करते हैं कि दो-चार टिप्पणियां अच्छे लेखों में चिपका दें। कई लेख इतने अच्छे होते हैं कि जब उन पर टिप्पणी करने का समय नहीं मिल पाता है तो दिन भर बेचैनी रहती है। कोशिश करते हैं कि उस लेख पर देर रात तक ही सही समय निकाल कर अपने विचार दे दें। कभी समय मिल जाता है तो खुशी होती है, नहीं मिलता है तो दुख होता है। अब वक्त के आगे किसकी चली है जो हमारी चलेगी।
ऐसे में सोचते हैं कि चलो यार एक दिन तो जरूर ऐसा वक्त आएगा जब हमारे पास समय ही समय होगा। यानी जब 60 के बाद कोई काम नहीं होगा तो ब्लाग जगत ही अपना सबसे बड़ा यार होगा। क्या सोचते हैं आप लोग ठीक बात है न।
हमें ब्लाग जगत में कदम रखे एक साल भी नहीं हुआ है और इस छोटे से समय में हमें एक नाम ऐसा लगा है जिन्होंने हर ब्लागर को प्रोत्साहित करने का काम किया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि जब भी समय मिलता है और हम कम्प्यूटर पर बैठते हैं और नेट से नाता जोड़ते हैं तो सबसे पहला नाम जो किसी भी ब्लाग में नजर आता है वह उडऩ तश्तरी का होता है। चिट्ठा जगत में जब धड़ाधड़ टिप्पणी वाले कालम पर नजरें जाती हैं तो वहां भी लाइन से उडऩ तश्तरी का नाम नजर आता है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि अगर ब्लाग जगत में कोई सबसे ज्यादा टिप्पणी करते हैं तो वे समीरलाल जी ही हैं। एक दिन हम ब्लागर अपने मित्र ललित शर्मा के साथ बैठे थे तो अचनाक टिप्पणियों पर बात निकली तो उन्होंने भी कहा कि यार ये बात समझ में नहीं आती हैं कि जब भी ब्लाग खोलो तो उसमें समीरलाल जी की टिप्पणी जरूर होती है। शर्मा जी कहते हैं कि यार ये अपने समीर लाल जी आखिर सोते कब हैं? इसी के साथ उन्होंने कहा कि इनको इतना समय कैसे मिल जाता है इतनी सारी टिप्पणियां करने के लिए।
बहरहाल जो भी है समीर लाल जी हर ब्लागर को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, इसमें कोई दो मत नहीं है। अगर अपने ब्लाग जगत में और कुछ समीर लाल जी जैसे लोग हो जाए तो हिन्दी ब्लाग जगत बहुत ऊंचाईयों पर जा सकता है। हम भी सोचते हैं कि काश हम भी ऐसा कर पाते। जिस ब्लाग को खोलते हैं और पढऩे के लिए समय निकलते हैं उसके बाद सोचते हैं कि चलो इस पर तो टिप्पणी कर दी जाए, लेकिन क्या करें कमबख्त समय का। जब सोचते हैं कि कोई टिप्पणी कर दें तो पता चलता है कि प्रेस में मीटिंग में जाने का समय हो गया है। हमें कम्प्यूटर में एक तो सुबह का थोड़ा सा समय मिलता है, या फिर दोपहर को जब खाना खाने घर आते हैं या फिर रात के 12 बजे के बाद का थोड़ा सा समय। अब इतने कम समय में जितना हो सकता है लिखते और पढ़ते हैं साथ ही कोशिश करते हैं कि दो-चार टिप्पणियां अच्छे लेखों में चिपका दें। कई लेख इतने अच्छे होते हैं कि जब उन पर टिप्पणी करने का समय नहीं मिल पाता है तो दिन भर बेचैनी रहती है। कोशिश करते हैं कि उस लेख पर देर रात तक ही सही समय निकाल कर अपने विचार दे दें। कभी समय मिल जाता है तो खुशी होती है, नहीं मिलता है तो दुख होता है। अब वक्त के आगे किसकी चली है जो हमारी चलेगी।
ऐसे में सोचते हैं कि चलो यार एक दिन तो जरूर ऐसा वक्त आएगा जब हमारे पास समय ही समय होगा। यानी जब 60 के बाद कोई काम नहीं होगा तो ब्लाग जगत ही अपना सबसे बड़ा यार होगा। क्या सोचते हैं आप लोग ठीक बात है न।
30 टिप्पणियाँ:
चलो इसी बात पे दस टिप्पणी की सौगात लो-जब साठ के हो जाओगे तो टाईम पास करने के लिए किराना दुकान खोल लेना, गद्दी बैठे-बैठे टीपना- हा हा हा हा
चलो इसी बात पे दस टिप्पणी की सौगात लो-जब साठ के हो जाओगे तो टाईम पास करने के लिए किराना दुकान खोल लेना, गद्दी बैठे-बैठे टीपना- हा हा हा हा
चलो इसी बात पे दस टिप्पणी की सौगात लो-जब साठ के हो जाओगे तो टाईम पास करने के लिए किराना दुकान खोल लेना, गद्दी बैठे-बैठे टीपना- हा हा हा हा
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चलो इसी बात पे दस टिप्पणी की सौगात लो-जब साठ के हो जाओगे तो टाईम पास करने के लिए किराना दुकान खोल लेना, गद्दी बैठे-बैठे टीपना- हा हा हा हा
चलो इसी बात पे दस टिप्पणी की सौगात लो-जब साठ के हो जाओगे तो टाईम पास करने के लिए किराना दुकान खोल लेना, गद्दी बैठे-बैठे टीपना- हा हा हा हा
चलो इसी बात पे दस टिप्पणी की सौगात लो-जब साठ के हो जाओगे तो टाईम पास करने के लिए किराना दुकान खोल लेना, गद्दी बैठे-बैठे टीपना- हा हा हा हा
चलो इसी बात पे दस टिप्पणी की सौगात लो-जब साठ के हो जाओगे तो टाईम पास करने के लिए किराना दुकान खोल लेना, गद्दी बैठे-बैठे टीपना- हा हा हा हा
ये हो गई दसवीं टिप्पी-चलो इसी बात पे दस टिप्पणी की सौगात लो-जब साठ के हो जाओगे तो टाईम पास करने के लिए किराना दुकान खोल लेना, गद्दी बैठे-बैठे टीपना- हा हा हा हा
मैँ तो सोच रहा हूँ कि ठेके पे दो-चार बन्दे रख लूँ अपने नाम से टिपियाने के लिए लेकिन डर है कि कहीं मेरी गैर मौजूदगी में उन्होंने अपना ब्लॉग ही कहीं बना लिया तो लेने के बजाय देने ना पड़ जाएँ..
माल-मत्ता तो मुझसे वसूलेंगे और टी.ऑर.पी अपने ब्लॉग की बढाएँगे :-(
मेरा ब्लाग तो आपके कंप्यूटर में खुलता ही नहीं .. इसलिए रिटायरमेंट के बाद भी आप टिप्पणियां करें .. तो मुझे तो कोई फायदा होने से रहा .. आज 7 बजे सुबह ब्लागवाणी के टिप्पणी वाली जगह पर .. जितनी टिप्पणियां समीर जी की थी .. उससे एक चौथाई से भी कम बाकी सारे ब्लागरों को मिलाकर होंगी .. वैसे मैने भी टिप्पणी करने में अपना स्थान बनाने की कोशिश की थी .. पर इतनी आलोचना होने लगी .. कि बंद ही कर दिया .. अभी मेरा स्वास्थ्य और ब्राडबैंड भी खास परेशान कर रहा है .. ईश्वर समीर जी का यह उत्साह बनाए रखे !!
शर्मा जी का अंदाज झकास है गुरु
इसलिए मैं भी हो जाता हूं शुरू
पर समीर लाल तो समीर लाल हैं
शर्मा जी का अंदाज झकास है गुरु
इसलिए मैं भी हो जाता हूं शुरू
पर समीर लाल तो समीर लाल हैं
शर्मा जी का अंदाज झकास है गुरु
इसलिए मैं भी हो जाता हूं शुरू
पर समीर लाल तो समीर लाल हैं
शर्मा जी का अंदाज झकास है गुरु
इसलिए मैं भी हो जाता हूं शुरू
पर समीर लाल तो समीर लाल हैं
चलो आज तुम्हारे भी पर लगा देते है,
टिप्पणियों का रिकार्ड ही बना देते है,
तो गुरु हो जाओ शुरु-नई दुकान है कम से कम
दस-द्स की बोहनी तो कराओ-हा हा हा
चलो आज तुम्हारे भी पर लगा देते है,
टिप्पणियों का रिकार्ड ही बना देते है,
तो गुरु हो जाओ शुरु-नई दुकान है कम से कम
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चलो आज तुम्हारे भी पर लगा देते है,
टिप्पणियों का रिकार्ड ही बना देते है,
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तो गुरु हो जाओ शुरु-नई दुकान है कम से कम
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तो गुरु हो जाओ शुरु-नई दुकान है कम से कम
दस-द्स की बोहनी तो कराओ-हा हा हा
वैसे भी उड़न खटोले से कम तो है नही हमारा राजकुमार।एक पल मे यंहा दूसरे पल कंहा?राजकुमार वैसे राजीव का आईडिया बढिया है।
ललित भाई,
आपने मारूति का एड ज़रूर देखा होगा...
पिता अपने बेटे से कहता है...ओ काके बस कर यार...
बेटा...डैडी कि करां पेट्रोल ही खत्म नहीं होंदा...
लगता है आपकी टिप्पणियों वाला पेट्रोल गुरू ने भी अपनी गाड़ी में डलवा लिया है....
जय हिंद....
ham 10 ya 20 ya fir aur jyada TIPPANI nahin denge.
hamaare yahan kahawat hai ki 12 varsh baad to GHOORE ke bhi din firate hain, ham bhi apne din firne ka intezar kar rahe hain aap bhi hamaare sath aaiye.
बचपना जाता नहीं क्या करे.....लोग..
बस यही स्नेह तो उर्जा देता है. आप निश्चिंत हो जितना भी बन पड़े, उतना ही करिये मगर प्रोत्साहन करिये जरुर. शुभकामनाएँ.
AAP KI BAAT BILKUL SAHII HAI.
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