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शुक्रवार, अगस्त 21, 2009

हम अब भी तेरा एतबार करते हैं


तुम्हें हमसे नफरत सही

हम तुम्हें प्यार करते हैं।।

इस हंसी गुनाह को

हम हर बार करते हैं।।

तुम आओगी नहीं जानकर भी

हम तुम्हें बुलाते हैं।।

दिल के आईने में अब भी

हम तेरा दीदार करते हैं।।

ऐ मेरी हमदम तुम्हें तो

वफा के नाम से नफरत है।।

और एक हम हैं जो

जफा से भी प्यार करते हैं।।

गम लिए फिरते हैं

सारे जमाने का दिल में।।

मगर फिर भी न किसी से

शिकायत करते हैं।।

आ जाओ लौटकर तुम

दिल की दुनिया फिर से बसाने।।

हम तो तेरा अब भी

इंतजार करते हैं।।

सब कहते हैं बेवफा तुम्हें

पर हम तेरा अब भी एतबार करते हैं।।

11 टिप्पणियाँ:

guru शुक्र अग॰ 21, 08:50:00 am 2009  

दिल जले लगते हो गुरु

rohit,  शुक्र अग॰ 21, 09:16:00 am 2009  

दिल जलों की दास्ता बया कर दी आपने

asif ali,  शुक्र अग॰ 21, 09:23:00 am 2009  

सब कहते हैं बेवफा तुम्हें
पर हम तेरा अब भी एतबार करते हैं।।

वाह क्या बात है...

Unknown शुक्र अग॰ 21, 09:44:00 am 2009  

दिल को छू गई आपकी रचना

samir,  शुक्र अग॰ 21, 10:19:00 am 2009  

दिल जले लगते हो क्या तुम भी प्यार करते हो

Unknown शुक्र अग॰ 21, 12:42:00 pm 2009  

प्यार में ऐसा ही होता है

Unknown शुक्र अग॰ 21, 01:07:00 pm 2009  

आग में हाथ डालोगे तो हाथ तो जलेंगे ही न

RAJNISH PARIHAR शुक्र अग॰ 21, 03:14:00 pm 2009  

जब बेवफा से भी प्यार करना चाहे तो समझो मामला गड़बड़ है..!मेरा मतलब अभी भी प्यार है...

bhavana,  शुक्र अग॰ 21, 04:55:00 pm 2009  

सुन्दर रचना है

berojgar शुक्र अग॰ 21, 07:17:00 pm 2009  

राजकुमार जी आप मेरे ब्लॉग के समर्थक बने आपका स्वागत है. 'राजतन्त्र' पर आप अच्छा लिख रहें हैं

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