एक तरफ पानी की बेवजह बहती धार-दूसरी तरफ पानी के लिए लोग बेजार
अपने राज्य छत्तीसगढ़ में इस समय चारों तरफ पानी की मारामारी चल रही है। एक तरफ ऐसे लोग ज्यादा हैं जिनको पानी नसीब नहीं हो रहा है, तो दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास पानी की कमी नहीं है, लेकिन इनको पानी की कदर नहीं है। जिनको पानी की कदर नहीं है, उन पर पानी के लिए तरसने वालों को काफी गुस्सा आता है। लेकिन उनकी यह मजबूरी है कि वे ऐसे लोगों का कुछ नहीं कर पाते हैं, लेकिन जो लोग ऐसे लोगों का कुछ कर सकते हैं वे कुछ करना नहीं चाहते हैं। ऐसे में ही बूंद-बूंद पानी को तरसने वालों का आक्रोश फूटता है तो वे अफसरों की बजाने के लिए पहुंच जाते हैं उनके दफ्तर में और तब होती है उनको चूडिय़ां भेट करने से लेकर ऐसे अफसरों के घरों के नल कनेक्शन काट देने की बात। लेकिन ये सिर्फ बातें ही होती है ऐसा कोई कर नहीं कप पाता है। काश ऐसा करने का साहस दिखाने का काम किया जाता तो जरूर अफसरों को मालूम होता कि पानी की असली कीमत क्या है।
छत्तीसगढ़ इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है। इस गर्मी में से तो लोग परेशान हैं ही, ऊपर से आलम यह है कि पानी के लिए भी लोगों को तरसना पड़ रहा है। जिनको पानी नसीब नहीं होता है उनकी बातें सुनने पर मालूम होता है कि उनके दिलो-दिमाग में कितना गुस्सा है। एक दिन पहले की बात है कबीरनगर में पानी की कमी को देखते हुए वहां की महिलाओं ने फैसला किया कि गृह निर्माण मंडल के दफ्तर में जाकर अफसरों को खरी-खरी सुनाने के साथ उनको चूडिय़ां भेंट की जाएं क्योंकि ऐसे अफसर उनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे हैं जो पम्पों से पानी खींच रहे हैं और पानी की बर्बादी कर रहे हैं।
जब महिला मंडली का यह फैसला चल रहा था कि मंडल के दफ्तर में जाना है, तब वहां पर महिला मंडली की महिलाएं अपनी-अपनी समस्याएं भी बता रहीं थीं। एक महिला ने कहा कि हमारे घर के पास एक जनाब रहते हैं उनकी टंकी फूल होने के बाद भी उनको होश नहीं रहता है, जनाब आराम से उठते हैं तो पता चलता है कि पानी बेभाव के बह रहा है। एक और जनाब का भी यही हाल है। उनके कूलर में सीधे पाइप लगा हुआ है। जनाब सोते रहते हैं और पानी बाहर बहते रहते है। इस महिला का कहना था कि एक तरफ हम पति-पत्नी एक-एक बाल्टी पानी के झगड़ा करते रहते हैं और दूसरी तरफ लोग मजे से बिजली की खफत करके पानी की बर्बादी करते रहते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ अधिकारी कुछ करते भी नहीं है। ऐसी ही बातें हर दूसरी महिला बात रही थी।
बहरहाल जब यह महिला मंडली दूसरे दिन मंडल के दफ्तर में गई तो वहां पर अफसरों को खरी खोटी सुनाने में किसी ने कमी नहीं दी। कई महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि सभी अफसरों के नल के कनेक्शन काट दो तब इनको समझ में आएगा की पानी की कदर कैसे होती है। अफसरों को चूडिय़ां भी भेंट की गईं। लेकिन इसका नतीजा कुछ नहीं निकला आज भी वहां की महिलाएं पानी के लिए तरह रही हैं और दूसरी तरफ निक्कमे और नाकार लोगों के घरों में पानी बह रहा है। निश्तित ही यह हाल एक अकेले रायपुर का नहीं बल्कि आज देश के हर शहर का है लेकिन इसका क्या किया जाए कि जिसके पास जो चीज है उसकी उसको कदर नहीं है और जिसको उसकी कदर है उसके पास वह चीज है ही नहीं।
छत्तीसगढ़ इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है। इस गर्मी में से तो लोग परेशान हैं ही, ऊपर से आलम यह है कि पानी के लिए भी लोगों को तरसना पड़ रहा है। जिनको पानी नसीब नहीं होता है उनकी बातें सुनने पर मालूम होता है कि उनके दिलो-दिमाग में कितना गुस्सा है। एक दिन पहले की बात है कबीरनगर में पानी की कमी को देखते हुए वहां की महिलाओं ने फैसला किया कि गृह निर्माण मंडल के दफ्तर में जाकर अफसरों को खरी-खरी सुनाने के साथ उनको चूडिय़ां भेंट की जाएं क्योंकि ऐसे अफसर उनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे हैं जो पम्पों से पानी खींच रहे हैं और पानी की बर्बादी कर रहे हैं।
जब महिला मंडली का यह फैसला चल रहा था कि मंडल के दफ्तर में जाना है, तब वहां पर महिला मंडली की महिलाएं अपनी-अपनी समस्याएं भी बता रहीं थीं। एक महिला ने कहा कि हमारे घर के पास एक जनाब रहते हैं उनकी टंकी फूल होने के बाद भी उनको होश नहीं रहता है, जनाब आराम से उठते हैं तो पता चलता है कि पानी बेभाव के बह रहा है। एक और जनाब का भी यही हाल है। उनके कूलर में सीधे पाइप लगा हुआ है। जनाब सोते रहते हैं और पानी बाहर बहते रहते है। इस महिला का कहना था कि एक तरफ हम पति-पत्नी एक-एक बाल्टी पानी के झगड़ा करते रहते हैं और दूसरी तरफ लोग मजे से बिजली की खफत करके पानी की बर्बादी करते रहते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ अधिकारी कुछ करते भी नहीं है। ऐसी ही बातें हर दूसरी महिला बात रही थी।
बहरहाल जब यह महिला मंडली दूसरे दिन मंडल के दफ्तर में गई तो वहां पर अफसरों को खरी खोटी सुनाने में किसी ने कमी नहीं दी। कई महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि सभी अफसरों के नल के कनेक्शन काट दो तब इनको समझ में आएगा की पानी की कदर कैसे होती है। अफसरों को चूडिय़ां भी भेंट की गईं। लेकिन इसका नतीजा कुछ नहीं निकला आज भी वहां की महिलाएं पानी के लिए तरह रही हैं और दूसरी तरफ निक्कमे और नाकार लोगों के घरों में पानी बह रहा है। निश्तित ही यह हाल एक अकेले रायपुर का नहीं बल्कि आज देश के हर शहर का है लेकिन इसका क्या किया जाए कि जिसके पास जो चीज है उसकी उसको कदर नहीं है और जिसको उसकी कदर है उसके पास वह चीज है ही नहीं।
5 टिप्पणियाँ:
हर शहर का यही हाल है गुरु
चलो महिला मंडली ने इतनी हिम्मत तो दिखाई जो जाकर गृह निर्माण मंडल के अधिकारियों का घेराव किया और उनको चूडियां भेंट करने का साहस किया। पुरुषों को सोचना चाहिए ये काम उनका है। मगर पुरुष तो पानी की बर्बादी करने की सिवाए कुछ जानते नहीं हैं।
जब सब लोग यह बात जानते हैं कि जल ही जीवन है तो फिर इसकी बर्बादी को रोकने के लिए सब मिलकर पहल क्यों नहीं करते हैं। जल को बचाने के लिए साङाा प्रयास के बिना कुछ होना संभव नहीं है।
प्राकृतिक संसाधनों के प्रति ऎसी बेरहमी दिल दहला देने वाली है । जिस देश में नदी तालाब ,कुएँ ,बावड़ियों को पूजने की परंपरा रही हो , जहाँ हाथ में पानी लेकर संकल्प लेने , कसम खाने का लम्बा इतिहास हो वहाँ जल के प्रति लोगों का लापरवाह रवैया संस्कृति से दूर हटती पीढ़ियों की ओर भी इंगित करता है । भ्रष्टाचार भी एक बड़ी वजह है । आर्थिक रुप से मज़बूत वर्ग जानता है कि उसे अपने आपको कष्ट देकर पानी की बचत करने की कोई ज़रुरत ही नहीं । वह हर कीमत पर पानी खरीद सकता है । इधर पानी की मद में खर्च बढ़ेगा ,उधर वह भी काम के दाम बढ़ा देगा ।
पानी की बचत करना सब का फर्ज है
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