कामनवेल्थ सायकल पोलो छत्तीसगढ़ में
छत्तीसगढ़ इस बार कामनवेल्थ सायकल पोलो की मेजबानी करके एक नया इतिहास रचने जा रहा है। इस चैंपियनशिप की तैयारी में जुटे प्रदेश संघ के अशोक सिंह साफ शब्दों में कहते हैं कि छत्तीसगढ़ की मेजबानी खास होगी, जो एक नया अध्याय बनाने का काम करेगी। इस स्पर्धा में भारत सहित ८ देशों की टीमें भाग लेंगी। स्पर्धा का प्रारंभ १६ दिसंबर से होगा। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैदान भी बना दिया गया है।
भारत में जब सायकल पोलो की कामनवेल्थ चैंपियनशिप का आयोजन करने की बात चली तो इस अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन में सबसे पहले रूचि दिखाने वाला छत्तीसगढ़ रहा। छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य रहा है जिसके खाते में सायकल पोलो को ऊंचाई पर ले जाने का लगातार रिकॉर्ड रहा है। सबसे पहले यहां पर २००२ में संघ का गठन होने के बाद ही विश्व कप में खेलने जाने वाली भारतीय टीम का प्रशिक्षण शिविर भी लगा जो टीम फ्रांस में खेलने गई थी। इसके बाद से छत्तीसगढ़ का संघ लगातार ऐसे आयोजन कर रहा है जैसे आयोजन कोई नहीं कर सका है। फेडरेशन कप का जब भिलाई में आयोजन किया गया तो उस समय इसके साथ तीन राष्ट्रीय चैंपियनशिप का भी आयोजन किया गया था। फेडरेशन कप के सफल आयोजन के बाद जब सायकल पोलो को स्कूली खेलों में शामिल करवाने की बारी आई तो इसमें भी छत्तीसगढ़ की भूमिका अहम रही। इन खेलों का आयोजन करने का जिम्मा जब कोई नहीं उठा रहा था तो छत्तीसगढ़ ने इसकी मेजबानी ली। पहली चैंपियनशिप का जब आयोजन राजनांदगांव में किया गया तो इसमें महज चार टीमों ने भाग लिया। लेकिन जब दूसरा आयोजन २००७ में फिर से राजनांदगांव में किया गया तो इस बार इस चैंपियनशिप में मेजबान छत्तीसगढ़ के साथ उप्र, महाराष्ट्र, केरल, आन्ध्र प्रदेश, मप्र, चंडीगढ़, नवोदय विद्यालय, विद्या मंदिर की टीमें शामिल हुईं।
१९८६ में हुई भारत में शुरुआत
अशोक सिंह बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में एक समय हार्स पोलो का काफी नाम था, वैसे आज भी इस खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में खेला जाता है, लेकिन अब इस खेल को टक्कर देने वाला एक खेल सायकल पोलो भी आ गया है। इस खेल की शुरुआत भारत में १९८६ से हुई है, लेकिन अब जाकर इस खेलों को कुछ आयाम मिल सका है। पहले इस खेल को खेलने वाले काफी कम राज्य थे लेकिन आज यह खेल देश के ज्यादातर राज्यों में खेला जा रहा है। जिन राज्यों में यह खेल खेला जाता है, उन राज्यों में आज छत्तीसगढ़ पहले नंबर पर आ गया है। छत्तीसगढ़ सिर्फ खेलों में ही नहीं बल्कि मेजबानी में भी नंबर वन है।
छत्तीसगढ़ मेजबान नंबर वन
यहां पर जब भी कोई राष्ट्रीय चैंपियनशिप हुई है उसकी सबने तारीफ की है। ऐसे में जब भिलाई में प्रदेश के सायकल पोलो संघ ने एक साथ एक नहीं बल्कि तीन राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन करके सायकल पोलो में एक नया इतिहास रचा तो देश भर से आए सभी खिलाडिय़ों ने आयोजन की जमकर तारीफ की और सबने एक स्वर में माना कि वास्तव में छत्तीसगढ़ मेजबान नंबर वन है। अब छत्तीसगढ़ ही पहली कामनवेल्थ चैंपियनशिप का आयोजन करने वाला बन रहा है। इस चैंपियनशिप की तैयारी के लिए भिलाई में सारी तैयारियां अभी से कर ली गई हैं। यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैदान भी बनकर तैयार है।
कामनवेल्थ में शामिल न होने से बनी अलग आयोजन की योजना
भारत में कामनवेल्थ सायकल पोलो के आयोजन की योजना कैसे बनी इसका खुलासा करते हुए अशोक सिंह बताते हैं कि भारत में २०१० में कामनवेल्थ खेलों का आयोजन होने जा रहा है। इन खेलों में काफी पहले से सायकल पोलो को शामिल करने की कवायद चल रही थी। इस बात की पूरी संभावना थी कि सायकल पोलो को कामनवेल्थ खेलों में शामिल कर लिया जाएगा। इस संभावना का एक सबसे बड़ा कारण यह था कि कामनवेल्थ में खेलने वाले सभी देश सायकल पोलो खेलते हैं। कामनवेल्थ खेलों में सायकल पोलो को स्थान भी मिल जाता, लेकिन चूंकि इन खेलों का कार्यक्रम काफी पहले से बन गया था ऐसे में इन खेलों में सायकल पोलो को शामिल करना संभव नहीं हो सका। ऐेस में विश्व सायकल पोलो फेडरेशन ने भारतीय सायकल पोलो फेडरेशन के साथ मिलकर यह योजना बनाई कि भारत में ही कामनवेल्थ खेलों से ठीक पहले सायकल पोलो की कामनवेल्थ चैंपियनशिप का आयोजन किया जाए।
भिलाई में बना अंतरराष्ट्रीय मैदान
कामनवेल्थ सायकल पोलो के लिए भिलाई में अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैदान बनकर तैयार हो गया है। भिलाई होटल के पास यह मैदान भिलाई स्टील प्लांट की मदद से बनाया गया है। इसके बारे में प्रदेश संघ के अशोक सिंह बताते हैं कि यह मैदान राष्ट्रीय तकनीकी कमेटी के चेयरमैन पीबी कृष्णाराव के मार्गदर्शन में बना। मैदान १२० गुणा ८० मीटर का है। इस मैदान को ऐसा बनाया गया है जिसमें रात को भी मैच हो सकेंगे। इस मैदान में आठ देशों की टीमें भारत, मालदीप, मलेशिया पाकिस्तान, यूके, श्रीलंका, इंडोनेशिया और नेपाल के बीच मुकाबला होगा।
भारत में जब सायकल पोलो की कामनवेल्थ चैंपियनशिप का आयोजन करने की बात चली तो इस अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन में सबसे पहले रूचि दिखाने वाला छत्तीसगढ़ रहा। छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य रहा है जिसके खाते में सायकल पोलो को ऊंचाई पर ले जाने का लगातार रिकॉर्ड रहा है। सबसे पहले यहां पर २००२ में संघ का गठन होने के बाद ही विश्व कप में खेलने जाने वाली भारतीय टीम का प्रशिक्षण शिविर भी लगा जो टीम फ्रांस में खेलने गई थी। इसके बाद से छत्तीसगढ़ का संघ लगातार ऐसे आयोजन कर रहा है जैसे आयोजन कोई नहीं कर सका है। फेडरेशन कप का जब भिलाई में आयोजन किया गया तो उस समय इसके साथ तीन राष्ट्रीय चैंपियनशिप का भी आयोजन किया गया था। फेडरेशन कप के सफल आयोजन के बाद जब सायकल पोलो को स्कूली खेलों में शामिल करवाने की बारी आई तो इसमें भी छत्तीसगढ़ की भूमिका अहम रही। इन खेलों का आयोजन करने का जिम्मा जब कोई नहीं उठा रहा था तो छत्तीसगढ़ ने इसकी मेजबानी ली। पहली चैंपियनशिप का जब आयोजन राजनांदगांव में किया गया तो इसमें महज चार टीमों ने भाग लिया। लेकिन जब दूसरा आयोजन २००७ में फिर से राजनांदगांव में किया गया तो इस बार इस चैंपियनशिप में मेजबान छत्तीसगढ़ के साथ उप्र, महाराष्ट्र, केरल, आन्ध्र प्रदेश, मप्र, चंडीगढ़, नवोदय विद्यालय, विद्या मंदिर की टीमें शामिल हुईं।
१९८६ में हुई भारत में शुरुआत
अशोक सिंह बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में एक समय हार्स पोलो का काफी नाम था, वैसे आज भी इस खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों में खेला जाता है, लेकिन अब इस खेल को टक्कर देने वाला एक खेल सायकल पोलो भी आ गया है। इस खेल की शुरुआत भारत में १९८६ से हुई है, लेकिन अब जाकर इस खेलों को कुछ आयाम मिल सका है। पहले इस खेल को खेलने वाले काफी कम राज्य थे लेकिन आज यह खेल देश के ज्यादातर राज्यों में खेला जा रहा है। जिन राज्यों में यह खेल खेला जाता है, उन राज्यों में आज छत्तीसगढ़ पहले नंबर पर आ गया है। छत्तीसगढ़ सिर्फ खेलों में ही नहीं बल्कि मेजबानी में भी नंबर वन है।
छत्तीसगढ़ मेजबान नंबर वन
यहां पर जब भी कोई राष्ट्रीय चैंपियनशिप हुई है उसकी सबने तारीफ की है। ऐसे में जब भिलाई में प्रदेश के सायकल पोलो संघ ने एक साथ एक नहीं बल्कि तीन राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन करके सायकल पोलो में एक नया इतिहास रचा तो देश भर से आए सभी खिलाडिय़ों ने आयोजन की जमकर तारीफ की और सबने एक स्वर में माना कि वास्तव में छत्तीसगढ़ मेजबान नंबर वन है। अब छत्तीसगढ़ ही पहली कामनवेल्थ चैंपियनशिप का आयोजन करने वाला बन रहा है। इस चैंपियनशिप की तैयारी के लिए भिलाई में सारी तैयारियां अभी से कर ली गई हैं। यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैदान भी बनकर तैयार है।
कामनवेल्थ में शामिल न होने से बनी अलग आयोजन की योजना
भारत में कामनवेल्थ सायकल पोलो के आयोजन की योजना कैसे बनी इसका खुलासा करते हुए अशोक सिंह बताते हैं कि भारत में २०१० में कामनवेल्थ खेलों का आयोजन होने जा रहा है। इन खेलों में काफी पहले से सायकल पोलो को शामिल करने की कवायद चल रही थी। इस बात की पूरी संभावना थी कि सायकल पोलो को कामनवेल्थ खेलों में शामिल कर लिया जाएगा। इस संभावना का एक सबसे बड़ा कारण यह था कि कामनवेल्थ में खेलने वाले सभी देश सायकल पोलो खेलते हैं। कामनवेल्थ खेलों में सायकल पोलो को स्थान भी मिल जाता, लेकिन चूंकि इन खेलों का कार्यक्रम काफी पहले से बन गया था ऐसे में इन खेलों में सायकल पोलो को शामिल करना संभव नहीं हो सका। ऐेस में विश्व सायकल पोलो फेडरेशन ने भारतीय सायकल पोलो फेडरेशन के साथ मिलकर यह योजना बनाई कि भारत में ही कामनवेल्थ खेलों से ठीक पहले सायकल पोलो की कामनवेल्थ चैंपियनशिप का आयोजन किया जाए।
भिलाई में बना अंतरराष्ट्रीय मैदान
कामनवेल्थ सायकल पोलो के लिए भिलाई में अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैदान बनकर तैयार हो गया है। भिलाई होटल के पास यह मैदान भिलाई स्टील प्लांट की मदद से बनाया गया है। इसके बारे में प्रदेश संघ के अशोक सिंह बताते हैं कि यह मैदान राष्ट्रीय तकनीकी कमेटी के चेयरमैन पीबी कृष्णाराव के मार्गदर्शन में बना। मैदान १२० गुणा ८० मीटर का है। इस मैदान को ऐसा बनाया गया है जिसमें रात को भी मैच हो सकेंगे। इस मैदान में आठ देशों की टीमें भारत, मालदीप, मलेशिया पाकिस्तान, यूके, श्रीलंका, इंडोनेशिया और नेपाल के बीच मुकाबला होगा।
4 टिप्पणियाँ:
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
एक नए खेल के बारे में जानकारी देने के लिए आभार
आयोजन के लिए छत्तीसगढ़ को बधाई
छत्तीसगढ़ तो है ही मेजबान नंबर वन
एक टिप्पणी भेजें