चारो धाम घरवाली है...
" सासु तीरथ॥ससुरा तीरथ.. तीरथ साला-साली हैं, दुनिया के सब तीरथ झूठे चारो धाम घरवाली है..." लगता है अब इस गाने को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है और सलाह दे डाली है कि घरवाली की बात मानो... नहीं तो भुगतो। इसमें कोई दो मत नहीं है दुनिया के बड़े-बड़े गुंड़े-मवाली भी अगर किसी से डरते हैं तो वो बीबी ही होती है। एक बार खबर आई थी अंडर वल्र्ड डॉन दाउद इब्राहीम भी अपनी बीबी को देखकर कांपते हैं। अब अगर सुप्रीम कोर्ट यह बात कह रहा है तो क्या गलत है। लगता है सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाने वाले जज महोदय भी भुक्तभोगी रहे हैं तभी तो उन्होंने अपने फैसले में लिखा है कि हम सब इसके भुक्तभोगी हैं।
महिलाओं को कहने के लिए भले अबला नारी कहा जाता है, लेकिन जब संविधान की बात आती है तो नारी ही इसमें सबसे ज्यादा सबला नजर आतीं है। अब सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले के बाद भी यह बात साबित हो गई है कि भईया कुछ भी हो जाए किसी महिला खासकर अपनी पत्नी से तो पंगा लेना भी मत। अगर पंगा लिया तो वह महंगा ही पड़ेगा। कोर्ट का भी ऐसा मानना है कि घरवाली जो बोलती है उनको चुप-चाप मानने में ही भलाई है। अब उस बोलने बताने में गलत-सही की पहचान करने का अधिकार भी आपका नहीं है। अगर कुछ गलती निकालने की कोशिश की तो समझो आपकी शामत आ जाएगी। अब तक तो हमारे विचार से पुरुषों को लगता था कि अगर उनके साथ अन्याय होता है और उनको अपनी घरवाली से प्रताडऩा मिलती है तो कम से कम कोर्ट का दरवाजा तो खटखटा ही सकते हैं पर अब तो यह दरवाजा भी बंद ही हो गया समझो। ऐसे में अब आपके पास जब कोई रास्ता बचा ही नहीं है तो घरवाली को ही अपने काका राजेश खन्ना की तरह चारो धाम मानने में क्या बुराई है। वैसे काका ने एक फिल्म के गाने में पत्नी को चारो धाम बताया है। अब उन्होंने ऐसा बताया है तो उस गाने को लिखने वाले कवि महोदय ने भी कुछ सोचकर ही ऐसा गाना लिखा होगा। अब यह तो हम नहीं जानते हैं कि वे कवि महोदय भी अपने सुप्रीम कोर्ट के जज की तरह भुक्तभोगी रहे हैं या नहीं, लेकिन उनके गाना लिखने से जरूर लगता है कि वे भी कहीं न कहीं तो चोट खाए हुए होंगे ही। वैसे भी कवियों को जब तक चोट नहीं लगता है वो कहां अच्छा लिख पाते हैं।
सवाल सिर्फ जज और कवि का नहीं है, यहां सवाल हर आदमी का है। अगर देखा जाए तो कम से कम भारत में तो आधे से ज्यादा आदमी घरवाली की बातें मानते हैं। बातें नहीं मानते हैं
यहां एक बात और यह है कि जहां तक हमारा मानना है कि जो इंसान कुछ गलत करता है वहीं अपनी पत्नी से खौफ खाता है, जो इंसान कुछ गलत नहीं करता है उसको खौफ खाने की जरूरत इसलिए नहीं होती है क्योंकि उनकी पत्नी भी इस बात को जानती है कि उनके पति अच्छे हैं तो फिर वो ऐसा कुछ करती ही नहीं हंै जिससे उनके पति को खौफ का सामना करना पड़े। कहने का मतलब यह है कि अगर आप में कोई ऐब नहीं है तो आपको न तो घरवाली से डरने की जरूरत है और न ही आपको घरवाली डराने का काम करेगी। ऐसे लोगों का परिवार ही तो हैप्पी फेमिली होता है।
तो उनसे खौफ तो जरूर खाते हैं। जिस इंसान के खौफ से पूरी दुनिया कांपती हो वो इंसान भी अगर अपनी घरवाली से खौफ खाने वाला हो तो फिर बाकी की बिसात ही क्या है। हम यहां पर बात करें रहे हैं अंडर वल्र्ड डॉन दाउद इब्राहीम की। उनके बारे में एक बार खुलासा हुआ था जब भी अपनी किसी महिला मित्र के साथ रहते थे और उनको उनके गुर्गे बताते थे कि भाभीजी आ रही हैं तो उनकी हालत पतली हो जाती थी। अगर हर आदमी के मन को सही तरीके से टटोल कर देखा जाए तो उसमें से यही बात सामने आएगी कि हर आदमी अपनी घरवाली से खौफ तो खाता है, अब यह बात अलग है कि कोई इसको स्वीकार कर लेता है कोई नहीं करता है। यहां एक बात और यह है कि जहां तक हमारा मानना है कि जो इंसान कुछ गलत करता है वहीं अपनी पत्नी से खौफ खाता है, जो इंसान कुछ गलत नहीं करता है उसको खौफ खाने की जरूरत इसलिए नहीं होती है क्योंकि उनकी पत्नी भी इस बात को जानती है कि उनके पति अच्छे हैं तो फिर वो ऐसा कुछ करती ही नहीं हैं जिससे उनके पति को खौफ का सामना करना पड़े। कहने का मतलब यह है कि अगर आप में कोई ऐब नहीं है तो आपको न तो घरवाली से डरने की जरूरत है और न ही आपको घरवाली डराने का काम करेगी। ऐसे लोगों का परिवार ही तो हैप्पी फेमिली होता है।बहरहाल कुछ दिनों पहले की ही बात है हम लोग प्रेस क्लब में बैठे थे और चर्चा निकल पड़ी की कौन अपनी घरवाली से डरता है। हमारे एक मित्र ने बताया कि एक दिन वे अपने एक दोस्त को अपने कुछ दोस्तो के साथ लेने के लिए रात को 10 बजे गए थे तो उनकी पत्नी ने पूछा कि कब वापस आओगे। अब जनाब की हालत खराब थी कि दोस्तों के सामने क्या जवाब दें। उनको अपनी प्रतिष्ठा पर आंच आती नजर आ रही थी। ऐसे में जनाब ने यह फार्मूला निकाला कि कार में बैठते-बैठते अपनी पत्नी की तरफ देखे बिना ही बोले कल आऊंगा, कल। उनका ऐसा बोलना था कि उनके एक मित्र ने कहा कि अबे इधर नहीं भाभी की तरफ देखकर बोल न। ऐसे और कई उदाहरण हैं। एक मित्र ने बताया कि एक दोस्त थोड़ी सी पी लेते हैं तो फिर घर जाने से डरते हैं। जब तक उनकी उतर नहीं जाती है इधर-उधर भटकते रहते हैं। जब उनको लगता है कि अब उनके मुंह से महक नहीं आएगी तब पान-गुटखा खाकर घर पहुंचते हैं। लेकिन तब भी बात नहीं बनती है पत्नी तो पत्नी है ताड़ जाती हैं कि जनाब पीकर आए हैं। अगर कोई इंसान इस मुगालते में रहता है कि वह पीकर घर जाएगा या फिर कुछ गलत करेगा और उनकी घरवाली को मालूम नहीं होगा तो वह इंसान बेवकूफ है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि पत्नियों का सिक्ससेंस बहुत ज्यादा तगड़ा होता है और उनको अपनी पति की कारगुजारियों का सिक्ससेंस से भान हो जाता है तो जनाब इस बात को हमेशा ध्यान रखे और साथ ही सुप्रीम कोर्ट से उस फैसले को भी जिसमें पत्नी की हर बात को मानने की सलाह दी गई है। अगर आप ऐसा करते हैं तो फिर आपका जीवन सुखी रहेगा। अब आप घरवाली को चारो धाम मान ही लें इसमें भलाई है, वरना आपकी भी बज जाएगी बैंड....।
12 टिप्पणियाँ:
क्या गुरु आप भी....
कोर्ट ने जो अधिकारी महिलाओं को दिए हैं उसका हमेशा गलत फायदा उठाने का काम ही महिलाओं ने किया है। कई उदाहरण हंै जब पुरुषों पर दहेज प्रताडऩा से लेकर कई गंभीर और बेबुनियाद आरोप लगाए जाते हैं। कोई महिला तलाक लेना चाहे तो कोई भी गलत आरोप लगाकर तलाक ले सकती है, लेकिन कोई पुरुष सही आरोप भी लगाए तो कोर्ट उसको मनाती नहीं है। कोर्ट कहती है कि 17 साल इंतजार किया है और थोड़ा और इंतजार करने में क्या जाएगा।
अगर आप में कोई बुराई नहीं है तो फिर आपकी जीवनसाथी क्यों आपको प्रताडि़त करेगी। इंसान अगर बुराई से दूर रहेगा तो उसका साथ सब देते हैं।
जब तक कोई आदमी कोई गलत काम नहीं करता है उसको कोई भी पत्नी बिना वजह परेशान नहीं करती है। जब किसी को गलत रास्ते पर जाने से रोकने का काम कोई महिला करती है तो उस पर पत्नी को प्रताडि़त करने का आरोप लगा दिया जाता है।
यह बात तो बिलकुल ठीक है मित्र की चारो धाम घरवाली ही होती है।
सुप्रीम कोर्ट के जज ने अपने विवेक से फैसला किया है, अब उनके फैसले पर क्या कहा जा सकता है। जज ने जो बात कही है तो वह सच ही कही होगी।
सुप्रीम कोर्ट के जज ने आप बीती सुनाई फैसला नहीं। अब उस की तो मुसीबत हैं न कि किस अदालत में दरख्वास्त लगाए?
अब अबला नारी नहीं अबला पुरुष का जमाना है मित्र। नारी के पक्ष में जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फरमान जारी कर दिया है तो अब पुरुषों को तो शादी करने से पहले हजारों नहीं लाखों बार सोचना पड़ेगा।
Bilkul sahi line pakdi hai.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कोर्ट के ऐसे फैसलों से ही तो शरीफ आदमी मारे जाते हैं। जो अपनी पत्नी को प्रताडि़त करने का काम करते हैं उनको फांसी पर भी चढ़ा दिया जाए तो किसी को आपत्ति नहीं होगी, लेकिन जिन पर झूठे आरोप लगते हैं वो बेचारे तो बिना वजह मारे जाते हैं।
सुनील मिश्रा दिल्ली
सुखी जीवन के लिए अब पत्नी की बात तो माननी ही पड़ेगी। अगर नहीं मानगे बात तो कोर्ट से भी खाएंगे लात।
दुनिया माने न माने तुम तो इस फ़ार्मूले पर अमल करते रहो और खुश रहो।
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