राहुल...राहुल...राहुल... उफ.. हद हो गई...
इस बात में कोई दो मत नहीं है कि दुनिया उगते सूरज को सलाम करती है, लेकिन इतना भी क्या सलाम करना कि सलाम ही बोझ लगने लगे। ऐसा ही कुछ अपने राहुल बाबा के मामले में हो रहा है। जब से लोकसभा में यूपीए की जीत का डंका बजा है। हर कोई पेले पड़ा है राहुल का नाम लेकर। हर चैनल से लेकर सारे अखबार, चाहे वह दैनिक हों साप्ताहिक, पाक्षिक या फिर मासिक हों। कोई भी ऐसा मीडिया तंत्र नहीं है जो राहुल के पीछे पागल न हो। अरे हो गया न बाबा अब क्या पांच तक राहुल ही राहुल रटते रहोगे। राहुल चालीस लिख देने से कोई कांग्रेस या फिर यूपीए अपनी जमीन-जायजात आपके नाम करने वाली नहीं है। अब इतना भी मत सड़ाओ की कान भी पक जाएं और आंखें भी थक जाएं पढ़ते-पढ़ते।
आज पूरा एक पखवाड़ा हो गया है लोकसभा चुनावों के नतीजों को आए हुए, लेकिन इस एक पखवाड़े में ऐसा कोई दिन खाली नहीं गया होगा जब मीडिया ने अपने राहुल बाबा यानी राहुल गांधी की महिमा का बखान न किया होगा। इसमें कोई दो मत नहीं है कि आज अगर केन्द्र में यूपीए की सरकार बनी है तो उसके पीछे बहुत बड़ा हाथ राहुल का रहा है। लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जनता आज इतनी समझदार हो गई है कि उसको बेवकूफ बनाया ही नहीं जा सकता है। कहने का मतलब यह है कि अगर भाजपा गठबंधन के पास जनता को लुभाने वाले मुद्दे होते तो जरूर राहुल का जादू नहीं चलता। एक तो एनडीए ने लालकृष्ण अडवानी को प्रधानमंत्री के रूप में सामने पेश करके गलती की (ऐसा लोगों का मानना है)ऊपर से उसके पास कोई मुद्दा नहीं था। अब ऐसे में जनता के सामने एक ही विकल्प था कि वह फिर से यूपीए को ही मौका दे। और जनता ने ऐसा किया भी। वैसे इसमें भी कोई मत नहीं है कि यूपी में कांग्रेस को जो सफलता मिली है उसके पीछे राहुल और प्रियंका ही रहे हैं।
अगर राहुल बाबा आज मंत्री नहीं बने हैं तो उनको मालूम है कि मंत्री बनने से होना कुछ नहीं है। अब उन बेवकूफों को यह बात कौन समझाए जो राहुल को मंत्री बनवाने के पीछे पड़े हैं कि राहुल मंत्री बनकर मनमोहन के सामने खड़े होने से अच्छा मनमोहन को अपने सामने खड़ा रखना जानते हैं। जो सुपर प्रधानमंत्री का पावर रखता हो उसको क्या पड़ी है किसी छोटे से मंत्री का पद लेने की।
यूपी में फिर से गांधी परिवार के दिन लौटाने में राहुल का ही हाथ रहा है। यूपीए को मिली सफलता में राहुल के हाथ को कोई नकार भी नहीं रहा है और नकार भी सकता है। लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं है न की दिन-रात आप राहुल बाबा के राग को ही पेले पड़े हैं दर्शकों और पाठकों के सामने। एक तरफ अपने इलेक्ट्रानिक मीडिया वाले हैं जो वैसे भी महान लोगों की श्रेणी में आते हैं। यहां हर चैनल वाला अपने कार्यक्रम को विशेष बताता है। लेकिन टीवी देखने वाला दर्शक तो जानता है कि वह कितना बड़ा झूठ बोल रहा है, क्योंकि जिस कार्यक्रम को वह विशेष बताता है वैसा ही कार्यक्रम उस चैनल से पहले कोई और चैनल दिखा चुका होता है। हर चैनल ने राहुल पर दिखाए कार्यक्रम को विशेष ही बताया है। अरे बाबा ये चैनल वाले कब समझेंगे कि ये पब्लिक है बाबू पब्लिक जो सब जानती है। अगर नहीं जानती तो आज केन्द्र में यूपीए की नहीं एनडीए की सरकार होती और प्रधानमंत्री होते लालकृष्ण अडवानी। और फिर अपने मीडिया वाले बंधु भी राग राहुल नहीं राग अडवानी गाते नजरे आते।बहरहाल बात हो रही है राहुल बाबा की। राहुल बाबा को भुनाने का काम जहां एक तरफ इलेक्ट्रानिक मीडिया कर रहा है, वहीं प्रिंट मीडिया भी पीछे नहीं है। टीवी चैनलों के बाद दैनिक फिर साप्ताहिक और पाक्षिक अंत में मासिक, त्रैमासिक सबके सब पेले पड़े हैं राहुल की जय करने में। अरे बाबा कितनी जय करोगे हो गया न यार क्या पांच साल तक जनता के सामने यही परोसने का इरादा है कि राहुल त्याग की मूर्ति हैं, राहुल ने ये कियास राहुल ने वो किया। अगर राहुल बाबा आज मंत्री नहीं बने हैं तो उनको मालूम है कि मंत्री बनने से होना कुछ नहीं है। अब उन बेवकूफों को यह बात कौन समझाए जो राहुल को मंत्री बनवाने के पीछे पड़े हैं कि राहुल मंत्री बनकर मनमोहन के सामने खड़े होने से अच्छा मनमोहन को अपने सामने खड़ा रखना जानते हैं। जो सुपर प्रधानमंत्री का पावर रखता हो उसको क्या पड़ी है किसी छोटे से मंत्री का पद लेने की।
6 टिप्पणियाँ:
मीडिया का तो भगवान ही मालिक है, यह जिसके पीछे पड़ जाता है उसके गुणगान करने में इतना ज्यादा मशगूल हो जाता है कि वह भूल जाता है कि जनता की भी एक सीमा होती है आजमे की।
अरे आप भी कहां चले हैं मीडिया को नसीहत देने। इसने कब किसकी बात मानी है जो आपकी मानेगा। यह तो वही करता है जो इसको अच्छा लगता है। जनता से इसका सरोकार है कहां?
राहुल मंत्री बनकर मनमोहन के सामने खड़े होने से अच्छा मनमोहन को अपने सामने खड़ा रखना जानते हैं। जो सुपर प्रधानमंत्री का पावर रखता हो उसको क्या पड़ी है किसी छोटे से मंत्री का पद लेने की।
यह बात तो सोलह आने सच कही है आपने।
अरे भईया इलेक्ट्रानिक चैनल वाले जो करें कम है। ये तो पूरे 24 घंटे राहुल का जाप कर सकते हैं।
जो जीता वो सिकंदर और सिकंदर के पीछे न भागने वाला बंदर.. कही मीडिया यह मानकर तो नहीं चलता है।
जो सुपर प्रधानमंत्री का पावर रखता हो उसको क्या पड़ी है किसी छोटे से मंत्री का पद लेने की...
....बात में दम है...
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