ब्रेड में है जहर
अपने देश में ही नहीं बल्कि पूरी विश्व में ब्रेड एक ऐसी चीज है जिसे सब पसंद करते हैं और इसे सुबह-शाम बड़े चाव से खाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस ब्रेड के साथ आपके शरीर में एक धीमा जहर भी जाता है। एक खबर के मुताबिक कम से कम भारत में बनने वाली ब्रेड तो जहरीली ही है। इस ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट का उपयोग होता है जिसके कारण ब्रेड जहरीली हो जाती है। पोटेशियम ब्रोमेट कई देशों में प्रतिबंधित है, पर भारत में इसको ब्रेड में मिलाने से रोकने वाला कोई ऐसा नहीं है। ऐसे में ब्रेड का उपयोग करने वाले रोज धीमा जहर खा रहे हैं। ब्रेड बनाने वाली एक कंपनी से खुद से पहले करते हुए पोटेशियम ब्रोमेट पर प्रतिबंध लगा दिया है, पर सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं हो रही है।
भारत में बनने वाली ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट का मिलना आम बात है। इसको ब्रेड में इसलिए मिलाया जाता है, क्योंकि इसके मिलाने से ब्रेड जहां अच्छी तरह से फूलती है, वहीं उसमें सफेदी भी आ जाती है। ऐसे में ब्रेड बनाने वाली कंपनियों इस पोटेशियम ब्रोमेट की बेतहासा मात्रा का प्रयोग ब्रेड में करती हैं। ब्रेड में जितनी ज्यादा पोटेशियम ब्रोमेट की मात्रा होगी, वह ब्रेड उतनी ही ज्यादा घातक और जहरीली होगी। लेकिन इससे ब्रेड बनाने वाली कंपिनयों को क्या लेना-देना उनको तो अपने उत्पाद बेचने हैं ऐसे में उनके उत्पाद से कोई मर भी जाए तो क्या है। हालांकि अब तक अपने देश में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया कि ब्रेड खाने से कोई मर गया हो। लेकिन कभी भी ऐसे मामले सामने आने में देर नहीं लगेगी अगर इस धीमे जहर के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा गया।
जिस पोटेशियम ब्रोमेट को बिना रोक-टोक अपने देश में ब्रेड के साथ और कई पदार्थों में मिलाया जाता है, उस पर यूरोप में तो 1990 में ही प्रतिबंध लगा दिया गया था, इसी के साथ 1991 में इस पर अमरीका में भी पाबंदी लगा दी गई, कनाडा में 1994 में, श्रीलंका में 2001 में और चीन में 2005 में इस पर प्रतिबंध लगाया गया। इसी के साथ नाइजीरिया, ब्राजील, और पेरू में इस पर प्रतिबंध है, लेकिन भारत में आज तक इस पर प्रतिबंध लगाने की पहल सरकार ने तो नहीं की है, पर भारत में ब्रेड बनाने वाली एक कंपनी हिन्दुस्तान यूनीलीवर ने जरूर अपनी ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इस कंपनी की देश की सभी छह मॉर्डन बेकरियों में अपने उत्पाद में दिसंबर से पोटेशियम ब्रोमेट का उपयोग नहीं होगा। इस कंपनी की पहल अच्छी है। अब दूसरी कंपनियों को भी इसका अनुशरण करना चाहिए, अगर ऐसा नहीं किया गया तो जरूर भारत में कभी भी कोई बड़ा गंभीर हादसा हो सकता है।
भारत में बनने वाली ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट का मिलना आम बात है। इसको ब्रेड में इसलिए मिलाया जाता है, क्योंकि इसके मिलाने से ब्रेड जहां अच्छी तरह से फूलती है, वहीं उसमें सफेदी भी आ जाती है। ऐसे में ब्रेड बनाने वाली कंपनियों इस पोटेशियम ब्रोमेट की बेतहासा मात्रा का प्रयोग ब्रेड में करती हैं। ब्रेड में जितनी ज्यादा पोटेशियम ब्रोमेट की मात्रा होगी, वह ब्रेड उतनी ही ज्यादा घातक और जहरीली होगी। लेकिन इससे ब्रेड बनाने वाली कंपिनयों को क्या लेना-देना उनको तो अपने उत्पाद बेचने हैं ऐसे में उनके उत्पाद से कोई मर भी जाए तो क्या है। हालांकि अब तक अपने देश में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया कि ब्रेड खाने से कोई मर गया हो। लेकिन कभी भी ऐसे मामले सामने आने में देर नहीं लगेगी अगर इस धीमे जहर के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा गया।
जिस पोटेशियम ब्रोमेट को बिना रोक-टोक अपने देश में ब्रेड के साथ और कई पदार्थों में मिलाया जाता है, उस पर यूरोप में तो 1990 में ही प्रतिबंध लगा दिया गया था, इसी के साथ 1991 में इस पर अमरीका में भी पाबंदी लगा दी गई, कनाडा में 1994 में, श्रीलंका में 2001 में और चीन में 2005 में इस पर प्रतिबंध लगाया गया। इसी के साथ नाइजीरिया, ब्राजील, और पेरू में इस पर प्रतिबंध है, लेकिन भारत में आज तक इस पर प्रतिबंध लगाने की पहल सरकार ने तो नहीं की है, पर भारत में ब्रेड बनाने वाली एक कंपनी हिन्दुस्तान यूनीलीवर ने जरूर अपनी ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इस कंपनी की देश की सभी छह मॉर्डन बेकरियों में अपने उत्पाद में दिसंबर से पोटेशियम ब्रोमेट का उपयोग नहीं होगा। इस कंपनी की पहल अच्छी है। अब दूसरी कंपनियों को भी इसका अनुशरण करना चाहिए, अगर ऐसा नहीं किया गया तो जरूर भारत में कभी भी कोई बड़ा गंभीर हादसा हो सकता है।
10 टिप्पणियाँ:
I am surprised to see that not even a single comment on this story ! Such an important issue...Thanks for the information. I hope, Governments do act...it is high time.
जिस तरह से ब्रेड लोकप्रियता के साथ एक विकल्प के तौर पर प्रचलियत है. यह आलेख आँखे खोल देती है.
अच्छी जानकारी जहरीली ब्रेड के बारे में.
आपके इस शोधपरक आलेख ने निश्चित रूप से ब्रेड खाने के दुष्परिणाम के लिये सोचने पर विवश कर दिया है । आज तक इससे पहले ये सब कहीं सुना पढा नहीं था । बहुत बहुत शुक्रिया राज भाई..
आपने बहुत सही लिखा है ग्वलानिजी लेकिन आज के रफ़्तार भरे जीवन में चटपट खाना इतनी पैठ बना चुका है कि समय देकर शुद्ध और पौष्टिक भोजन बना पाना सबके लिए आसान नहीं है. ब्रेड ही नहीं बल्कि और भी कई दूसरे रेडी टु ईट भोज्य पदार्थों में भी हानिकारक तत्व होते हैं.
अच्छा है हमलोग ब्रेड नहीं खाते .. पर कितने चीजों से बचेंगे .. कल आप ही कुछ अन्य चीज में जहर दिखा देंगे .. जीने के लिए कुछ तो खाना ही पडेगा !!
या, इन गटर टोस्ट को अगर बहुत मजबूरी नो हो तो ना ही खाएं , इस व्यवसाय से जुड़े कुछ लोग जो इसे बनाते है इसे गूदने का इनका तरीका देखोगे तो उल्टी आ जायेगी पैर से गुन्दते है मजदूर बेशन मैदे को !
भाई अब खायेगे क्या ?
और एक बात आपके ब्लॉग पर कमेन्ट करने के लिए २ एम् बी पी एस स्पीड के नेट से भी १० मिनट इंतज़ार करना पङता है तब जाकर कमेन्ट बॉक्स खुलता है ..कुछ करिए ,......अनुरोधहै
आपने विचारणीय व सामयिक पोस्ट लिखी है।
लेकिन आज कोई चीज सही मिल कहाँ रही है.......सरकारे राजनिति मे व्यस्त है और जनता इन मिलावटी व नुकसान् देह चीजो से त्रस्त!!
पंकज जी
कृपया आप अपने नेट की रफ्तार की जांच करवाए। हमारे नेट की रफ्तार तो 100 एमबीपीएस हैं। अब तक कहीं से भी हमें इनकी शिकायत नहीं मिली है कि टिप्पणी पोस्ट करने में समय लगता है। इसी के साथ हमारे नेट में हमाने स्प्रीड को 256 करवाया है। पहले यह 64 होने पर हमें भी बहुत परेशानी होती थी। वैसे हमें भी नेट की रफ्तार के बारे में ज्यादा तकनीकी जानकारी नहीं है। इस बारे में संभवत: अपने पाबला जी कुछ बता सकते हैं।
हवा में जहर है...संभल के सांस लेना. एक वैज्ञानिक ठेल गया है नई सोच...पानी तो पिछली बार ही मना कर दिया था...
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