मैदान में ही छलकने लगे जाम-क्रिकेट का क्या होगा हे.. राम
इंडियन प्रीमियर लीग के दूसरे संस्करण में भले मैचों की चर्चा कम रही हो लेकिन विवादों की चर्चा ज्यादा रही है। इस संस्करण में जहां एक तरफ कई युवा चेहरे सामने आए, वहीं हमेशा विवादों में रहने वाले शेन वार्न ने इस बार ऐसा कारनामा कर दिया जिसके बारे में सोच कर ही शर्म आती है। लेकिन इसमें वार्न का कोई दोष इसलिए नहीं है क्योंकि उनके देश में कभी खेल को न तो पूजा जा सकता है और न ही इसकी इबादत की जा सकती है जैसी की भारत में की जाती है। वार्न ने जिस तरह से एक मैच में मैदान में ही दर्शकों से बीयर लेकर पीने का काम किया, वह निहायत की घटिया और शर्मनाक काम था। इसके लिए वार्न को भले किसी ने कुछ नहीं कहा लेकिन क्रिकेट को पूजने वाले देश भारत में जरूर इसको सही नजरिए ने नहीं देखा गया है। क्रिकेट के हर विशेषज्ञ की नजर में वार्न की यह हरकत माफी के काबिल नहीं है। लेकिन इसका क्या किया जाए कि क्रिकेट में ऐसा करने वालों के लिए सजा का कोई प्रावधान ही नहीं है। अईपीएल के इस संस्करण को वैसे भी खेल के नाम से कम और अश्लीलता के नंगे नाच और वार्न की इस हरकत के कारण ही ज्यादा याद रखा जाएगा। वार्न की हरकत से तो लगता है कि अब वास्तव में आईपीएल से क्रिकेट की बर्बादी के दिन प्रारंभ हो गए हैं। वैसे भी आईपीएल महज एक नौटंकी के सिवा कुछ नहीं है। इस नौटंकी में काम करने वालों के मनोरंजन के लिए ही तो चियर्स गर्ल्स रखी जाती हैं।
आईपीएल के दूसरे संस्करण की विदाई हो गई है। पहली बार आईपीएल दक्षिण अफ्रीका में खेला गया। इस संस्करण को भी भले आयोजक भारत में हुए आयोजन की तरह की सफल बता रहे हैं पर यह बाद जग जाहिर है कि यह आयोजन उतना सफल नहीं रहा है। इस आयोजन में सफलता के गीत कम और विवादों के राग ज्यादा गूंजे हैं। अगर सबसे बड़े विवाद की बात की जाए तो वह विवाद शेन वार्न का मैदान में बीयर पीना रहा है। इसको हालांकि मीडिया में उतनी तव्वजो नहीं दी गई, लेकिन भारत में वार्न की हरकत की जरूर तीखी प्रतिक्रिया रही और उनको खेल विशेषज्ञों ने जरूर आड़े हाथों लिया। वार्न की यह हरकत काबिले माफी नहीं है। वैसे वार्न माफी मांगने वाले भी नहीं हैं क्योंकि उनकी सेहत पर मैदान में शराब पीने से कोई फर्क पडऩे वाला नहीं है। जिस देश में मैच देखते हुए शराब पीने की परंपरा हो उस देश के खिलाड़ी से यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह शराब को मैदान से दूर रख सकता है। यह आयोजन अगर भारत में होता तो यहां कभी ऐसी अशोभनीय हरकत का सवाल ही नहीं उठता था। भारत के किसी मैदान में कोई बीयर लेकर जा ही नहीं सकता है। ऐसे में यह तो संभव ही नहीं था कि कोई दर्शक वार्न जैसे किसी खिलाड़ी को बीयर आफर करता।
एक तरफ जहां वार्न की वजह से क्रिकेट शर्मसार हुआ है, वहीं चियर्स गर्ल्स के नंगे नाच से भी इसकी साख पर बटा लगा है। वैसे आयोजक चियर्स गर्ल्स को इसलिए रखते हैं ताकि जहां मैदान में दर्शकों का मनोरंजन हो सके, वहीं मैच के बाद खिलाड़ी चाहे तो उनका भी मनोरंजन हो सके और वह भी उस तरीके से जिस तरीके से वे चाहें। वैसे भी खिलाड़ी मैच के बाद विदेशों में क्लबों में जाकर क्या-क्या करते हैं यह बात जगजाहिर है। क्रिकेटर आज पूरी तरह से सभ्यता के दायरे से बाहर होते जा रहे हैं। विदेशी खिलाडिय़ों की तो बात ही छोडि़एं अपने भारतीय खिलाड़ी भी वैसे ही हो गए हैं।
विवादों की कड़ी में शाहरूख खान और सौरभ गांगुली का विवाद भी चर्चा में रहा है। यह बात अलग है कि इनका विवाद खुलकर सामने नहीं आया, लेकिन यह बात तय है कि शाहरूख की टीम की जो दुर्गति हुई है उसके पीछे सबसे बड़ा कारण सौरभ गांगुली से टीम की कमान वापस लेना रहा है। कोलकाता टीम के एक खिलाड़ी ने यह बात साफ तौर पर कह भी दी कि अगर टीम की कमान दादा के हाथों में रहती तो टीम का यह हाल नहीं होता और टीम कभी अंतिम स्थान पर नहीं आती। इसमें कोई मत नहीं है कि दादा टीम के हर खिलाड़ी की क्षमता जानते हैं। यह दादा के बस की ही बात थी कि उन्होंने भारतीय टीम को भी अपनी कप्तानी में एक नई ऊंचाईयां दी थी। ऐसे कप्तान से आईपीएल जैसी सीरीज में कप्तानी वापस लेना निश्चित ही शाहरूख की सबसे बड़ी भूल थी। अपनी टीम की दुर्गति देखकर अब शाहरूख भी उस दिन को कोस रहे होंगे जिस दिन उन्होंने गांगुली से कप्तानी वापस ली थी।
अब अगर आयोजन की बात की जाए तो भारत के लिए यह आयोजन सिर्फ इस लिहाज से ठीक रहा है कि इस आयोजन में भी भारत के कुछ नए सितारे उभर कर सामने आए हैं। जिन सितारों का नाम आज क्रिकेट प्रेमियों की जुबान पर चढ़ गया है उनमें प्रमुख रूप से मनीष पांडे, टीएस सुमन, शादाबा जकाती, नमन ओझा, रजत भाटिया और कामरान के नाम हैं। इनके अलावा रोहित शर्मा लीग के सर्वश्रेष्ठ अंडर 23 खिलाड़ी बनकर सामने आए हैं। इन खिलाडिय़ों को भविष्य में भारतीय टीम में स्थान जरूर मिल सकता है। आयोजन में एक सुखद पहलू यह रहा कि इस बार भारतीय मैदानों की तरह महज बल्लेबाजों का ही नहीं बल्कि गेंदबाजों का भी जलवा रहा, तभी तो मात्र 20 ओवर के मैच में तीन गेंदबाजों से हेट्रिक बनाने का कमाल दिखाया।
10 टिप्पणियाँ:
शेन वार्न जैसे खिलाडिय़ों के कारण ही तो आज क्रिकेट बदनाम हो गया है। विदेशी क्रिकेटर क्या जाने की खेल एक साधना है। खेल को भगवान का दर्जा तो अपने देश में ही मिल सकता है।
na jane kaisi baat kar rahe hain aap...
...beer pene main kya dikkat hai !! charita hana ki to koi baat hi nahi jo marzi aaye pio. aur cricket ko agar pooja jata hai to band kar dena chahiye ise poojan...
..ye ek khel hi hai !! Matr ek khel !! ek baat aur austrlia ke rashtriya khel hai ye...
...aur wo abhi bhi is khel ke betaj badsaah ahi kyunki wo bhagwan ka darza nahi dete khel ko....
Come on sir (& Tina be proffesional...)
ye itna bada mudda to kahin se nahi hai....
...apki soch mujhe acchi nahi lagi...
क्रिकेट को गंदा करने वालों को तो खेल से बाहर ही कर देना चाहिए। विदेशी खिलाडिय़ों को आईपीएल में रखना ही गलत फैसला रहा है। एक दिन ऐसा आएगा कि आईपीएल में विदेशी खिलाडिय़ों को भरमार हो जाएगी और अपने खिलाड़ी टीम में स्थान भी नहीं बना पाएंगे।
आईपीएल एक नौटंकी के सिवा कुछ नहीं है।
दर्पण जी,
दिक्कत बीयर पीने में नहीं, बीयर को मैदान में पीने पर है। दुनिया में इंसान कोई भी काम करता है तो उस काम को पूजा ही माना जाता है। यह परंपरा कम से कम अपने देश में तो है। जो इंसान अपने काम को पूजा नहीं मानता है उसको सफलता नहीं मिलती है। क्रिकेट को भारत में पूजना बंद ही नहीं किया जा सकता है। क्रिकेट के जैसे दीवान भारत में हैं वैसे कहीं मिल ही नहीं सकते हैं। यहां तो सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी की मूर्ति बनाकर पूजा करने वाले दीवाने हैं। आपकी सलाह से कोई क्रिकेट को पूजना बंद करने वाला नहीं है। संभव है मैदान में बीयर पीना आप जैसे युवा के लिए बड़ा मुद्दा न हो लेकिन क्रिकेट के विशेषज्ञों सहित भारत के खेल प्रेमियों के लिए यह जरूर एक मुद्दा और शर्मनाक हरकत है। वैसे सोच अपनी-अपनी है, जरूरी नहीं है कि हमारी सोच आपको पसंद आए। आप अगर क्रिकेट को भगवान नहीं मानते हैं तो न माने। हम भी इसको भगवान नहीं मानते हैं लेकिन ऐसा सोचने वालों को रोका तो नहीं जा सकता है। आपने अपनी सोच से अवगत कराया इसके लिए आभार। ऐसा ही प्यार बनाए रखें।
ये तो क्रिकेट की बर्बादी की आगाज है गुरु
आई.पी.एल. कमिश्नर ललित मोदी नें कहा वो जूस था ( टी.वी. न्यूज में सुना ) ? क्रिकेट विदेशी खेल है उसकी वेशभूषा भी विदेशी है तो विदेशी खिलाडियों के खान पान में टिप्पणी कैसी ! क्या सार्वजानिक रूप से बियर पीना उनकी संस्कृति के विरुद्ध है ! अगर विदेशी खेल को स्वीकार किया है तो विदेशी तौर तरीकों से आपत्ति कैसी ! आप क्रिकेट छोडो मुहिम चलायें और सार्वजानिक रूप से गांजा पीने वालों पर भी कुछ लिखें ! और हां वैसे तो हमने यह दृश्य देखा नहीं था परन्तु आप नें इसका फोटो छाप कर (अगर यह गंदगी है तो ) उसे दोहराया क्यों ?
क्रिकेट के WWF में सब माफ़ है.
चियर्स गल्र्स का जब होगा नंगा नाचा-कैसे नहीं आएगी खेल पर आंच
not a gentleman game now. thanks for ur concern
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