कोकास जी का कम्प्यूटर भी चढ़ ही गया था टंकी पर
शरद कोकास जी के कम्प्यूटर में अचानक ललित शर्मा जी के एक वारयस का हमला हो गया और उनके कम्प्यूटर की वाट लगते-लगते बच गई। हम लोगों के साथ अगर उस समय बीएस पाबला जी नहीं होते तो शायद कोकास जी के कम्प्यूटर की वाट लग जाती और हमारे साथ ललित शर्मा को भी खानी पड़ती डाट। हमें तो डाट खानी पड़ती लेकिन हमारे पाबला जी का क्या होता, उनके सिर तो एक और तोहमत लग जाती कि उनके कारण कोकास जी का कम्प्यूटर भी टंकी पर चढ़ गया।
दरअसल जब भिलाई की ब्लागर मीट के समय हम सब लोग शरद कोकास जी के यहां बैठे थे तो जैसे ही बातों का सिलसिला प्रारंभ हुआ तो एक तरफ जहां पाबला जी का कैमरा चमकने लगा, वहीं दूसरी तरफ हमारे कैमरे ने भी अपना कमाल दिखाना प्रारंभ कर दिया। फिर ऐसे में भला संजीव तिवारी का कैमरा कैसे चुप रह सकता था, उन्होंने भी दे दनादन फोटो लेने प्रारंभ कर दिए। फोटोग्राफी के बाद कोई शाम को करीब चार बजे जब सबके पेट में चुहों ने अपना ताड़ंव नृत्य प्रारंभ किया तो सबको खाने की याद आई। वैसे इसके पहले श्रीमती शरद कोकास ने जरूर लगातार हम सबके पेट का ख्याल रखा था और बातों के दौर के बीच में सभी का मुंह चल ही रहा था। लेकिन खाना खाने तो जाना ही था, क्योंकि किसी की जेब तो हल्की करनी ही थी। ऐसे में जबकि सबको होटल जाना था तो विचार किया गया कि इससे पहले सभी के कैमरों के फोटो कोकास जी के कम्प्यूटर में डाले जाएं और जिनके पास पैन ड्राइव है उसमें रख लिए जाएं ताकि फिर किसी को शिकायत न रहे कि हमें तो फोटो नहीं मिली। ऐसे में कोकास जी के कम्प्यटूर में सभी कैमरों के फोटो कम्प्यूटर में डालने का काम हमने किया। सभी फोटो जब एक स्थान पर एकत्रित हो गए तो सबसे पहले हमने संजीव तिवारी जी के पैन ड्राइव में फोटो डाले। इसके बाद नंबर आया हमारे पैन ड्राइव का। जब पाबला जी के पैन ड्राइव का नंबर आया तो उन्होंने कहा कि इस पैन ड्राइव को तो हम ही कम्प्यूटर में लगाएंगे। बाद में कारण मालूम हुआ कि उनका पैन ड्राइव भी कम खतरनाक नहीं है, बड़े झटके मारता है।
बहरहाल पाबला जी ने भी अपने पैन ड्राइव में फोटो ले लिए। इसके बाद अंतिम पैन ड्राइव अपने ललित शर्मा जी था उनका पैन ड्राइव जैसे ही कम्प्यूटर में लगाया, तत्काल एक वायरस से कोकास जी के कम्प्यूटर पर ठीक उसी तरह से हमला कर दिया मानो कोकास जी का कम्प्यूटर भारत हो और शर्मा जी का पैन ड्राइव पाकिस्तान का कोई आतंकवादी। फिर क्या था। कम्प्यूटर से वायरस हटाने की मशक्कत प्रारंभ हुई। सभी अपना-अपना तर्क दे रहे थे। उधर कोकास जी के माथे की सिकन बढ़ते जा रही थी, जरूर वे सोच रहे होंगे यार अगर मेरे कम्प्यूटर की वाट लग गई तो अपनी ब्लागिंग का क्या होगा? कहीं कुछ दिन नहीं लिख पाए तो लोग यह न समझने लगे कि हम भी तो टंकी पर नहीं चढ़ गए हैं। उन्होंने तत्काल अपने कम्प्यूटर के डॉक्टर मित्र को फोन लगाकर पूछा कि क्या किया जाए। एक तरफ कोकास जी बात कर रहे थे, दूसरी तरफ अपने पाबला जी कम्प्यूटर को ठीक करने का प्रयास कर रहे थे। इस बीच हमें मजाक सुझा और हमने पाबला जी से कहा पाबला जी कोकास जी का कम्प्यूटर अगर ठीक नहीं हुआ तो सोच लीजिए लोग क्या कहेंगे?
यहां हम बता दें कि जब पाबला जी नई दिल्ली में अजय कुमार झा से मिलकर आए थे और अचानक झा जी के ब्लागिंग से विदा होने की खबर उड़ी थी तो कहा जा रहा था कि और ठहराए अपने घर पर ब्लागर को। हमने पाबला जी से कहा कि अजय झा के घर आप गए थे तो कहा कि झा जी टंकी पर चढ़ गए हैं और अब एक ब्लागर मीट कोकास जी के घर पर हुई तो उनका कम्प्यूटर भी कहीं टंकी पर न चढ़ जाए। पाबला जी को बात समझ आ गई और उन्होंने अपनी सारी ताकत कम्प्यूटर को ठीक करने में लगा दी और उसे ठीक करके ही दम लिया। हम लोग जब तक वहां थे कम्प्यूटर ठीक था, उसके बाद उसका क्या हुआ, यह हमें मालूम नहीं है। अब यह को कोकास जी ही बता सकते हैं कि उनके कम्प्यूटर का क्या हाल है। उसकी बीमारी का अंत हुआ है या नहीं या फिर उसकी वाट लग गई है।
10 टिप्पणियाँ:
राजकुमार भाई ताज़ा समाचार यह है कि .उसके बाद डिस्क को स्कैन के लिये लगाकर पाबला जी और हम लोगों ने चिंतन शिविर का भोजनावकाश घोषित किया और रेस्टारेंट फोर सीज़न की ओर बढ़ गये । लौटकर आये तब तक कम्प्यूटर स्कनिंग का अपना काम कर चुका था , अनिल पुसदकर ,ऐय्यर और बाकी लोगों को ड्राइंग रूम में छोड़कर पाबला जी स्ट्राँग रूम में घुस गये और जितनी फाइल्स उड़ गई थी उन्हे वापस लाने का प्रयास करने लगे ।हाँलाकि समयाभाव के कारण वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाये । फिर कल ब्लॉगर (अंसार संसार ) और SBI के अधिकारी मित्र अंसार अहमद ने भी कुछ प्रयास किया है । इस बीच पाबला जी से फोन पर सम्पर्क बना रहा उन्होने शीघ्र ही कम्प्यूटर को दोस्ती का आश्वासन दिया है ..। मै भी आज सुबह से कुछ प्लेयर वापस लाने मे सफल रहा हूँ । फिलहाल सलाह यह कि अपने अपने पेन ड्राइव वायरस फ्री कर लें।
शरद भाई,
लगे हाथ ब्लॉगिंग वर्ल्ड को भी वायरस फ्री करा लीजिए...
जय हिंद...
इसलिये अपुन न पेन रखते है और न उससे ड्राईव करते हैं।
भाई कोकास जी के कम्प्युटर को टंकी पे न चढ़ाये . ब्लागिंग में टंकी पे चढ़ना खतरनाक है जितना टंकी से नीचे गिरना.. हा हा हा.
भली बात है जी। वायरस तो आते रहते हैं। जाते रहते हैं। इन से क्या घबराना? बस इन्हें झटकने की शक्ति बनाए रखें।
अच्छी जानकारी।
आजकल वायरस अटेक कुछ ज्यादा ही होने लग गया है. संभलकर.
रामराम.
वो कम्प्यूटर ही क्या जिसमें वॉयरसों का आना-जाना ना हो ...:-)
खुशदीप जी ने सही कहा...ब्लॉगजगत के वॉयरसों का न्त होना चाहिए ..
अंत भला तो सब भला.
virus ने तो ब्लोग्वानी तक को नहीं छोड़ा
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