मैं ट्रक और बस का टायर हूं
मैं ट्रक और बस का टायर हूं
ट्रक और बस मेरी हस्ती है
ट्रक और बस मेरी जवानी है
मुझसे पहले कितने टायर
आए और आकर चले गए
कुछ भस्ट होकर चले गए
कुछ पंचर होकर रह गए
मैं ट्रक और बस का टायर हूं
ट्रक और बस मेरी हस्ती है
ट्रक और बस मेरी जवानी है
कल और आएंगे सड़कों पे
चलने वाले कितने टायर
मुझसे बेहतर चलने वाले
मुझसे बेहतर दिखने वाले
क्यों कोई मुझको याद करे
क्यों कोई मुझको याद करे
मशरूफ जमाना मेरे लिए
क्यों वक्त अपना बर्बाद करे
मैं ट्रक और बस का टायर हूं
ट्रक और बस मेरी हस्ती है
ट्रक और बस मेरी जवानी है
(नोट: यह पैरोडी हमने स्कूल के जमाने में बनाकर स्कूल के वाषिक कार्यक्रम में सुनाई थी, आज अचानक याद आई तो इसे लिख दिया)।
11 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर.
बेहतरीन..................
बहुत सुन्दर रचना!
बधाई!
मुझसे पहले कितने टायर
आए और आकर चले गए
कुछ भस्ट होकर चले गए
कुछ पंचर होकर रह गए
लाजवाब
वाह मजा है आ गया गुरु
बहुत ही अच्छी पैरोडी बनाई है
दिल तर कर दिया आपकी पैरोडी ने
क्या बात है ...वाह
बहुत जोर की पैरोडी है..आनंद आया पढ़ कर...वाह...
नीरज
वाह ! आनंद आ गया...
वाह क्या बात है .... बहुत ही सुन्दर पैरोडी बनाई है । मजा आ गया पढ़कर ।
राजकुमार्जी यह पैरोडी भले ही आपने अपने स्कूलिंग के समय में बनाई होगी किंतु इसकी प्रासंगिकता हर वक्त बनी रहेगी , मसलन ऎसा लगता है कि जैसे ये पैरोडी आज ही लिखी गई हो
nice
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