राजनीति के साथ हर विषय पर लेख पढने को मिलेंगे....

शनिवार, अगस्त 15, 2009

क्या आपको आता है राष्ट्रगान


आज स्वतंत्रता दिवस है। इस मौके पर हम एक छोटी सी बात ब्लाग बिरादरी के साथ अपने पाठकों से पूछना चाहते हैं कि क्या आपको राष्ट्रगान आता है। अगर आता है तो लिख कर दिखाएं। हमने बहुत से ऐसे लोगों को देखा है जो देशभक्ति की बातें तो बहुत करते हैं, पर जब राष्ट्रगान के बारे में पूछा जाता है तो बंगले झांकने लगते हैं। ऐसे लोगों में कई बड़े-बड़े अधिकारी शामिल हैं। वैसे भी आज के अंग्रेजी के जमाने में स्कूलों में भी राष्ट्रगान की कदर नहीं रह गई है। अगर आप इसकी कदर करते हैं तो फिर देर किस बात की है आज के दिन लिख दें आप भी राष्ट्रगान और बता दें कि आप जानते हैं राष्ट्रगान।



अंत में पूरी ब्लाग बिरादरी और पाठकों के साथ सभी देशवासियों को आजादी की 62वीं वर्षगांठ की ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

22 टिप्पणियाँ:

guru शनि अग॰ 15, 12:28:00 pm 2009  

हमें आता है, पर अभी नहीं बताएंगे गुरु

अर्चना तिवारी शनि अग॰ 15, 12:46:00 pm 2009  

जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा
द्राविड उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे जय जय जय जय हे

अर्चना तिवारी शनि अग॰ 15, 12:47:00 pm 2009  

क्या जिसको राष्ट्रगान नहीं आता वह देश द्रोही है ?

राजकुमार ग्वालानी शनि अग॰ 15, 01:05:00 pm 2009  

अचर्ना जी,
राष्ट्रगान न आने से कोई देशद्रोही नहीं हो जाता है। न ही हमने ऐसा कुछ कहा है। हमने तो एक सीधा सा सवाल पूछा है? हर किसी को अपने देश का राष्ट्रगान तो आना ही चाहिए। वैसे आज लोग राष्ट्रगान का अपमान करने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसे कई उदारहण हैं। किसी स्थान पर राष्ट्रगान चलता है और लोग खड़े होना भी जरूरी नहीं समझते हैं। ऐसे लोगों के लिए आप क्या कहेंगी? ऐसे लोगों में कई सरकारी अधिकारी हैं जो राज्यपाल के कार्यक्रमों में जाते हैं और यह बात सब जानते हैं कि राज्यपाल के किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत और अंत में राष्ट्रगान होता है। तब अधिकारी अपने-अपने में खोए रहते हैं। मीडिया से जुड़े होने के बाद भी हमें इस बात को स्वीकार में कोई संकोच नहीं है कि मीडिया वाले भी कम अपमान नहीं करते हैं राष्ट्रगान।

soniya,  शनि अग॰ 15, 01:07:00 pm 2009  

आजादी की सालगिरह पर बधाई।

Unknown शनि अग॰ 15, 01:19:00 pm 2009  

अच्छा सवाल है, राष्ट्रगान के बारे में सबको मालूम होना चाहिए। हमें तो आता है।

बेनामी,  शनि अग॰ 15, 01:43:00 pm 2009  

sabhie ko aata haen aur behtar hota haen agar aesi post kae saath puraa raashtr gana daediya jaayae taaki ek baar sab usko dubara padh lae , archana thanks is post ko puraa karnae kae liyae

राजकुमार ग्वालानी शनि अग॰ 15, 01:47:00 pm 2009  

अचर्ना जी,
राष्ट्रगान न आने से कोई देशद्रोही नहीं हो जाता है। न ही हमने ऐसा कुछ कहा है। हमने तो एक सीधा सा सवाल पूछा है? हर किसी को अपने देश का राष्ट्रगान तो आना ही चाहिए। वैसे आज लोग राष्ट्रगान का अपमान करने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसे कई उदारहण हैं। किसी स्थान पर राष्ट्रगान चलता है और लोग खड़े होना भी जरूरी नहीं समझते हैं। ऐसे लोगों के लिए आप क्या कहेंगी? ऐसे लोगों में कई सरकारी अधिकारी हैं जो राज्यपाल के कार्यक्रमों में जाते हैं और यह बात सब जानते हैं कि राज्यपाल के किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत और अंत में राष्ट्रगान होता है। तब अधिकारी अपने-अपने में खोए रहते हैं। मीडिया से जुड़े होने के बाद भी हमें इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि मीडिया वाले भी कम अपमान नहीं करते हैं राष्ट्रगान।

अजय कुमार झा शनि अग॰ 15, 01:52:00 pm 2009  

हमें तो दोनों ही राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत स्कूल के जमाने से याद है राज भाई..वैसे बात आपकी सौ प्रतिशत सच है...खुद मैंने भी कई बार महसूस की है ...

राजकुमार ग्वालानी शनि अग॰ 15, 01:57:00 pm 2009  

रचना जी,

अगर पोस्ट के साथ राष्ट्रगान दे दिया जाता तो पोस्ट का विषय ही बदलना पड़ता। तब हमें लिखना पड़ता, ये है हमारा राष्ट्रगान, आप भी इसे एक बार फिर से पढ़ लें। अगर हमने राष्ट्रगान लिख दिया होता तो फिर अर्चना जी क्यों कर राष्ट्रगान लिखतीं। चलिए अगर आपका ऐसा मानना है कि अर्चना जी ने पोस्ट को पूरा कर दिया है तो हमें क्या दिक्कत है। हमने कई लोगों को राष्ट्रगान से अंजान देखा है, तभी एक सवाल मन में उठा था, जिसे हमने पूछा है।

Unknown शनि अग॰ 15, 02:00:00 pm 2009  

जन-गण मन अधिनायक जय हे। भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंध गुजरात मराठा। द्राविड़ उत्कल बंगा
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा। उच्छल जलधि तरंगा
तव शुभ नामे जागे। तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा। जन-गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे .. जय हे.. जय हे ..
जय, जय, जय, जय हे

Unknown शनि अग॰ 15, 02:11:00 pm 2009  

राष्ट्रगान तो अर्चना और नेहा जी ने लिख ही दिया है। अगर अब मैं लिख दूंगा तो ये तो नहीं माना जाएगा कि इसकी नकल है। चलो चाहे जो माने मैं भी लिख ही देता हूं राष्ट्रगान।

जन-गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंध गुजरात मराठा, द्राविड़ उत्कल बंगा
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा, जन-गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे

Unknown शनि अग॰ 15, 02:19:00 pm 2009  

सच में लोग राष्ट्रगान को भुलने लगे हैं तभी तो रायपुर नगर निगम ने रोज काम प्रारंभ करने से पहले राष्ट्रगान करने की परंपरा का प्रारंभ किया है। ऐसा ही हर सरकारी दफ्तर में होना चाहिए। काम प्रारंभ करने से पहले उसी तरह से राष्ट्रगान हो जिस तरह से स्कूलों में पढ़ाई के पहले होता है।

sunil,  शनि अग॰ 15, 02:46:00 pm 2009  

हमारी नजर में तो राष्ट्रगान का न आना सरासर गलत है। अगर आप अपने देश का राष्ट्रगान ही नहीं जानते हैं तो फिर किस मुंह से कह सकते हैं कि आप हिन्दुस्तानी हैं। अगर किसी से कोई विदेश में यह सवाल कर दें आपको राष्ट्रगान आता है? और वह आदमी वहां पर राष्ट्रगान के बारे में न बता सके तो क्या वहां पर देश का अपमान नहीं होगा?

Kavita Vachaknavee रवि अग॰ 16, 02:32:00 am 2009  

एक दो चीजों की ओर ध्यान दिया जा सकता है-
"बंगा" नहीं "बंग"
और "माँगे" नहीं "मागे"

Sachi रवि अग॰ 16, 03:40:00 am 2009  

I knew, but I have forgotten..I can manage, but one thing is fluidity and another thing is to manage..

Unknown रवि अग॰ 16, 09:33:00 am 2009  

कविता जी- आपने बंगा को बंग और मांगे को मागे होने की बात कही है। मुझे लगता है यह सही नहीं है। किसी भी प्रायमरी स्कूल की किताब में देख लें सभी में राष्ट्रगान प्रकाशित है और सभी में बंगा और मांगे हैं। आशीष मांगी जाती है, मांग में हमेशा बिन्दी रहती है, बिना बिन्दी के मांग कैसे पूरी हो सकती है। कृपया अपनी जानकारी पर ध्यान दें।

anu रवि अग॰ 16, 09:39:00 am 2009  

मैंने भी किताबों में देखा है बंगा और मांगे हैं। लेकिन जो ठीक है वह सामने आना चाहिए ताकि गलतफहमी दूर हो। अगर और किसी के पास जानकारी हो तो जरूर बनाएं।

राजकुमार ग्वालानी रवि अग॰ 16, 10:03:00 am 2009  

@ कविता जी
@ नेहा जी
हमें तो कविता जी बात ठीक लग रही है। वैसे नेहा जी अपने स्थान पर सही हैं। सही इसलिए कि हमने भी स्कूल की किताबों में देखा है, वहां पर बंगा और मांगे लिखा है। इसी तरह से तरंग के स्थान पर तरंगा लिखा है। अब स्कूलों में बच्चों को जो पढ़ाया और बताया जाएगा उसी को वो सही समझेंगे। हमने राष्ट्रगान को विकिपीडिया में देखा है वहां से कापी करके यहां दे रहे हैं। इस राष्ट्रगान के मुताबिक कविता जी की बातें सही हैं। लेकिन सोचने वाली यह है कि स्कूल की किताबों में जो गलती है उसका क्या होगा? यह एक गंभीर मुद्दा है। स्कूलों की किताबों में अगर राष्ट्रगान में गलत शब्द लिखे हैं तो इससे बड़ी गलती हो ही नहीं सकती है। इस दिशा में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय को ध्यान देना चाहिए।
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे

गिरिजेश राव, Girijesh Rao रवि अग॰ 16, 10:37:00 am 2009  

भारत सरकार के राष्ट्रीय पोर्टल पर यह पाठ उपलब्ध है। इसे प्रमाणिक माना जा सकता है:
जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता,
पंजाब-सिंधु गुजरात-मराठा,
द्रविड़-उत्‍कल बंग,
विन्‍ध्‍य-हिमाचल-यमुना गंगा,
उच्‍छल-जलधि-तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा,
जन-गण-मंगल दायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।
++++++++++++++++++++++
द्राविड़ नहीं द्रविड़ और मागे नहीं मांगे।

बेनामी,  रवि अग॰ 16, 11:31:00 am 2009  

विवाद बहुतेरे।
किन्तु अंतर्जाल की बात की जाये तो देखिए

http://hi.wikipedia.org/wiki/जन_गण_मन

http://marathi.webdunia.com/miscellaneous/special09/rday/0901/23/1090123032_1.htm

http://lyricsindia.net/songs/show/4011

http://www.sandhaan.com/hindi/index.php?title=जन_गण_मन(भारत_का_राष्ट्रीय_जान)

http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=जन_गण_मन_/_रवीन्द्रनाथ_ठाकुर

http://www.sarejahanseaccha.com/2007/07/28/जन-गण-मन/

http://www.aksharamala.com/hindi/isb/song/?id=15946

http://www.tarakash.com/joglikhi/?p=829

http://hindivideoblog.blogspot.com/2009/08/blog-post_4418.html

http://quest.webdunia.com/hindi/2/8591/1/2/question.html

और यहाँ रहा ऑडियो भी
http://www.desicolours.com/jana-gana-mana-the-national-anthem-of-india/14/08/2009

Kavita Vachaknavee रवि अग॰ 16, 05:27:00 pm 2009  

शायद इस तर्क ("मागे" पर दी अपनी टिप्पणी)का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए थी किन्तु क्या किया जाए जब लोगों की यह भी बताना पड़े कि भई कवीन्द्र रवीन्द्र का यह गीत हिन्दी में नहीं बाङ्ला में है और ‘मागे’ व ‘माँगे’ का अन्तर इसी में छिपा है।

तथाकथित किताबों के प्रूफ़ रीडर की बात हम से बेहतर कौन जानता होगा जिन प्रूफ़ रीडरों ने यशपाल लिखित "फूलो का कुरता" को "फूलों का कुरता" बना दिया। ....व विश्वविद्यालयों तक के कथित बुद्धिजीवी उसे फूलों ही समझते हैं। शेष आप लोगों की मेहरबानी जैसा चाहें आप राष्ट्रगान में बदलाव करने के लिए स्वतन्त्र हैं। यहाँ कौन रवीन्द्र आकर किसी पर केस ठोंकने वाले हैं भला? मर खप गए वे। सो, डर काहे का?

Related Posts with Thumbnails

ब्लाग चर्चा

Blog Archive

मेरी ब्लॉग सूची

  © Blogger templates The Professional Template by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP