करतार सिंह का स्वागत करते राजकुमार ग्वालानी
पद्मश्री और ओलंपियन करतार सिंह से बातचीत
कामनवेल्थ के लिए जिस तरह से योजना बनाकर कुश्ती की टीम को लगातार तीन साल से ज्यादा समय से तैयार किया जा रहा है, अगर उसी तरह से ओलंपिक के लिए भी दीर्घकालीन योजना पर काम किया जाए तो भारत को पदक जीतने से कोई नहीं रोक सकता है। इसी के साथ पदक जीतने के लिए देश प्रेम का जज्बा भी जरूरी है।
ये बातें यहां पर चर्चा करते हुए पद्मश्री प्राप्त ओलंपियन और भारतीय कुश्ती महासंघ के सचिव करतार सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि भारत में कम से कम ऐसा पहली बार हुआ है कि कामनवेल्थ की तैयारी के लिए टीम को तीन साल से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का नतीजा भी जरूर सामने आएगा। उन्होंने दावा किया कि यह बात तय है कि कुश्ती में जो २१ स्वर्ण पदक दांव पर लगे हैं, उसमें से एक दर्जन से ज्यादा स्वर्ण पदकों पर भारतीय पहलवानों का कब्जा होगा। तीन बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले इस पहलवान ने कहा कि जिस तरह से कामनवेल्थ के लिए पहली बार टीम के लिए दीर्घकालीन योजना बनाकर प्रशिक्षण शिविर लगाए गए और विदेशी कोच भी बुलाए गए अगर उसी तरह से ओलिंपक की तैयारी करवाई जाए तो कोई वजह नहीं है कि भारत को पदक नही मिलेंगे। उन्होंने पूछने पर कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार के पदक जीतने के बाद कुश्ती का परिदृश्य भारत में बदला है। वैसे यह भी सत्य है कि इसके पहले हमारे पहलवान ओलंपिक के ज्यादातर आयोजनों में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे हैं। लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण वे पदक तक नहीं पहुंच पाते थे। लेकिन अब सुविधाओं में इजाफा हुआ है। और यह बात तय है कि अगर सुविधाओं में इजाफा होता है तो उसका नतीजा भी सामने आता है, जैसा बीजिंग ओलंपिक में आया है।
प्रशिक्षकों की बहुत कमी है
कामनवेल्थ के साथ विश्व कप में भी भारत के लिए पदक जीतने वाले करतार सिंह को इस बात का मलाल है कि अपने देश में प्रशिक्षकों की बहुत ज्यादा कमी है। वे कहते हैं कि स्कूल में शिक्षक ही नहीं होंगे तो छात्र पढ़ेंगे क्या। उन्होंने पूछने पर कहा कि भारत में कुश्ती के साई के पास बमुश्किल १०० कोच हैं। वे कहते हैं कि साई के पास कम से कम एक हजार कोच होने चाहिए, इसी के साथ हर राज्य के पास अपने सौ-सौ कोच होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक कोच नई तकनीक के जानकार नहीं होंगे तब तक परेशानी होगी। वे कहते हैं कि पहले कुश्ती १५ मिनट की होती थी, इसके बाद ९ मिनट और महज ६ मिनट की हो गई है। ६ मिनट के खेल में आपके पास बस दो मिनट ही होते हैं। इस दो मिनट में जिनके पास तकनीकी ज्ञान ज्यादा होता है, बाजी उनके हाथ लगती है। करतार सिंह कहते हैं कि आज मिट्टी की कुश्ती का जमाना भी नहीं रहा है। आज देश में ज्यादा राज्यों से पहलवान न निकलने का कारण मैट हैं। आज कुश्ती आधुनिक मैट पर होती है और हर राज्य के पास ऐसे मैट नहीं हैं। वे कहते हैं कि होना तो यह चाहिए कि स्कूलों में भी मैट पर कुश्ती हो। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रशिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि उनके महासंघ ने रेफरी क्लीनिक लगाने के बाद प्रशिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिलाने का काम किया है।
देश प्रेम का जज्बा भी जरूरी
एशियाड में चार बर स्वर्ण जीते वाले इस पहलवान का मानना है कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में पदक जीतने के लिए देश प्रेम के जज्बे का होना भी निहायत जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुविधाओं का रोना तो आम बात है, पर हमें कीनिया और क्यूबा जैसे देश को देखना चाहिए, जहां पर भूखमरी होने के बाद भी वहां के धावक आज विश्व में छाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि अपने देश में पालकों की सोच को भी बदलने की जरूरत है। आज हर पालक चाहता है कि उनका बच्चा मात्र पढ़े-लिखे। सभी ऐसा सोचेंगे तो खेल कैसे बढ़ेगा।
ओवरएज पर अंकुश लगा है
भारतीय कुश्ती के सचिव करतार सिंह बताते हैं कि कुश्ती में भी ओवरएज को लेकर भारी परेशानी थी, लेकिन अब इससे पूरी तरह से मुक्ति मिल गई है। हमने इसके लिए बहुत कड़ाई की और ओवरएज खिलाडिय़ों को बाहर का रास्ता दिखाया। उन्होंने बताया कि अब तो यूथ ओलंपिक भी होना वाला है, इसके लिए २६-२७ फरवरी को ट्रायल होंगे।
रामदेव बाबा ने हमारे अखाड़े में अभ्यास किया है
करतार सिंह ने बताया कि रामदेव बाबा हरियाणा के अंखाड़े में अभ्यास करते थे। उन्होंने वहां दो साल अभ्यास किया। रामदेव बाबा के योग को मीडिया ने लोकप्रिय किया है। इसके पहले भी लोग योग करते थे, लेकिन मीडिया के कारण रामदेव बाबा और योग को सभी जानने लगे हैं। मेरे कहने का मतलब यह है कि मीडिया के कारण ही हर खेल लोकप्रिय होता है।
छत्तीसगढ़ में प्रशिक्षण देने जरूर आऊंगा
ओलंपियन करतार सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वे छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने के लिए जरूर आएंगे अगर उनको बुलाया जाएगा। उन्होंने छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों और संघ के पदाधिकारियों से कहा कि तेरे-मेरे की भावना से उठकर एकजुट होकर खेलने की जरूरत है। उन्होंने बस्तर में हो रहे भारत-इंडो कुश्ती स्पर्धा के बारे में कहा कि ऐसे आयोजन छत्तीसगढ़ में होने से यहां पर कुश्ती लोकप्रिय होगी।
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