अबे कितनी बार कहा है झंडा मत बोले कर
एक झंडा देना.... अबे तेरे को कितनी बार कहा है कि झंडा मत बोले कर फिर भी साले तेरे को न तो कोई फर्क पड़ता है और न ही शर्म आती है, क्या तू देशद्रोही है जो ऐसी बातें करता है। अबे कुछ तो शर्म कर झंडा बोलने से लगता है कोई अपने देश के झंडे का अपमान कर रहा है।
ये किसी फिल्म के डॉयलाग नहीं हैं बल्कि हमारे द्वारा अपने एक मित्र के साथ किए गए संवाद के अंश हैं। हमारे एक मित्र हैं उनको विल्स फ्लैक सिगरेट पीने की आदत है। अब सिरगेट पीने की आदत है, वहां तक तो ठीक है, लेकिन हमारे मित्र जब भी किसी चाय या पान की दुकान में जाते हैं तो फ्लैक के स्थान पर एक झंडा देना कहते हैं। उनकी उस मांग को पान और चाय दुकान वाले भी जानते हैं, ऐसे में उनके सामने हाजिर हो जाती है विल्स फ्लैक की एक सिगरेट। लेकिन वे जब भी हमारे साथ जाते हैं तो हमेशा इसी तरह से डांट जरूर खाते हैं, लेकिन लगातार डांट खाने के बाद भी हमारे इन मित्र की आदत बिलकुल कुत्ते की पुछ की तरह है जो सीधी नहीं होती है। हमने कई बार उनको कहा कि यार समझता क्यों नहीं है झंडा बोलने से लगता है कि अपने झंडे का अपमान हो रहा है, तुझे शर्म आनी चाहिए तुम सिगरेट को झंडा बोलकर मांगते हो और उसे पीते हो। कल शाम को हम लोग जब चाय पीने गए थे तो उन्होंने फिर से आदत के मुताबिक चाय वाले से कहा कि एक झंडा देना। उनका इतना कहना था कि हम फिर से चालू हो गए उसको डांटने के लिए।
हमने उनसे आज साफ कहा कि देख बे तेरे को ऐसी ही हरकतें करनी रहती हैं तो तू हमारे साथ मत आए कर। हमने उससे यह भी कहा कि अब बहुत हो चुका है हम तुम्हारी इस हरकत को हम अपने ब्लाग में सार्वजनकि करने वाले हैं। उनको लगा हम मजाक कर रहे हैं। हमने कहा कि बेटा ये ये कोई मजाक नहीं है तू देख लेना हम कल इसी पर लिखने वाले हैं। तेरे में थोड़ी सी भी शर्म होगी और तुझे अपने देश के साथ देश के झंडे से प्यार होगा तो जरूर फिर कभी सिगरेट को झंडा कहकर नहीं मांगोगे। हमारा इतना कहना था कि उनको भी थोड़ा सा ताव आ गया और कहने लगे कि लिख लेना न बे अपने ब्लाग में। हम कोई झंडे का अपमान नहीं कर रहे हैं, हम झंडे का उतना ही सम्मान कते हैं जितना करना चाहिए। हम कोई झंडे का सिगरेट बनाकर थोड़े ही पी रहे हैं। हमारे देश में तो बड़े-बड़े लोग झंडे का अपमान करने से पीछे नहीं रहते हैं।
क्या भूल गए हो कि किस तरह से सानिया मिर्जा जैसी खिलाड़ी झंडे नहीं बल्कि तिरंगे झंडे की तरफ एक बार पैर करके बैठीं थीं।
क्या भूल गए कि सचिन ने तिरंगे वाला केक काटा था।
क्या भूल गए कि मदिरा बेदी ने तिरंगे वाली जो साड़ी पहली थी उसमें तिरंगा घुटने के पास था।
एक बड़े अधिकारी के घर में पैरे के नीच तिरंगा रखा था।
तिरंगे का ये लोग अपमान करते हैं, इनके खिलाफ तूने ही अपने ब्लाग में लिखा था। मैं तो महज मजाक में ही फ्लैक को झंडा कह देता हूं तो तुझे इतना बुरा लग जाता है। न जाने कितने झंडों को मैंने २६ जनवरी और १५ अगस्त के दिन सड़कों पर लोगों के पैरों से कुचलते हुए देखा है। यह सब देखकर मुझे भी दर्द होता है और गुस्सा आता है। क्या तुमने ऐसे नजारें नहीं देखें हैं। चल ठीक है तू ब्लाग में मेरे झंडे वाली बात भले लिख दें, लेकिन अब मैं वादा करता हूं कि कम से कम तेरे सामने मैं सिगरेट को झंडा नहीं कहूंगा। मुझे सच में मालूम नहीं था कि तूझे इतना बुरा लग जाएगा। मैं इसके लिए क्षमा चाहता हूं।
8 टिप्पणियाँ:
झंडे का सम्मान सबको करना चाहिए, खासकर तिरंगे का तो सम्मान होनी ही चाहिए। सिगरेट जैसी जीच को झंडा कहना गलत बात है।
लगता है आपके मित्र को आपकी भावनाएँ समझ में आ गई है तभी उन्होंने क्षमा मांग ली है, पर आप उनके साथ ही जाना और देखने की वे आदत से बाज आते है या नहीं। अपने मित्रों का सही रास्ता पर लाने का काम मित्र नहीं करेंगे तो कौन करेगा।
ये स्टाईल को बिलकुल अनिल पुसदकर की तरह हैं, लेकिन अनिल जी के लिखने का अंदाज थोड़ा जुदा है।
झण्डे का मतलब क्या तिरंगा झण्डा ही होता है? :) मित्र को अभिव्यक्ति की आजादी मिलनी चाहिए :)
झण्डे का मतलब क्या तिरंगा झण्डा ही होता है? :) मित्र को अभिव्यक्ति की आजादी मिलनी चाहिए :)
राजकुमार अजय भाई क्या कह रहे हैं?अच्छा हुआ तेरे दोस्त ने माफ़ी मांग ली वरना मैं कहता कि भेज साले को मेरे पास।हा हा हा हा।वैसे संजय सही कह रहे है,झंडा माने तिरंगा ही नही होता,उसे भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिलनी चाहिये भई।
जो कोशिश उससे झंडा न कहलवाने के लिए की जा रही है उसे बढ़ाते हुए अब सिगरेट न कहने के लिए कीजिए। समझ रहे हैं न। दोस्त हैं तो सिगरेट छुड़ाने दुश्मन थोड़े ही आएगा।
सानिया और सचिन जैसे लोगों ने तिरंगे का अपमान किया हैय यह बात सच है। सचिन ने तो बाद में जरूर क्षमा मांग ली थी, सानिया का मुझे पता नहीं है।
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