जोगी की राजनीति का अंत-अब चलेगा महंत का मंत्र
छत्तीसगढ़ में सबसे ताकतवर समझे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की राजनीति का लगता है अब अंत हो गया है। ऐसा कहने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि वे लाख कोशिशों के बाद भी जहां अपनी पत्नी को बिलासपुर लोकसभा से जीत दिलवाने में सफल नहीं हुए, वहीं कई सालों से वे जिन प्रदेशाध्यक्ष चरणदास महंत का विरोध करते रहे और प्रदेशाध्यक्ष पद से हटवाने के लिए शतरंजी चालें चलते रहे, वही महंत कोरबा से जीतने में सफल रहे। महंत को मिली सीट ही कांग्रेस की एक मात्र सीट है। ऐसे में अब यह तय लग रहा है कि कांग्रेस की आलाकमान श्रीमती सोनिया गाँधी की नजर में जहां महंत की कीमत बढ़ेगी, वहीं जोगी की पूछ-परख सोनिया के दरबार में कम हो जाएगी।
लोकसभा चुनाव में भले कांग्रेस के गठबंधन वाली यूपीए को सफलता मिली है, लेकिन जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है तो यहां पर मुख्यमंत्री डा। रमन सिंह ने भाजपा को एतकरफा जीत दिलाने में सफलता प्राप्त की है। चुनाव परिणाम आने से पहले बिलासपुर सीट को लेकर लगातार दांवे किए जा रहे थे कि इस सीट पर श्रीमती रेणु जोगी का जीतना तय है। जो लोग अजीत जोगी को
हम याद करें राजनांदगांव का पिछला उपचुनाव जिसमें उन्होंने देवव्रत को जीत दिलाने का काम किया था। ऐसे में जबकि मैदान में उनकी पत्नी थी तो यह कैसे नहीं सोचा जाता कि वे उनके लिए कुछ नहीं करेंगे। उन्होंने तो अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन इसका क्या किया जाए कि अब प्रदेश की जनता पर जोगी के जादू का असर नहीं होता है। अब तो यहां की जनता चाऊर वाले बाबा की शरण में चली गई है।
जानते हैं उनका भी ऐसा मानना था कि जोगी अपनी पत्नी को जीत दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसमें कोई दो मत नहीं है कि जोगी जिसके सिर पर हाथ रखते हैं उसकी जीत हो जाती है। ऐसा माजरा कई बार देखने को मिला है। हम याद करें राजनांदगांव का पिछला उपचुनाव जिसमें उन्होंने देवव्रत को जीत दिलाने का काम किया था। ऐसे में जबकि मैदान में उनकी पत्नी थी तो यह कैसे नहीं सोचा जाता कि वे उनके लिए कुछ नहीं करेंगे। उन्होंने तो अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन इसका क्या किया जाए कि अब प्रदेश की जनता पर जोगी के जादू का असर नहीं होता है। अब तो यहां की जनता चाऊर वाले बाबा की शरण में चली गई है। ऐसे में श्रीमती जोगी उन दिलीप सिंह जूदेव से हार गईं जिन पर एक समय सांसद रहते हुए पैसे लेने का आरोप लगा था। तब दुनिया भर के टीवी चैनलों में उनको पैसे लेते हुए दिखाया गया था और उन्होंने पैसे लेते हुए कहा था ऐ पैसे तू खुद तो नहीं लेकिन खुद से कम नहीं।
8 टिप्पणियाँ:
अजीत जोगी की राजनीति का अंत तो उसी दिन हो गया था जब छत्तीसगढ़ में उनके दावे के बाद भी कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई थी। जोगी को अब जनता ने उसकी औकात दिखाई है कि कोई उसको पसंद नहीं करता है। जोगी के आतंक से काफी समय तक छत्तीसगढ़ की जनता परेशान रही है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा को मिली सफलता ने यह बता दिया है कि यहां पर डॉ. रमन सिंह को जनता कितनी पसंद करती है। गरीबों को तीन रुपए किलो में चावल देकर चाऊर वाले बाबा छा गए हैं तभी तो छत्तीसगढ़ की जनता ने 10 सांसदों को दिल्ली भेजने का फैसला सुनाना है।
चरणदास महंत को लगता है उनके कुछ अच्छे करमो का फल मिला है जो वे एकलौते कांग्रेसी सांसद बने हैं। लगता है भगवान ने महंत को सब्र का फल दिया है और उनको भी जोगी के आतंक से मुक्ति मिली है।
क्या गुरु जोगी से पंगा.....
छत्तीसगढ़ में सोनिया मईया की लाज रखने का काम किया है तो ऐसे में यह बात तय है कि सोनिया के दरबार में महंत की कीमत बढ़ जाएगी और जोगी की घट जाएगी।
यह बात बिलकुल ठीक है
आसिफ अली रायपुर
कांग्रेस की इज्जत बचाने वाले महंत को बधाई
जोगी ने परिवारवाद को बढ़ाने का काम किया जिसे जनता ने नाकाम कर दिया। जोगी को अब समझ जाना चाहिए कि जनता को बेवकूफ बनाना आसान नहीं है।
aapka aalekh achcha laga samayik vishay par likhane ke liye badhai
chaitanya bhatt
jabalpur
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