झारखंड-उप्र के तीर लगे पदकों पर
मेजबान छत्तीसगढ़ का कोई भी तीरंदाज पदक तक नहीं पहुंच सका और मेजबान की झोली राष्ट्रीय तीरंदाजी के इंडियन राऊंड में खाली रही। टीम चैंपियनशिप में बालक वर्ग का खिताब उप्र के खाते में तो बालिकाओं का नए राज्य झारखंड के खाते में गया। बालिका वर्ग के व्यक्तिगत मुकाबलों में भी स्वर्ण झारखंड के खाते में आया।
स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में चल रही इस स्पर्धा में इंडियन राऊंड के नतीजे सामने आ गए हैं और मेजबान छत्तीसगढ़ का एक भी तीरंदाज पदक के आस-पास भी नहीं पहुंच सका। प्रदेश तीरंदाजी संघ इस बात का दावा करने से नहीं थक रहा है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद तीरंदाजों की संख्या में बेतहासा वृद्धि हुई है और प्रदेश में जहां पहले महज १०० तीरंदाज थे, वहीं अब १००० हजार तीरंदाज हो गए हैं। लेकिन इन एक हजार तीरंदाजों में एक भी तीरंदाज पदक पर निशाने लगाने वाला नहीं है।
इंडियन राऊंड में जो टीम मुकाबले खेले गए उनमें बालक वर्ग में उप्र की टीम ने १९२३ अंकों के साथ स्वर्ण पर कब्जा जमाया। विजेता टीम में ललित, अविनाश, सोमेन्द और चमन थे। रजत पदक एसएससीबी के हाथ लगा। इस टीम के खिलाडिय़ों एन। पी सिंह, एन. हरजीत सिंह, ई. बिनोद कुमार और हरजीत सिंह ने १९१० अंक जुटाए। कांस्य पदक चंडीगढ़ ने जीता। इस टीम ने १८७२ अंक बनाए। इस टीम में विनय कुमार, सुमित कौशिक, मोहित यादव और नवीन सैनी थे।
स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में चल रही इस स्पर्धा में इंडियन राऊंड के नतीजे सामने आ गए हैं और मेजबान छत्तीसगढ़ का एक भी तीरंदाज पदक के आस-पास भी नहीं पहुंच सका। प्रदेश तीरंदाजी संघ इस बात का दावा करने से नहीं थक रहा है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद तीरंदाजों की संख्या में बेतहासा वृद्धि हुई है और प्रदेश में जहां पहले महज १०० तीरंदाज थे, वहीं अब १००० हजार तीरंदाज हो गए हैं। लेकिन इन एक हजार तीरंदाजों में एक भी तीरंदाज पदक पर निशाने लगाने वाला नहीं है।
इंडियन राऊंड में जो टीम मुकाबले खेले गए उनमें बालक वर्ग में उप्र की टीम ने १९२३ अंकों के साथ स्वर्ण पर कब्जा जमाया। विजेता टीम में ललित, अविनाश, सोमेन्द और चमन थे। रजत पदक एसएससीबी के हाथ लगा। इस टीम के खिलाडिय़ों एन। पी सिंह, एन. हरजीत सिंह, ई. बिनोद कुमार और हरजीत सिंह ने १९१० अंक जुटाए। कांस्य पदक चंडीगढ़ ने जीता। इस टीम ने १८७२ अंक बनाए। इस टीम में विनय कुमार, सुमित कौशिक, मोहित यादव और नवीन सैनी थे।
बालिका वर्ग में झारखंड की चौकड़ी तुलसी हेमारकाम, लक्ष्मी, सुनीता रानी और ममता टुडू ने १८१२ अंकों के साथ स्वर्ण जीता। रजत जीतने वाली मणिपुर की टीम ने १७८९ अंक बनाए। इस टीम में सोनिया देवी, निर्मला देवी, अरूणा देवी और बेमचो देवी थीं। कांस्य पदक असम के खाते में गया। इस टीम की चौकड़ी बी. बासुमती, पालारी बोरो, चन्द्रिका औप क्रिस्टीना मेघी ने १७५७ अंक बनाए।
व्यक्तिगत मुकाबलों में बालिका वर्ग के ४० मीटर में झारखंड की तुलसी हेमारकाम ने ३६० में से ३१७ अंक लेकर स्वर्ण जीता। रजत पदक जीतने वाली कर्नाटक की ललिता शरेल ने ३१६ और कांस्य विजेता मणिपुर की सोनिया देवी ने ३१३ अंक बनाए। ३० मीटर में मणिपुर की निर्मला देवी ने ३१३ अंकों के साथ स्वर्ण, ङाारखंड की तुलसी ने ३१२ अंकों के साथ रजत और कर्नाटक की ललिता ने ३०८ अंकों के साथ कांस्य पदक जीता।
बालक वर्ग के ४० मीटर में हरियाणा के ओमवीर ने ३३५अंकों के साथ स्वर्ण, मणिपुर के प्रेम कुमार ने ३२३ अंकों के साथ रजत और चंडीगढ़ के नवीन सैनी ने ३२२ अंकों के साथ कांस्य पदक जीता। ३० मीटर में एसएससीबी के एलपी सिंह ने ३२९ अंकों के साथ स्वर्ण, उप्र के अविनाश ने ३२६ अंकों के साथ रजत और मिजोरम के कानसाई ने ३२६ अंकों के साथ कांस्य जीता।
परिणाम जानने भटकते रहे खिलाड़ी
इस राष्ट्रीय आयोजन में परिणाम की व्यवस्था को लेकर कई राज्यों से आए खिलाडिय़ों के साथ उनके कोच और मैनजरों में नाराजगी देखी गई। सोमवार से प्रारंभ हुए इंडियन राऊंड के परिणाम मंगलवार की शाम तक घोषित नहीं हो सके थे। किसी भी राज्य के खिलाड़ी के साथ उनके कोच-मैनेजर को यह मालूम नहीं था कि उनका कौन सा खिलाड़ी किस स्थान पर है। जानकारों ने बताया कि स्पर्धा में तकनीकी जानकारों की कमी के कारण ऐसा हुआ है। मीडिया को भी नतीजों की जानकारी देने वाला कोई नहीं था। नतीजों की जानकारी एकत्रित करने का जिम्मा जिनको दिया गया था उनमें कोई भी तकनीकी जानकार नहीं था जिसके कारण ऐसी स्थिति आई। मीडिया को कोई यह भी बताने वाला नहीं था कि आखिर छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी किस पोजीशन में रहे। छत्तीसगढ़ के हाथ कोई पदक नहीं लगा यह अलग बात है लेकिन कौन सा खिलाड़ी किस स्थान पर रहा यह बताने वाला भी कोई नहीं था। बार-बार जानकारी मांगे जाने के बाद भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कर सका।
आदिवासी खिलाडिय़ों को तैयार करें: कौशिक
इंडियन राऊंड के मुकाबलों के बाद इसका पुरस्कार वितरण मंगलवार की शाम को विधानसभा अध्यक्ष धर्म कौशिक ने किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश में तीरंदाजी के खिलाड़ी आदिवासी क्षेत्रों में ज्यादा हैं। इन तीरंदाजों को तकनीकी जानकारी देकर निखारने की जरूरत है। यह काम तीरंदाजी संघ को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक दिन जरूर प्रदेश के आदिवासी तीरंदाज ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ को पदक दिलाकर प्रदेश का नाम रौशन करने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाला समय छत्तीसगढ़ का होगा।
5 टिप्पणियाँ:
मेजबानी करने के बाद छत्तीसगढ़ को एक भी पदक न मिलना दुखद है। इस पर ध्यान देना चाहिए।
विजेता खिलाडिय़ों को बधाई
महज खिलाड़ी बढऩे से कुछ नहीं होता अच्छे खिलाड़ी पैदा करने से ही मिलते हैं पदक
जो खिलाड़ी जीतने से चूक गए उनको फिर से प्रयास करना चाहिए, प्रयास करने से ही सफलता मिलती है।
किसी भी आयोजन में आज अव्यवस्था आम बात हो गई है। आयोजक अपने में मस्त रहेंगे तो अव्यवस्था तो होगी।
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