पंडवानी का बढ़ाया मान-रितु को बिस्मिल्लाह सम्मान
अपने राज्य छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाने का काम लगातार यहां की महिलाएं कर रही हैं। वैसे भी छत्तीसगढ़ की नारी सब पर भारी रही है। अभी प्रदेशवासी राज्य की किरण कौशल के संघ लोक सेवा आयोग में पूरे देश में तीसरा स्थान पाने की खुशियों को समेट भी नहीं पाए थे, कि खबर आई कि अब अपने राज्य की पंडवानी गायिका रितु वर्मा को बिस्मिल्लाह खां सम्मान दिया जाएगा। इस खबर ने जहां प्रदेश की पूरी कला और संस्कृति बिरादरी को खुशी के सागर में डुबो दिया, वहीं प्रदेश का हर नागरिक गौरव महसूस कर रहा है। हकीकत में अगर कोई राज्य नारी सशक्तिकरण की तरफ बढ़ रहा है तो वह अपना राज्य छत्तीसगढ़ है। यहां की महिलाएं काम करने के मामले में भी आगे हो गई हैं। छत्तीसगढ़ की महिलाओं के बारे में अगर यह कहा जाए कि वे आत्मनिर्भर हो गई हैं तो गलत नहीं होगा।
पंडवानी गायन एक ऐसी कला है जिसको सुनने वालों की कमी अपने देश के साथ विदेशों में भी नहीं है। जब पंडवानी में गायक या गायिका तानपुरे के साथ महाभारत कथा का बखान करते हैं तो सुर और ताल के साथ इस बखान को सुनने वाले श्रोता झूमे बिना रह ही नहीं सकते हैं। एक समय पंडवानी का मान बढ़ाने का काम अपने राज्य की पद्मश्री तीजनबाई ने किया था। तीजन बाई को जब पद्मश्री मिला था तब भी अपने राज्य की कला बिरादरी बहुत खुश हुई थी। अब तीजन बाई के बाद पंडवानी को एक नया आयाम देनी वाली रितु वर्मा को बिस्मिल्लाह खां पुरस्कार मिलने वाला है। रितु की बात की जाए तो वह महज 6 साल की उम्र से पंडवानी गा रही हैं। गुलाबदास मानिकपुरी से यह कला सीखने के बाद उन्होंने इसका प्रदर्शन अपने देश के साथ विदेशों में ब्रिटेन, जापान, फ्रांस और अमरीका में किया है। रितु को जितना सम्मान अपने देश में मिला है, उतना ही विदेशों में भी मिला है। रितु वेदमति शैली में पंडवानी का गायन करती है।
बहरहाल रितु को मिले सम्मान ने एक बार फिर से छत्तीसगढ़ की नारी पर बात कर
छत्तीसगढ़ को जो लोग पिछड़ा राज्य मानते हैं वे भी यह बात अच्छी तरह से जान लें कि राज्य पर भले पिछड़ा राज्य होने का ठप्पा लगा है, पर कम से कम यहां की महिलाएं पढ़ाई में भी किसी से कम नहीं हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि अपने राज्य की महिलाओं के कदम लगातार सफलता की तरफ बढ़ रहे हैं कुछ समय पहले ही रविशंकर विवि की एक प्रोफेसर डा. सरला शर्मा ने एक शोध किया था जिसमें यह बात सामने आई थी निम्न स्तर पर जीवन यापन करने वाली महिलाओं की जीवन शैली में नौकरी के कारण काफी बदलाव आया है।
ने का मौका दे दिया है। रितु क्या आज छत्तीसगढ़ में महिलाएं वास्तव में ऐसे-ऐसे काम कर रही हैं जिससे पूरे राज्य का मान बढ़ रहा है। रितु से पहले अपने राज्य की किरण कौशल ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में देश में तीसरा स्थान प्राप्त कर यह बताया कि छत्तीसगढ़ को जो लोग पिछड़ा राज्य मानते हैं वे भी यह बात अच्छी तरह से जान लें कि राज्य पर भले पिछड़ा राज्य होने का ठप्पा लगा है, पर कम से कम यहां की महिलाएं पढ़ाई में भी किसी से कम नहीं हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि अपने राज्य की महिलाओं के कदम लगातार सफलता की तरफ बढ़ रहे हैं कुछ समय पहले ही रविशंकर विवि की एक प्रोफेसर डा. सरला शर्मा ने एक शोध किया था जिसमें यह बात सामने आई थी निम्न स्तर पर जीवन यापन करने वाली महिलाओं की जीवन शैली में नौकरी के कारण काफी बदलाव आया है। एक समय वह था जब निम्न वर्ग में महिलाओं को काम करने नहीं दिया जाता था, लेकिन अब समय की मांग को देखते हुए इस वर्ग ने भी अपने घर की महिलाओं को घर की चारदीवारी से बाहर जाने की इजाजत दी है। इसका नतीजा यह रहा है कि जहां निम्न वर्ग के लोगों के रहन-सहन में बदलाव आया है, वहीं महिलाओं ने घर को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम किया है। छत्तीसगढ़ में पूर्व में निम्न स्तर पर महिलाओं का प्रतिशत 39 था जो अब घटकर महज पांच प्रतिशत रह गया है। रायपुर की बात करें तो यहां का प्रतिशत 41 से घटकर 7 हुआ है। एक तरफ जहां निम्न वर्ग की महिलाओं का रूझान काम के प्रति बढ़ा है तो दूसरी तरफ उच्च वर्ग की महिलाएं अब काम करने की बजाए घर संभालने की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। उच्च वर्ग में पहले 14 प्रतिशत महिलाएं ही घरों को संभालती थीं, लेकिन अब इसका प्रतिशत 48 हो गया है। यानी आज करीब आधी महिलाएं ही बाहर काम करने में रूचि रखती हैं।जो महिलाएं बाहर काम करती हैं उन पर घर के काम का दवाब कम नहीं होता है। शोध में यह बात सामने आई है कि दबाव के मामले में रायपुर की महिलाएं किस्मत वाली हैं। उन पर घर के काम का दबाव महज 34 प्रतिशत है। इस मामले में बिलासपुर की महिलाएं बदकिस्मत हैं कि उनको बाहर का काम करने के बाद भी घर का ज्यादा से ज्यादा काम करना पड़ता है। बिलासपुर का प्रतिशत 66 हैं। एक तरफ जहां बिलासपुर की महिलाएं घर के काम के बोझ से भी दबी हुई हैं, वहीं उन पर ही घर का खर्च चलाने का जिम्मा ज्यादा है। शोध में यह बात सामने आई है कि बिलासपुर की 43 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं घर का 75 प्रतिशत खर्च उठाती हैं। रायपुर में यह प्रतिशत महज 13 प्रतिशत है। एक तरफ निम्न वर्ग की महिलाएं काम में आगे बढ़ रही हैं तो दूसरी तरफ यहां की महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में पुरस्कार पाने में ही सफल हो रही है।
8 टिप्पणियाँ:
बिस्मिल्ला खां सम्मान पाना अपने आप में बड़ी बात है। किसी भी कलाकार के लिए ऐसा सम्मान मायने रखता है। सम्मान पाने से कलाकार की कला में और निखार आता है, हमारी बधाई।
राज्य के पिछड़ा होने से कुछ नहीं होता, मन में हो अगर सच्चा विश्वास और लगन तो सफलता अपने आप इंसान के कदम चूमती है। आपका राज्य और तरीकी करे और आपके राज्य की महिलाएँ नीति नए आयाम बनाए यही शुभकामनाएं हैं।
रोहित शर्मा दिल्ली
पंडवानी कला के चाहने वाले देश के हर कोने में हैं। रितु वर्मा को सम्मान मिलने पर हमारी बी बधाई उन तक पहुंचा दें।
चलिए कोई राज्य तो नारी सशक्तिकरण की तरफ बढ़ रहा है गुरु
प्रेरक समाचार। पंडवानी जी को हार्दिक बधाईयॉं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
पंडवानी गायन सुनने का मौका कभी नहीं मिला है, लेकिन अब लग रहा है कि हमने कुछ अच्छा सुनने से अब तक वंचित हैं। अवसर मिला तो पंडवानी का रसपान जरूर करेंगे।
किरण कौशल और रितु वर्मा को बधाई
हमें ऋतू वर्मा तीजन बाई से भी अच्छी लगती थी. उसके बचपन के कार्यक्रम बहुत ही प्रभावी हुआ करते थे.हमारी भी बधाईयाँ.
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