कितना बदल गया इंसान, दोस्त-दोस्त न रहा...
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान.. कितना बदल गया इंसान..., दोस्त-दोस्त न रहा वाली बातें आज के जमाने में ज्यादा देखने को मिल रही है। कदम-कदम पर बस धोखा और फरेब के सिवाए कुछ नहीं है। जो इंसान किसी का भला करने की सोचता है, वहीं छला जाता है। अब यह बात अलग है कि छले जाने के बाद भी लोग किसी की मदद करना नहीं छोड़ते हैं। हर कदम पर ऐसे-ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं जिससे लगता है कि आखिर आज इंसान किस दिशा में जा रहा है और क्यों इतना स्वार्थी हो गया है कि सिवाए उसे अपने कुछ और नजर ही नहीं आता है।
कल ही की बात है हम खेल बिरादरी के कुछ लोगों के साथ बैठे थे तो हमें अपने खेल अधिकारी मित्र के बारे में किसी ने बताया कि यार उसने अपने साथ काम करने वाले एक और खेल अधिकारी का भला करने के लिए उसे भी स्पोट्र्स में पीएचडी करने का रास्ता दिखाया तो उस अधिकारी ने उसका ही रास्ता बंद करने का काम किया। जब हमने उस खेल से जुड़े बंदे से अपने मित्र का किस्सा बताने के लिए कहा तो उसने जो बातें बताई वो कुछ इस तरह से हैं कि हमारे वे मित्र एक कॉलेज में खेल अधिकारी है। हमारे इस मित्र की एक आदत है कि वे हमेशा किसी की भी मदद करने के लिए तैयार हो जाते हैं। हमें आज भी याद है वह दिन जब उन्होंने छत्तीसगढ़ मे पहली बार मोटर स्पोट्र्स का एक बड़ा आयोजन किया था और कारों का एक बड़ा काफिला रायपुर से मैनपाट के लिए गया था।
जिनके जीवन में डॉ. फरिश्ता जैसा इंसान फरिश्ता बनाकर आया हो वो इंसान भला कैसे किसी की मदद नहीं करेगा। ऐसे में जबकि उनको स्पोट्र्स में पीएचडी करने का ख्याल आया तो उन्होंने अपने साथी उन खेल अधिकारी को भी इसमें शामिल कर लिया जिस खेल अधिकारी ने उनकी स्थाई नौकरी को एक बार हथिया लिया था। इसके बाद भी उन्होंने उस बात को भूलकर अपने साथी को इसलिए डीएचडी करने में मदद करने का काम किया कि शायद अब वह बदल गया हो, लेकिन यहां पर भी एक बार उनको फिर धोखा मिला।
जिनके जीवन में डॉ. फरिश्ता जैसा इंसान फरिश्ता बनाकर आया हो वो इंसान भला कैसे किसी की मदद नहीं करेगा। ऐसे में जबकि उनको स्पोट्र्स में पीएचडी करने का ख्याल आया तो उन्होंने अपने साथी उन खेल अधिकारी को भी इसमें शामिल कर लिया जिस खेल अधिकारी ने उनकी स्थाई नौकरी को एक बार हथिया लिया था। इसके बाद भी उन्होंने उस बात को भूलकर अपने साथी को इसलिए पीएचडी करने में मदद करने का काम किया कि शायद अब वह बदल गया हो, लेकिन यहां पर भी एक बार उनको फिर धोखा मिला। हमारे मित्र ने अपने साथी के लिए न सिर्फ एक गाईड का इंतजाम किया, बल्कि उनके कहने से ही उनको को-गाईड भी मिला। इतना सब करने वाले इंसान के साथ उस अधिकारी ने यह किया कि विवि में सेटिंग करके उनकी थीसिस गायब करवा दी। इसी के साथ एक और खेल अधिकारी की भी थीसिस उन्होंने गायब करवा दी। हमारे मित्र सहित कुल तीन ने पीएचडी के लिए थीसिस जमा की थी। उस कथित खेल अधिकारी को पीएचडी लेने की इतनी जल्दी है कि वे लंदन गए अपने गाईड का भी इंतजार नहीं किया और को-गाईड को लेकर वाइवा करवा लिया। उनकी सारी करतूत जानकर हमारे वे मित्र काफी दुखी है और सोचने लगे है कि क्या वास्तव में किसी की भी मदद करने वालों का यही हश्र होता है।
21 टिप्पणियाँ:
दूसरों की मदद करने वालों का कभी बुरा हो ही नहीं सकता है मित्र। जो आदमी मदद करने वाले की कदर नहीं करता है वह एक दिन जरूर गड्ढे में जाता है।
आज की स्वार्थी दुनिया में किसी से कैसे यह उम्मीद की जा सकती है कि वह अपने फायदे के लिए दूसरे को किनारे लगाने की मानसिकता छोड़ सकता है। ऐसे स्वार्थी लोगों से आज बचने की जरूरत है। एक बार जो आदमी धोखा देता है, वह बाद में न दे ऐसा बहुत कम होता है। धोखेबाजों को मदद करने से कोई फायदा नहीं होता है।
अगर आपके दोस्त नेक इंसान नहीं होते तो क्या उनको डॉ. फरिश्ता जैसा फरिश्ता नहीं मिलता। अब इस दुनिया में कुछ बुरे इंसान है तो क्या इंसान अपनी मदद करने की फितरत को बदले दे। मदद करने वाले का सदा भला होता है दोस्त, लगे रहो
बुरे काम का बुरा नतीजा सुन भाई दोस्त सुनो भतीजा... ठीक है न गुरु
किसी विद्वान ने कहा है की मुर्ख से किनारा करो, उसका खुला विरोध नहीं!!! क्यूंकि जब वो अपनी मुर्खता से लैस होकर तुम्हारे सामने आ खडा होगा तब तुम्हारा सारा ज्ञान भी तुम्हे बचा नहीं पायेगा!!!
उज्जवल दीपक
मुंबई
भगवान ही जाने ऐसे लोगो को, जिनका दंभ एवं अंहकार मदद करनेवाले को ही मदद के बाद उन्ही को धकेलने का प्रयास करते है. ऐसे स्वार्थी लोगो को भगवान जरूर सबक देते है उपरवाले के यहाँ देर है अंधेर नहीं.उपरवाले की लाठी चलने की देर है.
डा. फरिश्ता जैसे फरिश्तों की ही जरूरत है आज की दुनिया को। जब तक ऐसे मदद करने वाले दुनिया में हैं अच्छे लोगों की मदद होती रहेगी। अच्छे लोगों का स्वार्थी कुछ बिगाड़ नहीं सकते हैं, कुछ पलों के लिए जरूर परेशानी होती है, पर आगे रास्ता निकल ही आता है।
पापा करने वालों को एक दिन सजा जरूर मिलती है, कहते हैं न कि सौ दिन सोनार का यानी चोर का और एक दिन लोहारा का यानी .... बाकी सब समझदार हैं
विष्णु तो समझ मे आ गया राजकुमार ये विष्णु का दोस्त कौन सा है?
ऐसे स्वार्थी लोगो को चुन चुन कर ......................यह लोग ऐसे नहीं सुधरेंगे , इनकी फितरत ही ऐसी है शायद परवरिश भी.इनको तो सबके सामने जुटा पड़ना चाहिए.राजकुमार जी आपके मित्र को बोलिए उस स्वार्थी दोस्त को सबके सामने जूता मारे, और हो सके तो आपकी ब्लॉग की प्रिंट निकाल कर उसको भेज दे.वैसे खुदा आपके मित्र की मदद करे और उसे हमेशा खुश रखे.
अरबाज़
ीऐसी ही है ये दुनिया अच्छे बुरे सब तरह के लोग मिलेम्गे विजय हमेशा सच्चे की होती है
Nice story to quote.
Let mr selfish do what so ever he feels better,and than the Almighty god will do something very good for him.Very Good.The very best.
u all know whats gods ----- good,better,best.Hope Mr. Rajkumar will have a followup of this trajic story....................
Rupali Mishra
प्रथम टिप्पणी में अजय जी की बात से पूर्णतया सहमत हूँ
धोखा देने वाले लोगों को नाम लिखने से परहेज क्यों मित्र ऐसे घटिया लोगों का नाम जग-जाहिर होना चाहिए। ऐसे लोगों को जितनी लानत दी जाए कम है। भविष्य में कभी ऐसा कोई मामला सामने लाए तो जरूर ऐसे गंदे लोगों का नाम लिखे।
डॉ. फरिश्ता और आपके मित्र जैसे मदद करने वालों की ही वजह से यह कायनात कायम है। स्वार्थी लोगों को किनारे करके अच्छे लोगों को तरफ देखना चाहिए
एक बेनामी मित्र ने सही बात कही है कि स्वार्थियों की चुन-चुन कर बजानी चाहिए। क्योंकि ऐसे आदमी ही पूरे समाज और देश को गंदा कर रहे हैं। यह अपने देश का दुर्भाग्य है यहां हर दूसरा इंसान स्वार्थी है।
संजय कुमार भोपाल
अजय जी के बातों से हम भी सहमत हैं
ऐसे लोगो को कुछ नहीं करना चाहिए बस जहा मिले वाही पूरे समाज के द्वारा बायकाट किया जाना चाहिए .राजकुमार जी सेल्फिश और लालची खेल अधिकारी का नाम ओपन कर दीजिये ,और उसके आसपास के लोगो को भी खुल कर बताने का कष्ट करिए.अपने मित्र की हिम्मत बढाइये.
विजय
जो स्वार्थी जूते खाने के लायक हैं ऐसे लोगों का नाम न बताने का क्या फायदा। हमारे साथी ठीक कह रहे हैं कि ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए। जो लोगों अपनी मदद करने वालों के नहीं होते हैं ऐसे लोगों को समाज से बाहर कर देना चाहिए। सभी को ऐसे लोगों की जानकारी होनी चाहिए ताकि ऐसे सांपों से लोग सतर्क रह सके। संभव हो तो उस आदमी का नाम जरूर उजागर करें।
महोदय आपको हमारी सलाह है कि आप अपने मित्र को सलाह दें कि वे इस मामले को जरूर पुलिस तक ले जाएँ और उन सबका कच्चा चिट्ठा खोले जो इस मामले में उस खेल अधिकारी के साथ है। किसी की थीसिस गायब करवाना बहुत बड़ा अपराध है। ऐसे अपराधियों को खुला छोडऩे समाज के लिए घातक है।
थीसिस गायब करवाने वाले को हमारी तरफ से भी दस जूते मारना, लेकिन कभी किसी की मदद करने की आदत मत छोडऩा। मदद करने वाले इंसानों से ही इस जहांन का गुलशन आबाद है मेरे दोस्त
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