चोरी की मया
छत्तीसगढ़ी फिल्म मया को लेकर छत्तीसगढ़ का फिल्म जगत काफी उत्साहित था कि लंबे समय बाद एक ऐसी फिल्म आई है जो छत्तीसगढ़ फिल्म जगत को आक्सीजन देने का काम कर सकती है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि यह फिल्म काफी अच्छी है, और १०० से ज्यादा दिनों तक राजधानी रायपुर में चली। लेकिन अब यह बात सामने आई है कि इस फिल्म की कहानी दो दशक पहले ही हिट फिल्म स्वर्ग से सुंदर से ली गई है। बात इतनी ही नहीं है हिन्दी फिल्म स्वर्ग से सुंदर बनाने वाली कंपनी ने तो मया फिल्म बनाने वालों पर पांच करोड़ का दावा भी ठोंक दिया है। ऐसे में अब छत्तीसगढ़ी फिल्मों का क्या हश्र होगा समझा जा सकता है। इस फिल्म को निर्देशित करने वाले वही सतीश जैन हैं जो लंबे समय तक मायानगरी मुंबई में रहे हैं।
आज से करीब चार माह पहले जब छत्तीसगढ़ी फिल्म मया आई थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि इस फिल्म को लेकर इतना बड़ा बवाल मच सकता है। पहले कदम पर जब इस फिल्म ने सफलता के झंडे गाड़े तो लगा कि वास्तव में सतीश जैन ऐसे फिल्मकार हंै जिनकी फिल्म वास्तव में सफल फिल्म होती है। इस फिल्म ने जब १०० दिनों का सफर तय किया तो सभी तरह फिल्म के निर्देशक सतीश जैन की वाह-वाही होने लगी। इसी के साथ फिल्मों के कलाकार भी सातवें आसमान में उडऩे लगे। इस फिल्म की सफलता से लगा कि यह फिल्म संकट के दौर में चल रहे छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत के लिए आक्सीजन का काम करेगी। इस फिल्म के बाद छत्तीसगढ़ी में फिल्में बनने की बाढ़ सी आ गई।
लेकिन अब इधर एक ताजा खबर यह है कि मया पर भी चोरी का आरोप लग गया है। फिल्म के बनाने वालों पर मायानगरी की एक फिल्म कंपनी टीना फिल्मस से दावा किया है कि मया उनकी दो दशक पहले ही फिल्म स्वर्ग से सुंदर का रिमेक है। इस रिमेक को बनाने से पहले किसी भी तरह की मंजूरी न लेने के कारण मया पर पांच करोड़ का दावा करते हुए एक मामला मुंबई हाई कोर्ट में लगाया गया है। मया को हम तो अब तक नहीं देख पाएं हैं लेकिन जिन लोगों ने भी यह फिल्म देखी है, उनका साफ कहना है कि इस फिल्म की कहानी में और फिल्म स्वर्ग से सुंदर की कहानी में रती भर का भी अंतर नहीं है। पूरी की पूरी फिल्म वैसे ही बना दी गई है। फर्क है तो बस भाषा और कलाकारों का।
ऐसे में जबकि छत्तीसगढ़ के मनमोहन देसाई माने जाने वाले सतीश जैन की फिल्म पर ही चोरी करने का एक आरोप लग गया है तो यह बात तय है कि इस आरोप के बाद छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर काफी बुरा असर पड़ेगा। इसी के साथ अब सतीश जैन के उस दावे का क्या होगा जो मुंबई से लौटते समय वहां करके आए थे कि वे छत्तीसगढ़ में जाकर बता देंगे कि कैसे हिट फिल्में बनती हैं। उनकी पहली फिल्म मोर छईयां भुईयां की सफलता से उनको छत्तीसगढ़ का मनमोहन देसाई साबित किया था, पर अब उनकी फिल्म पर लगे चोरी के आरोप के बाद क्या होगा कहा नहीं नहीं सकता है।
8 टिप्पणियाँ:
हिन्दी सिनेमा का इतिहास रहा है कि कई हिन्दी फिल्में अंग्रेजी या किसी दूसरी विदेशी फिल्मों की कहानियों को चोरी कर के बनाए गए है किन्तु उन फिल्मों को दर्शकों नें पसंद किया है.
इसमें कोई दो मत नहीं कि सतीश जैन जी सफल फिल्मकार है अनुज जैसे हीरो के साथ काम करते हैं इस कारण 'मया' को छत्तीसगढ में सफलता मिल गई नहीं तो मया की कहानी पारंपरिक छत्तीसगढी परिवेश की नजर ही नहीं आती पर जनता नें इसे हिट कर दिया. अब देखिये आगे क्या होता है.
जनता आज कल फ्यूजन पसंद करती है, फिल्म हिट हो गयी।
सतीश जैन को अवधिया जी की वो पोस्ट पढ़वाओ जिसमे उन्होने ने "ठेल" को "रिठेल" करने का मार्ग बताया है और थोड़ा सा ज्ञान स्वयं भी दो जो आपने अपनी एक पोस्ट मे दिया है। फ़िर कैसा मुकदमा? हमारे ब्लाग जगत मे कई लोग हेडलाईन भी नही बदलते और छाती ठोक के पुरी की पुरी पोस्ट ही ठेल देते है।
ललित शर्मा जी की बात का संपुर्ण समर्थन.
रामराम.
आपकी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी...
बढ़िया प्रस्तुति।
काहे अपने ही राज्य को बदनाम कर रहे हैं, यहां कौन चोर नहीं है
हिन्दी फिल्म वाले भी तो चोरी करके फिल्में बनाते हैं
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