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बुधवार, दिसंबर 16, 2009

महेन्द्र मिश्र से मोबाइल पर हुई बात-ऐसा लगा सामने हो गई मुलाकात

हलो.. हलो... महेन्द्र मिश्र जी बोल रहे हैं?
जी हां.. बोल रहा हूं।
भाई साहब हम ग्वालानी बोल रहे हैं रायपुर से।
उधर से खुशी भरी आवाज आती है.. हां बोलिए ग्वालानी भाई कैसे हैं।
बस ठीक है, आप सुनाईए कैसे हैं? हम काफी दिनों से आपका नंबर आपके ब्लाग में देखकर बात करने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन बात नहीं हो पा रही थी, आज सोचा कि बात कर ही ली जाए।
मिश्र जी ने कहा- चलिए अच्छी रही आपसे मुलाकात।


मोबाइल पर हुई बात को जैसे ही मिश्र जी ने मुलाकात कहा तो हमें उनकी यह बात जहां भा गई, वहीं उनसे यहां कोई करीब 8 मिनट की बात में हमें लगा कि वास्तव में हम मिश्र जी से बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमारी उनसे आमने-सामने मुलाकात हो रही है।
वास्तव में यही तो अपनी ब्लाग बिरादरी का प्यार और स्नेह है जो दो अंजान व्यक्तियों को जोड़ देता है और ऐेसा लगता ही नहीं है कि हम पहली बार बात कर रहे हैं,या मिल रहे हैं।
मिश्र जी ने हमें जबलपुर आने का निमंत्रण दिया। हमने उनसे कहा कि कोशिश करेंगे, वैसे जबलपुर गए हमें 20 साल से भी ज्यादा समय हो गया है। एक समय हम जबलपुर बहुत जाते थे, व्यापार के सिलसिले में। ये बातें फिर कभी ।

मिश्र जी ने उडऩ तश्तरी यानी समीर लाल जी की बात निकाली और बताया कि उनसे उनके कैसे रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि लगता है इस बार समीर लाल जी शायद नहीं आ पाएंगे या फिर विलंब से आएंगे।
हमने मिश्र जी को बताया कि हमने आज ही समीर भाई पर एक पोस्ट लिखी है, जिसमें उन्होंने मार्च-अप्रैल में आने की बात कही है।
मिश्र जी ने कहा कि मैं वह पोस्ट देखता हूं।


मिश्र जी ने हमने पूछा कि हम क्या करते हैं?
हमने उनको बताया कि दो दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता से जुड़े हैं और वर्तमान में रायपुर के दैनिक हरिभूमि में काम कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वे भी लंबे समय से प्रकाशन से जुड़े रहे हैं। मिश्र जी ने बताया कि रायपुर में उनकी अनिल पुसदकर जी से भी बात हो चुकी है।

मिश्र जी से कुछ और बातें हुई, फिर हम लोगों ने लगातार संपर्क में रहने का वादा करते हुए मोबाइल रख दिया।
महेन्द्र मिश्र जी से बातें करके वास्तव में बहुत अच्छा लगा। वैसे अपने ब्लाग बिरादरी के इन बड़े भाई मिश्र जी के ब्लाग समयचक्र में जब भी हमारी आमद होती थी, हमारे सामने होता था उनका मोबाइल नंबर। हमने कई बार उनका नंबर मोबाइल में डाला और सोचा कि यार चलो आज बात कर लेंगे। लेकिन क्या करें आज-कल करते करते कई दिन निकल गए। लेकिन कल दोपहर को हम जब घर खाना खाने आए और थोड़ा सा समय नेट पर बैठने का मिला, तो फिर पहुंच गए मिश्र जी के ब्लाग में औैर इस बार उनका नंबर मोबाइल में डायल करके बात नहीं बल्कि मुलाकात कर ही डाली।

7 टिप्पणियाँ:

मनोज कुमार बुध दिस॰ 16, 07:42:00 am 2009  

अच्छी जानकारी। धन्यवाद।

ब्लॉ.ललित शर्मा बुध दिस॰ 16, 07:57:00 am 2009  

चलो भाई आपकी कृपा से हमने भी मुलाकात ही कर ली। फ़ोन पर्। धन्यवाद

Udan Tashtari बुध दिस॰ 16, 08:01:00 am 2009  

मिश्र जी हमारे प्रिय हैं. पारिवारिक मित्र हैं. आपकी उनसे बत हुई याने हमसे हुई ऐसा माने....


वैसे तो हमें भी अपना फोन नम्बर ईमेल कर ही दें तो कभी ऐसी ही मुलाकात की जाये!!वो वाली मुलाकात के पहिले!!

जबलपुर-ब्रिगेड बुध दिस॰ 16, 08:35:00 am 2009  

हमारे कमांडर से बात हुई तो लगा हम सबने आप से बात कर ली

राजकुमार ग्वालानी बुध दिस॰ 16, 08:36:00 am 2009  

समीर जी आपका ई-मेल तो हमें मालूम नहीं है, इसलिए यहीं पर अपना मोबाइल नंबर दे रहे हैं। 098267-11852

अजय कुमार झा बुध दिस॰ 16, 03:09:00 pm 2009  

महेन्द्र भाई से बात करके तो हमारा भी मन प्रसन्न हो गया था ...आपकी मुलाकात भी बढिया रही । लगता है राज भाई आजकल सबसे बतियाने के मूड में हैं ...देखें अगला नंबर किसका आता है

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