हर बात पे मांगना इस्तीफा-विपक्ष का सबसे बड़ा शगूफा
राजनीति में विपक्ष के पास एक ही सबसे बड़ा शगूफा रहता है और वह है कि सत्ता पक्ष ने कोई गलती की नहीं कि बिना सोचे समझे दे दिया जाता है बयान कि इस्तीफा दें। अब 15 अगस्त के दिन की बात करें तो दंतेवाड़ा में महिला बॉल विकास मंत्री सुश्री लता उसेंडी ने जो झंडा फहराया, उसे झंडा लगाने वाले ने उल्टा लगा दिया था। उल्टा झंडा फहराया दिया गया, पर बाद में ध्यान जाने पर उसे सीधा कर दिया गया। झंडा लगाने वाले प्रधान आरक्षक को निलंबति भी कर दिया गया और पुलिस अधीक्षक को नोटिस भी जारी कर दिया गया। पर ऐसे समय में अगर विपक्ष चुप बैठ जाता तो फिर वह विपक्ष कैसे कहलाता। पूर्व नेता प्रतिपक्ष कांग्रेसी नेता महेन्द्र कर्मा ने आनन-फानन में मंत्री से इस्तीफा देने की मांग कर दी। अब कर्मा जी बताएं कि उन मंत्री महोदया की यहां पर क्या गलती है? क्या कर्मा जी ने खुद कभी झंडा फहराने से पहले इस बात की जानकारी ली है कि कहीं झंडा उल्टा तो नहीं बंधा है। कर्मा जी क्या कोई इस बात की जानकारी कभी नहीं लेता है। इसमें दो मत नहीं है कि झंडे का अपमान किया गया है, लेकिन उसकी सजा भी दे दी गई। फिर झंडे को लेकर ओछी राजनीति क्यों? ऐसी राजनीति करने वालों को ऐसे लोग नजर नहीं आते हैं क्या जो वास्तव में तिरंगे का अपमान करते हैं। सानिया मिर्जा से लेकर सचिन तेंदुलकर पर भी तिरंगे के अपमान के आरोप लगे हैं। इन्होंने ऐसा किया भी है, पर इनके खिलाफ किसी ने क्या कर लिया।
छत्तीसगढ़ में 15 अगस्त के दिन बस्तर के दंतेवाड़ा में जब वहां की प्रभारी मंत्री सुश्री लता उसेंडी मुख्य समारोह में गईं तो वहां पर उन्होंने जो झंडा फहराया, वह झंडा उल्टा लगाया गया था। उन्होंने झंडा फहरा दिया और सलामी ले ली। बाद में इस तरफ ध्यान गया कि झंडा उल्टा लगा है। झंडे में हरा रंग ऊपर था जबकि वह नीचे होना चाहिए। ध्यान जाने पर झंडे को उतार कर सीधा किया गया। इस मामले में दंतेवाड़ा की कलेक्टर रीना कंगाले ने जहां झंडा लगाने वाले प्रधान आरक्षक भीमाराम पोयाम को निलंबित कर दिया, वहीं पुलिस अधीक्षक अमरेश मिक्षा को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। देखा जाए तो इस मामले में इतना पर्याप्त था। लेकिन यहां पर विपक्षी दल कांग्रेस के नेता महेन्द्र कर्मा से रहा नहीं गया और अपने विपक्षी होने का धर्म निभाने के लिए आनन-फानन में बयान दे दिया कि मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।
अब कर्मा जी यह बताएं कि आखिर इस सारे प्रकरण में मंत्री का कहां दोष है? क्या कोई भी मंत्री या वे खुद कभी किसी समारोह में झंडा फहराने से पहले इस बात की जानकारी लेते हैं कि झंडा ठीक से लगाया गया है या नहीं? कमावेश कभी ऐसा होता नहीं है कि झंडा उल्टा लगाया जाए। यह बात देश का हर नागरिक जानता है कि झंडा कैसे लगाया जाता है। कोई भी सच्चा भारतीय कभी नहीं चाहेगा कि तिरंगे का अपमान हो। और उन प्रधान आरक्षक की भी भावना तिरंगे का अपमान करने की नहीं रही होगा। निश्चित ही यह मानवीय भूलवश हो गया होगा। इस मामले को तूल देने का सवाल ही नहीं था, पर विपक्ष अगर किसी बात को तूल न दे तो फिर विपक्ष कैसे कहलाएगा। सोचने वाली बात यह है कि आखिर विपक्ष में बैठे राजनीतिक दल कब तक ऐसी ओछी राजनीति करते रहेंगे। अरे किसी मामले में दम हो तो बात करें। बिना मलतब की बातों पर बात-बात में इस्तीफा मांगना क्या यह विपक्ष का शगूफा नहीं हो गया है।
अब छत्तीसगढ़ की नक्सल जैसी गंभीर समस्या पर भी तो विपक्ष महज राजनीति ही कर रहा है। जिस मामले में सरकार के साथ मिलकर विपक्ष को काम करना चाहिए, उस मामले में विपक्ष महज इस्तीफा मांगने के अलावा कुछ नहीं कर रहा है। अगर विपक्ष को वास्तव में तिरंगे के मान का इतना ही ध्यान है तो क्यों नहीं वह ऐसे लोगों के खिलाफ मुहिम चलाने का काम करता है जो देश भर में तिरंगे का अपमान करते हैं। हमने कुछ दिनों पहले ही एक ब्लाग पर देखा था कि कैसे भारत की टेनिस की सुपर स्टार सानिया मिर्जा तिरंगे की तरफ शान से पैर करके बैठीं थीं। वैसे यह मामला पिछले साल का है। फिल्मी स्टार मंदिरा बेदी ने साड़ी में बिलकुल घुटानों के नीचे तिरंगा लगा रखा था। सचिन ने तो तिरंगे का केक काटा था। एक अधिकारी के घर में उनके पैर दान में तिरंगा पड़ा था। क्या तिरंगे का अपमान करने वाले इन लोगों के खिलाफ विपक्ष को कुछ करने की बात नहीं सुझती है। क्या विपक्ष सिर्फ पक्ष में बैठे लोगों के खिलाफ ही बोलना अपना धर्म समझता है। अगर ऐसा है तो फिर ऐसे विपक्ष का इस देश में क्या काम है।
छत्तीसगढ़ में 15 अगस्त के दिन बस्तर के दंतेवाड़ा में जब वहां की प्रभारी मंत्री सुश्री लता उसेंडी मुख्य समारोह में गईं तो वहां पर उन्होंने जो झंडा फहराया, वह झंडा उल्टा लगाया गया था। उन्होंने झंडा फहरा दिया और सलामी ले ली। बाद में इस तरफ ध्यान गया कि झंडा उल्टा लगा है। झंडे में हरा रंग ऊपर था जबकि वह नीचे होना चाहिए। ध्यान जाने पर झंडे को उतार कर सीधा किया गया। इस मामले में दंतेवाड़ा की कलेक्टर रीना कंगाले ने जहां झंडा लगाने वाले प्रधान आरक्षक भीमाराम पोयाम को निलंबित कर दिया, वहीं पुलिस अधीक्षक अमरेश मिक्षा को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। देखा जाए तो इस मामले में इतना पर्याप्त था। लेकिन यहां पर विपक्षी दल कांग्रेस के नेता महेन्द्र कर्मा से रहा नहीं गया और अपने विपक्षी होने का धर्म निभाने के लिए आनन-फानन में बयान दे दिया कि मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।
अब कर्मा जी यह बताएं कि आखिर इस सारे प्रकरण में मंत्री का कहां दोष है? क्या कोई भी मंत्री या वे खुद कभी किसी समारोह में झंडा फहराने से पहले इस बात की जानकारी लेते हैं कि झंडा ठीक से लगाया गया है या नहीं? कमावेश कभी ऐसा होता नहीं है कि झंडा उल्टा लगाया जाए। यह बात देश का हर नागरिक जानता है कि झंडा कैसे लगाया जाता है। कोई भी सच्चा भारतीय कभी नहीं चाहेगा कि तिरंगे का अपमान हो। और उन प्रधान आरक्षक की भी भावना तिरंगे का अपमान करने की नहीं रही होगा। निश्चित ही यह मानवीय भूलवश हो गया होगा। इस मामले को तूल देने का सवाल ही नहीं था, पर विपक्ष अगर किसी बात को तूल न दे तो फिर विपक्ष कैसे कहलाएगा। सोचने वाली बात यह है कि आखिर विपक्ष में बैठे राजनीतिक दल कब तक ऐसी ओछी राजनीति करते रहेंगे। अरे किसी मामले में दम हो तो बात करें। बिना मलतब की बातों पर बात-बात में इस्तीफा मांगना क्या यह विपक्ष का शगूफा नहीं हो गया है।
अब छत्तीसगढ़ की नक्सल जैसी गंभीर समस्या पर भी तो विपक्ष महज राजनीति ही कर रहा है। जिस मामले में सरकार के साथ मिलकर विपक्ष को काम करना चाहिए, उस मामले में विपक्ष महज इस्तीफा मांगने के अलावा कुछ नहीं कर रहा है। अगर विपक्ष को वास्तव में तिरंगे के मान का इतना ही ध्यान है तो क्यों नहीं वह ऐसे लोगों के खिलाफ मुहिम चलाने का काम करता है जो देश भर में तिरंगे का अपमान करते हैं। हमने कुछ दिनों पहले ही एक ब्लाग पर देखा था कि कैसे भारत की टेनिस की सुपर स्टार सानिया मिर्जा तिरंगे की तरफ शान से पैर करके बैठीं थीं। वैसे यह मामला पिछले साल का है। फिल्मी स्टार मंदिरा बेदी ने साड़ी में बिलकुल घुटानों के नीचे तिरंगा लगा रखा था। सचिन ने तो तिरंगे का केक काटा था। एक अधिकारी के घर में उनके पैर दान में तिरंगा पड़ा था। क्या तिरंगे का अपमान करने वाले इन लोगों के खिलाफ विपक्ष को कुछ करने की बात नहीं सुझती है। क्या विपक्ष सिर्फ पक्ष में बैठे लोगों के खिलाफ ही बोलना अपना धर्म समझता है। अगर ऐसा है तो फिर ऐसे विपक्ष का इस देश में क्या काम है।
6 टिप्पणियाँ:
गनीमत है कि सत्ता में बैठे दल ने यह नहीं कहा कि यह हमारी मंत्री को बदनाम करने की विपक्ष की साजिश है और उनके इशारे पर ही झंडा उल्टा लगाया था। अपने देश में तो ऐसी ही राजनीति करना जानते हैं राजनीतिक दल
सानिया मिर्जा जैसे टेनिस स्टार को ऐसा करना शोभा नहीं देता है। सच में इससे बड़ा अपमान अपने तिरंगे का हो ही नहीं सकता है।
जब तक देश में स्वार्थी नेता रहेंगे तिरंगे का अपमान तो होता रहेगा।
ऐसी घटना के बाद लगता है कि झंडा फहराने से पहले नेताओं को इस बात की जानकारी ले ही लेनी चाहिए कि झंडा ठीक से लगाया गया है या नहीं। ऐसा करने में गलती होने की संभावना ही समाप्त हो जाएगी।
झंडे को उल्टा लगाना मानवीय भूल हो सकती है। झंडा लगाने वाले को बलि का बकरा बनाने की जरूरत नहीं थी।
सत्ता में बैठे लोग हों या फिर विपक्ष में बैठे लोग सबको अपनी रोटियां सेंकने से मतलब है, देश की जनता और तिरंगे की परवाह किसे हैं।
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