राजनीति के साथ हर विषय पर लेख पढने को मिलेंगे....

शुक्रवार, मई 08, 2009

गांधी दर्शन मंजूर नहीं

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दर्शन करने का मन आज के युवाओं में है ही नहीं। यह बात बिना वजह नहीं कही जा रही है। कम से कम इस बात का दावा छत्तीसगढ़ के संदर्भ में तो जरूर किया जा सकता है। बाकी राज्यों के बारे में तो हम कोई दावा नहीं कर सकते हैं, लेकिन हमें लगता है कि बाकी राज्यों की तस्वीर छत्तीसगढ़ से जुदा नहीं होगी। आज महात्मा गांधी का प्रसंग इसलिए निकालना पड़ा है क्योंकि कल ही हमारे एक मित्र दर्शन शास्त्र का एक पेपर गांधी दर्शन देने गए थे। जब वे पेपर देने गए तो उनको मालूम हुआ कि वे गांधी दर्शन विषय लेने वाले एक मात्र छात्र हैं। अब यह अपने राष्ट्रपिता का दुर्भाग्य है कि उनके गांधी दर्शन को पढऩे और उसकी परीक्षा देने वाले एक ही परीक्षार्थी मिलते ही नहीं हंै। गांधी जी को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वालों की अपने देश में कमी नहीं है, लेकिन जब उनके बताए रास्ते पर चलने की बात होती है को कोई आगे नहीं आता है। कुछ समय पहले जब एक फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस आई थी तो इस फिल्म के बाद युवाओं ने गांधीगिरी करके मीडिया की सुर्खिया बनने का जरूर काम किया था।

हमारे एक मित्र हैं सीएल यादव.. नहीं.. नहीं उनका पूरा नाम लिखना उचित रहेगा क्योंकि उनके नाम से भी मालूम होता है कि वे वास्तव में पुराने जमाने के हैं और उनकी रूचि महात्मा गांधी में है। उनका पूरा नाम है छेदू लाल यादव। नाम पुराना है, आज के जमाने में ऐसे नाम नहीं रखे जाते हैं। हमारे यादव जी रायपुर की नागरिक सहकारी बैंक की अश्वनी नगर शाखा में शाखा प्रबंधक हैं। बैंक की नौकरी करने के साथ ही उनकी रूचि अब तक पढ़ाई में है। उनके बच्चों की शादी हो गई है लेकिन उन्होंने पढ़ाई से नाता नहीं तोड़ा है। पिछले साल जहां उन्होंने पत्रकारिता की परीक्षा दी थी, वहीं इस बार उन्होंने दर्शन शास्त्र पढऩे का मन बनाया। यही नहीं उन्होंने एक विषय के रूप में गांधी दर्शन को भी चुना। लेकिन तब उनको मालूम नहीं था कि वे जब परीक्षा देने जाएंगे तो उनको परीक्षा हाल में अकेले बैठना पड़ेगा। वे बताते हैं कि जब वे परीक्षा देने के लिए विश्व विद्यालय गए तो उनके इंतजार में सभी थे। दोपहर तीन बजे का पेपर था। उनको विवि के स्टाफ ने बताया कि उनके लिए ही आज विवि का परीक्षा हाल खोला गया और 20 लोगों का स्टाफ काम पर है। उन्होंने परीक्षा दी और वहां के स्टाफ के साथ बातें भी कीं। बकौल श्री यादव संभवत: वे पहले परीक्षार्थी रहे हैं जिनको विवि के स्टाफ ने अपने साथ दो बार चाय भी पिलाई। श्री यादव ने बताया कि गांधी दर्शन क्या दर्शन शास्त्र में भी आज के युवाओं की रूचि नहीं है। महज 9 परीक्षार्थी ही इस दर्शन शास्त्र का विषय लेकर परीक्षा दे रहे हैं।

एक तरफ जहां कॉलेज के प्रोफेसर नाम नहीं बता पाए थे, वहीं अचानक एक दिन हमने अपने घर में जब इस बात का जिक्र किया तो हमें उस समय काफी आश्चर्य हुआ जब हमारी पांचवीं क्लास में पढऩे वाली बिटिया स्वप्निल ने तपाक से कहा कि महात्मा गांधी की मां का नाम पुतलीबाई था।


आज एक यादव जी के कारण यह बात खुलकर सामने आई है कि वास्तव में अपने देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कितनी कदर की जाती है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि राष्ट्रपिता से आज की युवा पीढ़ी को कोई मतलब नहीं रह गया है। युवा पीढ़ी की बात ही क्या उस पीढ़ी के जन्मादाताओं का भी गांधी जी से ज्यादा सरोकार नहीं है। कुछ समय पहले की बात है, हम जिस अखबार में काम करते हैं उस अखबार के संपादक महोदय ने एक रिपोर्टर को इस काम पर लगाया कि वे कॉलेज के शिक्षाविदों से पूछे की महात्मा गांधी की मां का नाम क्या था। तब उनकी बात का कोई समझ नहीं पाया था कि हमारे संपादक क्या करवाना चाहते हैं। उन्होंने तबी कहा था कि मैं दावा करता हूं कोई नाम बताने में सफल नहीं होगा। उनकी बात सच भी निकली। कई प्रोफेसरों से बात की गई, पर कोई महात्मा गांधी की मां का नाम नहीं जानता था। एक प्रोफेसर ने जरूरत काफी झिझकते हुए उनका नाम बताया पुतलीबाई। यह नाम बिलकुल सही है।

एक तरफ जहां कॉलेज के प्रोफेसर नाम नहीं बता पाए थे, वहीं अचानक एक दिन हमने अपने घर में जब इस बात का जिक्र किया तो हमें उस समय काफी आश्चर्य हुआ जब हमारी पांचवीं क्लास में पढऩे वाली बिटिया स्वप्निल ने तपाक से कहा कि महात्मा गांधी की मां का नाम पुतलीबाई था। हमने उससे पूछा कि तुमको कैसे मालूम तो उसने बताया कि उनसे महात्मा गांधी के निबंध में पढ़ा है। उसने हमें यह निबंध भी दिखाया। वह निबंध देखकर हमें इसलिए खुशी हुई क्योंकि वह अंग्रेजी में था। हमें लगा कि चलो कम से कम इंग्लिश मीडियम में पढऩे वाले बच्चों को तो महात्मा गांधी के बारे में जानकारी मिल रही है। यह एक अच्छा संकेत हो सकता है। लेकिन दूसरी तरफ हमारी युवा पीढ़ी जरूर गांधी दर्शन से परहेज किए हुए हैं। हां अगर गांधी जी के नाम को भुनाने के लिए गांधीगिरी करने की बारी आती है तो मीडिया में स्थान पाने के लिए जरूर युवा गांधीगिरी करने से परहेज नहीं करते हैं।

9 टिप्पणियाँ:

बेनामी,  शुक्र मई 08, 08:55:00 am 2009  

गांधी का नाम अब मात्र भुनाने के लिए ही रह गया है अपने देश में। जब नेताओं को लगता है कि उनकी दाल गलने वाली नहीं है तो ले आते हैं बापू को सामने। शर्म आनी चाहिए आज के नेताओं को जो सत्ता में बैठे हैं और देश को आजादी दिलाने वाले की ही अपने देश में कदर नहीं हो रही है।

बेनामी,  शुक्र मई 08, 09:08:00 am 2009  

आपके शहर के यादव जी को हमारा साधुवाद जिन्होंने राष्ट्रपिता का मान रखा और गांधी दर्शन की पढ़ाई कर रहे हैं आज देश को ऐसे ही यादवों की जरूरत है न की लालू यादव की

guru शुक्र मई 08, 09:23:00 am 2009  

हे राम... अच्छा है यह सब देखने बापू जिंदा नहीं हैं गुरु

अजित गुप्ता का कोना शुक्र मई 08, 10:33:00 am 2009  

युवा पीढ़ी (प्रत्‍येक युग की) की नजर हमेशा उन सिद्धान्‍तों पर रहती हैं जहाँ से अर्थ की सम्‍भावना हो। गाँधी का दर्शन तो त्‍याग का दर्शन था अत: वह कैसे लोगों का आदर्श बन सकता है? आज की युवापीढ़ी तो पूर्ण रूप से भोगवादी पीढ़ी है। इसलिए गाँधी ने कभी भी युवाओं को आकर्षित नहीं किया।

Unknown शुक्र मई 08, 10:47:00 am 2009  

गांधी जी के नाम को भुनाने के लिए गांधीगिरी करने की बारी आती है तो मीडिया में स्थान पाने के लिए जरूर युवा गांधीगिरी करने से परहेज नहीं करते हैं। यह सही बात कही है आपने

Anil Pusadkar शुक्र मई 08, 10:56:00 am 2009  

राजकुमार गांधी जी पर बात करना अब फ़ैशन है और सिर्फ़ दिखावे के लिये बापू को हर सरकारी दफ़्तर की दीवार पर टांग दिया गया है।उन्ही के सामने सारे अनैतिक काम हो रहे है। इस स्थिति पर तो बस यही कहा जा सकता है हे राम्।

Unknown शुक्र मई 08, 01:12:00 pm 2009  

गांधी को जानने वाले बच्चों को सलाम और युवाओं को लानत

Pramendra Pratap Singh शुक्र मई 08, 02:23:00 pm 2009  

आज जो दशा देश की है उसमे गांधी का बड़ा योगदान है। कोई लानत दे वो स्‍वीकार होगा किन्‍तु गांधी ने आजादी की लड़ाई में जो वैमनस्‍य फैलाया उसका परिणाम है कि आज तक है उससे उबर नही पाये है।

गांधी एक समूह के आदर्श हो सकते है देश के नही, वह समूह उन्‍हे भगवान मान सकता है किन्‍तु वास्तविता यह है, आज पुर्नइतिहास लेखन की जरूरत है। ताकि देश को नेहरू-गांधी के चंगुल से आजाद किया जा सके।

rajesh patel शुक्र मई 08, 05:18:00 pm 2009  

अनिल जी की बातों से हम सहमत हैं

Related Posts with Thumbnails

ब्लाग चर्चा

Blog Archive

मेरी ब्लॉग सूची

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP