जोगी नहीं चाहते छत्तीसगढ़ का भला...
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी लगता है कि छत्तीसगढ़ का भला चाहते ही नहीं हैं। अगर उनमें वास्तव में अपने प्रदेश के लिए कुछ करने की चाहत होती तो वे यह कदापि नहीं चाहते कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ को प्रनितिधित्व मिले ही नहीं। आज अगर छत्तीसगढ़ केन्द्र में प्रतिनिधित्व से वंचित हो गया है तो उसके पीछे स्पष्ट रूप से जोगी का ही हाथ है। यह बात साफ हो गई है कि जोगी के चलते ही प्रदेश के एक मात्र सांसद चरणदास महंत को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिल पाया है। उनको मंत्रिमंडल में रखे जाने की पूरी संभावना थी। ऐसा हो जाता तो संभवत: जोगी की जो थोड़ी बहुत प्रतिष्ठा प्रदेश में बची थी उस पर भी बट्टा लग जाता। यही वजह रही है कि जोगी ने सोनिया मईया के दरबार में पूरा जोर लगाकर महंत को मंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से रोक दिया। जनता को यह बात अच्छी तरह से समझ आ गई है कि जोगी परिवार ही विधान सभा के साथ लोकसभा चुनाव को भी अपनी बपौती मानता है। पहले जोगी खुद विधानसभा के बाद महासमुन्द से लोकसभा के लिए लड़े, फिर उन्होंने अपनी पत्नी को विधानसभा के बाद लोकसभा का टिकट दिलवा दिया। जोगी परिवार आधा दर्जन से ज्यादा बार विधानसभा और लोकसभा में लड़ा है। ऐसे में खफा जनता ने उनके परिवार को सबक सिखाने की ठानी और रेणु जोगी को खारिज कर दिया गया।
लोकसभा चुनाव में जब अजीत जोगी लाख जोर लगाने के बाद भी अपनी पत्नी श्रीमती रेणु जोगी को बिलासपुर से जीत दिलवाने में सफल नहीं हुए तभी यह बात तय हो गई थी कि अब जोगी की दाल प्रदेश में गलने वाली नहीं है। जोगी परिवार ने जिस तरह से छत्तीसगढ़ बनने के बाद लगातार चुनाव लड़ा उसके बाद से उनके परिवार की छवि लगातार जनता के बीच में खराब हो गई
महंत का जीतना कम से कम प्रदेश में जोगी को तो रास नहीं आया। उनको महंत की जीत के बाद से ही यह भय सता रहा था कि अब कहीं लोग यह न समझने लगे कि उनकी राजनीति का अंत हो गया है। वैसे महंत की जीत और रेणु जोगी की हार को इसी नजरिए से देखा जाने लगा था कि जोगी की राजनीति का अब अंत करीब आ गया है। ऐसे में जोगी ने यह बात ठान ली थी कि वे एक बार फिर से कम से कम राजनीति के जानकारों को अपना दम दिखा कर रहेंगे। ऐसे में उनके सामने एक सबसे बड़ा मौका यही था कि वे पूरा जोर लगा कर महंत को केन्द्रीय मंत्री की कुर्सी तक पहुंचने न दें। जोगी के ऐसा करने के पीछे एक और बड़ा कारण यह भी था कि महंत को मंत्री बनवाने के लिए केन्द्र में उन विद्याचरण शुक्ल से कमर कस ली थी जो जोगी के कट्टर विरोधी रहे हैं।
अगर श्री शुक्ल को, महंत को मंत्री बनवाने में सफलता मिल जाती तो यह बात पूरी तरह से तय हो जाती कि अब सोनिया के दरबार में भी जोगी की नहीं चलती है। और यह भला जोगी कैसे बर्दाश्त कर सकते थे। ऐसे में उन्होंने अपना पूरा जोर सोनिया के दरबार में लगाया और महंत को मंत्री बनने नहीं दिया। भले जोगी की इस सफलता से उनके चाहने वाले खुश हो रहे हों, लेकिन प्रदेश की जनता जरूर जोगी के इस कदम से उनसे और ज्यादा खफा हो गई है। जनता का ऐसा मानना है कि वास्तव में जोगी स्वार्थी हैं और उनको अपने अह्म के सामने प्रदेश के विकास से कोई लेना-देना नहीं है। जोगी के इस कदम ने विपक्षी दल भाजपा को भी बोलने का मौका दे दिया है। वैसे भाजपा के लिए यह फायदे की बात रही है कि कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में नहीं है। कुल मिलाकर कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी के चलते प्रदेश और प्रदेश की जनता का नुकसान हुआ है। अब जोगी परिवार को यह बात समझ लेनी चाहिए कि इस बार अगर चुनाव में उनका परिवार मैदान में आया तो उसका हश्र क्या होगा। अब प्रदेश की जनता जोगी परिवार को बर्दाश्त करने वाली नहीं है।
15 टिप्पणियाँ:
जोगी परिवार को आखिर कब तक छत्तीसगढ़ की जनता सहन करती। एक दिन तो जोगी को आईना दिखाना ही था।
जोगी ने छत्तीसगढ़ में आतंक का राज्य चलाया था उसके आतंक से एक बार मुक्त हो चुकी जनता उसको कैसे फिर राज्य सौंप सकती थी। जनता चाहती ही नहीं थी कि रेणु जोगी सांसद बने, तभी तो दिलीप सिंह जूदेव जैसे पैसे लेने वाले को भी जनता ने पसंद करने का काम किया है।
जोगी जी की अभी कुछ पूछ बाकी है क्या छत्तीसगढ़ में??
सोनिया आखिर जोगी की बात कैसे न सुनतीं आखिर हैं तो दोनों क्रास के कर्ताधर्ता। छत्तीसगढ़ में जोगी ने धर्मांतरण में कितना काम किया है सब जानते हैं। जोगी शासन में ही सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन हुआ है।
जोगी अगर छत्तीसगढ़ के हितैषी होते तो छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार दूसरी बार क्या पहली बार ही नहीं बनती।
कांग्रेस की गुटबाजी से ही तो उसकी लुटिया छत्तीसगढ़ में पहले विधानसभा में फिर लोकसभा में डूबी है। लेकिन कांग्रेस चेतने वाले नहीं हैं।
अब अगर किसी कारणवश चुनाव हो जाएं तो जोगी परिवार को जनता बता देगी कि उसकी कितनी औकात है।
अब जोगी किंग मेकर भी नहीं रहे गुरु ...
जो जैसा बोयेगा वैसा ही पायेगा
पता नही केसे केसे निकम्मे नेता भरे पडे है हमारी राज्नीति मै, जनता एक को निकालती है तो द्स ओर आ जाते है, नाम योगी लेकिन काम
चरणदास महंत को अगर मंत्री बना दिया जाता तो कौन सा छत्तीसगढ़ का विकास हो जाता। छत्तीसगढ़ का सही विकास तो रमन सरकार कर रही है। केन्द्र सरकार आखिर कितना कर देगी छत्तीसगढ़ का विकास?
अब प्रदेश की जनता जोगी परिवार को बर्दाश्त करने वाली नहीं है। यह बात बिलकुल सही कहीं है आपने, मैं भी इससे सहमत हूं।
जोगी स्वार्थी हैं और उनको अपने अह्म के सामने प्रदेश के विकास से कोई लेना-देना नहीं है।
यह तो १०० आने सच बात है
अब जोगी परिवार को यह बात समझ लेनी चाहिए कि इस बार अगर चुनाव में उनका परिवार मैदान में आया तो उसका हश्र क्या होगा। अब प्रदेश की जनता जोगी परिवार को बर्दाश्त करने वाली नहीं है।
इस बात से मैं भी सहमत हूँ
छत्तीसगढ़ की जनता को तो जोगी भगाओं मुहिम चला देनी चाहिए। जोगी के रहते की छत्तीसगढ़ का हित नहीं हो सकता है।
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