आपके दर से न लौटे कोई खाली हाथ
हमारी कालोनी में रहने वाला एक परिचित हमारे पास मदद मांगने के लिए आया। मदद बहुत छोटी सी थी, उनको अपने बच्चे का एक स्कूल में एडमिशन करवाना था। हमने उनका काम कर दिया और वह हमें धन्यवाद देने लगा कि आपके कारण मेरे बच्चे का अच्छे स्कूल में एडमिशन हो गया। हमारी मदद करने की आदत शुरू से रही है। जितनी हो सकती है हम लोगों की किसी भी तरह की मदद करते हैं। हम इतने ज्यादा सक्षम तो नहीं हैं कि किसी की आर्थिक मदद कर सके, पर दूसरे तरह की जो भी मदद होती है, उससे हम इंकार नहीं करते हैं। हमारे कई मित्र इस बात से खफा रहते हैं कि जिसे देखों मदद करते फिरते हो। हमारा ऐसा मानना है कि अगर कोई हमारे पास मदद मांगने के लिए आया है तो इसका मतलब साफ है कि हमें भगवान ने इस काबिल बनाया है कि हम किसी की मदद कर सके तभी तो लोग हमारे पास मदद मांगने आते हैं, अगर हम काबिल ही नहीं होते तो क्यों कर कोई मदद मांगने आता।
हमारा ऐसा सोचना है कि अगर कोई किसी के पास मदद मांगने आता है तो इस बात का जरूर ख्याल रखना चाहिए कि वह इसलिए आपके पास आया है क्योंकि आप इस लायक हैं। अब हम किसी को यह कभी नहीं कर सकते हैं कि कोई अगर मदद मांगने आए तो उसको अपना सब कुछ दे दो। हमारे कहने का मतलब यह है कि हम कम से कम किसी को यह नहीं कह सकते हैं कि कोई रुपए-पैसे मांगने आए तो उसको दे देने चाहिए। रुपए-पैसों का मामला इंसान का अपना व्यक्तिगत मामला होता है। वैसे तो किसी की मदद करना भी अपना व्यक्तिगत मामला होता है, लेकिन किसी को थोड़ी सी मदद करने से अगर उसका काम बन जाता है, तो ऐसी किसी मदद से इंकार नहीं करना चाहिए। आप अगर किसी ऐसे मुकाम पर हैं जिनके कहने से किसी का काम हो जाता है तो ऐसा करने में हर्ज क्या है। अब अगर हम उन परिचित को उनके बच्चा का एडमिशन करवाने से इंकार कर देते तो वह किसी और के पास चले जाते। कोई न कोई उनकी मदद कर ही देता। लेकिन उनको चूंकि इस बात का भरोसा था कि हम उनकी मदद कर सकते हैं और हमारे कहने से उनका काम बन सकता है सो वे हमारे पास आए। इस तरह से कई लोग हमारे साथ काम करने वाले या फिर जान-पहचान वाले हमारे पास आते हैं तो हम किसी को मना नहीं करते हैं। बशर्ते कि वह काम हमारे बस का होना चाहिए। लेकिन इसका यह मलतब भी नहीं है कि कोई उलटा-सीधा काम लकेर आए और वह हमारे बस में हो तो हम वह करवा दें। ना.. बिलकुल ना..। ऐसा कोई काम कभी करना पसंद नहीं करते हैं।
हम लोग जिस दुनिया में रहते हैं तो हम सभी को कभी न कभी जाने अंजाने एक-दूसरे की मदद की जरूरत पड़ती है। अगर सभी मदद करने से कतराने लगेंगे तो क्या होगा। अक्सर ऐसा होता है कि कहीं सड़क पर कोई घटना हो जाती है तो कोई किसी की मदद करने के लिए रास्ते में रूकने में तैयार नहीं होता है। इसके पीछे कारण भी है कि कोई पुलिस के लफड़े में पडऩा नहीं चाहता है। यहां पर पुलिस वालों की गलती है कि आज अगर कोई किसी की मदद के लिए नहीं रूकता है तो पुलिस वालों के सवालों के कारण ऐसा हो गया है। अगर पुलिस वाले सुधर जाएं और मदद करने वालों से ज्यादा सवाल-जवाब न किए जाए तो लोग जरूर मदद करने लगेंगे। वैसे मदद तो लोगों की मिली ही जाती है, क्योंकि इंसानियत अभी कायम है। अगर ऐसी इंसानियत दिखाने का काम हर कोई करने लगे तो क्या बुरा है। आज अगर हम लोग यह ठान लें कि किसी को भी अपने दर से खाली हाथ जाने नहीं देंगे, तो जरूर वह ऊपर वाला भी हमारा भला करेगा। कहते भी है कि कर भला तो हो भला। फिर न जाने क्यों इंसान है आज इस मुंह मोड़ चला।
10 टिप्पणियाँ:
नेक खयाल राजकुमार जी। अच्छा लगा पढ़कर। रहीम की पंक्तियाँ याद आयी-
रहिमन वे नर मर चुके जो कहीं माँगन जाहि।
उनसे पहले वे मुए जिन मुख निकसत नाहिं।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सच में किसी की मदद करने में जो सुख मिलता है, उनको बयान नहीं किया जा सकता है। जरूरतमंदों की मदद सबको करना चाहिए.
छोटी-मोटी मदद हर इंसान को करनी चाहिए।
बहुत नेक विचार हैं आपके।
बेसक कोई किसी की पैसों से मदद न कर पाए लेकिन कोई किसी के बुरे वक्त में उसके साथ बस खड़े हो जाता है तो भी इंसान का हौसला बढ़ जाता है।
मददगारों के दम पर ही तो ये कायनात चल रही है। आपके ख्यालात जानकार अच्छा लगा।
किसी की मदद करोगे तो ही आप किसी से मदद की उम्मीद कर सकते हैं।
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आज अगर हम लोग यह ठान लें कि किसी को भी अपने दर से खाली हाथ जाने नहीं देंगे, तो जरूर वह ऊपर वाला भी हमारा भला करेगा।
बात में दम है
अगर पुलिस वाले सुधर जाएं और मदद करने वालों से ज्यादा सवाल-जवाब न किए जाए तो लोग जरूर मदद करने लगेंगे।
ये बात तो ठीक है
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