अबे तुम पत्रकार क्या घुटना दिमाग होते हो? - बे-बात पर ही खफा होगा
''राज़''-ब्लाग चौपाल- राजकुमार ग्वालानी
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सभी को नमस्कार करता है आपका *राज*
अबे तुम पत्रकार क्या घुटना दिमाग होते हो?
एक मित्र का फोन आया और उसने एक सवाल दाग दिया कि क्या तुम पत्रकार घुटना
दि...
13 वर्ष पहले
9 टिप्पणियाँ:
आज की हकीकत बयां करती रचना है
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बहुत खूब राज भाई ...सच को सामने रख दिया आपने..बहुत कम शब्दों में ...
सच को उजागर करने वाली कविता है आपकी
Jeevan ka katu satya.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
एक सत्य की तरह सत्य लिखा है आपने
प्यासी आंखें, भूखी आतें
नजर आती है चारो तरफ
बेबसी, लाचारी, गरीबी और भूख
लगती है आज सारी दुनिया
बधिर और मूक
बहुत सटीक
कम सब्दों में बड़ी बात
समाज पर करारा परहर है ये कविता
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