क्या आपको आता है राष्ट्रगान
आज स्वतंत्रता दिवस है। इस मौके पर हम एक छोटी सी बात ब्लाग बिरादरी के साथ अपने पाठकों से पूछना चाहते हैं कि क्या आपको राष्ट्रगान आता है। अगर आता है तो लिख कर दिखाएं। हमने बहुत से ऐसे लोगों को देखा है जो देशभक्ति की बातें तो बहुत करते हैं, पर जब राष्ट्रगान के बारे में पूछा जाता है तो बंगले झांकने लगते हैं। ऐसे लोगों में कई बड़े-बड़े अधिकारी शामिल हैं। वैसे भी आज के अंग्रेजी के जमाने में स्कूलों में भी राष्ट्रगान की कदर नहीं रह गई है। अगर आप इसकी कदर करते हैं तो फिर देर किस बात की है आज के दिन लिख दें आप भी राष्ट्रगान और बता दें कि आप जानते हैं राष्ट्रगान।
अंत में पूरी ब्लाग बिरादरी और पाठकों के साथ सभी देशवासियों को आजादी की 62वीं वर्षगांठ की ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
22 टिप्पणियाँ:
हमें आता है, पर अभी नहीं बताएंगे गुरु
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा
द्राविड उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे जय जय जय जय हे
क्या जिसको राष्ट्रगान नहीं आता वह देश द्रोही है ?
अचर्ना जी,
राष्ट्रगान न आने से कोई देशद्रोही नहीं हो जाता है। न ही हमने ऐसा कुछ कहा है। हमने तो एक सीधा सा सवाल पूछा है? हर किसी को अपने देश का राष्ट्रगान तो आना ही चाहिए। वैसे आज लोग राष्ट्रगान का अपमान करने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसे कई उदारहण हैं। किसी स्थान पर राष्ट्रगान चलता है और लोग खड़े होना भी जरूरी नहीं समझते हैं। ऐसे लोगों के लिए आप क्या कहेंगी? ऐसे लोगों में कई सरकारी अधिकारी हैं जो राज्यपाल के कार्यक्रमों में जाते हैं और यह बात सब जानते हैं कि राज्यपाल के किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत और अंत में राष्ट्रगान होता है। तब अधिकारी अपने-अपने में खोए रहते हैं। मीडिया से जुड़े होने के बाद भी हमें इस बात को स्वीकार में कोई संकोच नहीं है कि मीडिया वाले भी कम अपमान नहीं करते हैं राष्ट्रगान।
आजादी की सालगिरह पर बधाई।
अच्छा सवाल है, राष्ट्रगान के बारे में सबको मालूम होना चाहिए। हमें तो आता है।
sabhie ko aata haen aur behtar hota haen agar aesi post kae saath puraa raashtr gana daediya jaayae taaki ek baar sab usko dubara padh lae , archana thanks is post ko puraa karnae kae liyae
अचर्ना जी,
राष्ट्रगान न आने से कोई देशद्रोही नहीं हो जाता है। न ही हमने ऐसा कुछ कहा है। हमने तो एक सीधा सा सवाल पूछा है? हर किसी को अपने देश का राष्ट्रगान तो आना ही चाहिए। वैसे आज लोग राष्ट्रगान का अपमान करने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसे कई उदारहण हैं। किसी स्थान पर राष्ट्रगान चलता है और लोग खड़े होना भी जरूरी नहीं समझते हैं। ऐसे लोगों के लिए आप क्या कहेंगी? ऐसे लोगों में कई सरकारी अधिकारी हैं जो राज्यपाल के कार्यक्रमों में जाते हैं और यह बात सब जानते हैं कि राज्यपाल के किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत और अंत में राष्ट्रगान होता है। तब अधिकारी अपने-अपने में खोए रहते हैं। मीडिया से जुड़े होने के बाद भी हमें इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि मीडिया वाले भी कम अपमान नहीं करते हैं राष्ट्रगान।
हमें तो दोनों ही राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत स्कूल के जमाने से याद है राज भाई..वैसे बात आपकी सौ प्रतिशत सच है...खुद मैंने भी कई बार महसूस की है ...
रचना जी,
अगर पोस्ट के साथ राष्ट्रगान दे दिया जाता तो पोस्ट का विषय ही बदलना पड़ता। तब हमें लिखना पड़ता, ये है हमारा राष्ट्रगान, आप भी इसे एक बार फिर से पढ़ लें। अगर हमने राष्ट्रगान लिख दिया होता तो फिर अर्चना जी क्यों कर राष्ट्रगान लिखतीं। चलिए अगर आपका ऐसा मानना है कि अर्चना जी ने पोस्ट को पूरा कर दिया है तो हमें क्या दिक्कत है। हमने कई लोगों को राष्ट्रगान से अंजान देखा है, तभी एक सवाल मन में उठा था, जिसे हमने पूछा है।
जन-गण मन अधिनायक जय हे। भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंध गुजरात मराठा। द्राविड़ उत्कल बंगा
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा। उच्छल जलधि तरंगा
तव शुभ नामे जागे। तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा। जन-गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे .. जय हे.. जय हे ..
जय, जय, जय, जय हे
राष्ट्रगान तो अर्चना और नेहा जी ने लिख ही दिया है। अगर अब मैं लिख दूंगा तो ये तो नहीं माना जाएगा कि इसकी नकल है। चलो चाहे जो माने मैं भी लिख ही देता हूं राष्ट्रगान।
जन-गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिंध गुजरात मराठा, द्राविड़ उत्कल बंगा
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा, जन-गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे
सच में लोग राष्ट्रगान को भुलने लगे हैं तभी तो रायपुर नगर निगम ने रोज काम प्रारंभ करने से पहले राष्ट्रगान करने की परंपरा का प्रारंभ किया है। ऐसा ही हर सरकारी दफ्तर में होना चाहिए। काम प्रारंभ करने से पहले उसी तरह से राष्ट्रगान हो जिस तरह से स्कूलों में पढ़ाई के पहले होता है।
हमारी नजर में तो राष्ट्रगान का न आना सरासर गलत है। अगर आप अपने देश का राष्ट्रगान ही नहीं जानते हैं तो फिर किस मुंह से कह सकते हैं कि आप हिन्दुस्तानी हैं। अगर किसी से कोई विदेश में यह सवाल कर दें आपको राष्ट्रगान आता है? और वह आदमी वहां पर राष्ट्रगान के बारे में न बता सके तो क्या वहां पर देश का अपमान नहीं होगा?
एक दो चीजों की ओर ध्यान दिया जा सकता है-
"बंगा" नहीं "बंग"
और "माँगे" नहीं "मागे"
I knew, but I have forgotten..I can manage, but one thing is fluidity and another thing is to manage..
कविता जी- आपने बंगा को बंग और मांगे को मागे होने की बात कही है। मुझे लगता है यह सही नहीं है। किसी भी प्रायमरी स्कूल की किताब में देख लें सभी में राष्ट्रगान प्रकाशित है और सभी में बंगा और मांगे हैं। आशीष मांगी जाती है, मांग में हमेशा बिन्दी रहती है, बिना बिन्दी के मांग कैसे पूरी हो सकती है। कृपया अपनी जानकारी पर ध्यान दें।
मैंने भी किताबों में देखा है बंगा और मांगे हैं। लेकिन जो ठीक है वह सामने आना चाहिए ताकि गलतफहमी दूर हो। अगर और किसी के पास जानकारी हो तो जरूर बनाएं।
@ कविता जी
@ नेहा जी
हमें तो कविता जी बात ठीक लग रही है। वैसे नेहा जी अपने स्थान पर सही हैं। सही इसलिए कि हमने भी स्कूल की किताबों में देखा है, वहां पर बंगा और मांगे लिखा है। इसी तरह से तरंग के स्थान पर तरंगा लिखा है। अब स्कूलों में बच्चों को जो पढ़ाया और बताया जाएगा उसी को वो सही समझेंगे। हमने राष्ट्रगान को विकिपीडिया में देखा है वहां से कापी करके यहां दे रहे हैं। इस राष्ट्रगान के मुताबिक कविता जी की बातें सही हैं। लेकिन सोचने वाली यह है कि स्कूल की किताबों में जो गलती है उसका क्या होगा? यह एक गंभीर मुद्दा है। स्कूलों की किताबों में अगर राष्ट्रगान में गलत शब्द लिखे हैं तो इससे बड़ी गलती हो ही नहीं सकती है। इस दिशा में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय को ध्यान देना चाहिए।
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जय गाथा
जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे
भारत सरकार के राष्ट्रीय पोर्टल पर यह पाठ उपलब्ध है। इसे प्रमाणिक माना जा सकता है:
जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्य-विधाता,
पंजाब-सिंधु गुजरात-मराठा,
द्रविड़-उत्कल बंग,
विन्ध्य-हिमाचल-यमुना गंगा,
उच्छल-जलधि-तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा,
जन-गण-मंगल दायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।
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द्राविड़ नहीं द्रविड़ और मागे नहीं मांगे।
विवाद बहुतेरे।
किन्तु अंतर्जाल की बात की जाये तो देखिए
http://hi.wikipedia.org/wiki/जन_गण_मन
http://marathi.webdunia.com/miscellaneous/special09/rday/0901/23/1090123032_1.htm
http://lyricsindia.net/songs/show/4011
http://www.sandhaan.com/hindi/index.php?title=जन_गण_मन(भारत_का_राष्ट्रीय_जान)
http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=जन_गण_मन_/_रवीन्द्रनाथ_ठाकुर
http://www.sarejahanseaccha.com/2007/07/28/जन-गण-मन/
http://www.aksharamala.com/hindi/isb/song/?id=15946
http://www.tarakash.com/joglikhi/?p=829
http://hindivideoblog.blogspot.com/2009/08/blog-post_4418.html
http://quest.webdunia.com/hindi/2/8591/1/2/question.html
और यहाँ रहा ऑडियो भी
http://www.desicolours.com/jana-gana-mana-the-national-anthem-of-india/14/08/2009
शायद इस तर्क ("मागे" पर दी अपनी टिप्पणी)का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए थी किन्तु क्या किया जाए जब लोगों की यह भी बताना पड़े कि भई कवीन्द्र रवीन्द्र का यह गीत हिन्दी में नहीं बाङ्ला में है और ‘मागे’ व ‘माँगे’ का अन्तर इसी में छिपा है।
तथाकथित किताबों के प्रूफ़ रीडर की बात हम से बेहतर कौन जानता होगा जिन प्रूफ़ रीडरों ने यशपाल लिखित "फूलो का कुरता" को "फूलों का कुरता" बना दिया। ....व विश्वविद्यालयों तक के कथित बुद्धिजीवी उसे फूलों ही समझते हैं। शेष आप लोगों की मेहरबानी जैसा चाहें आप राष्ट्रगान में बदलाव करने के लिए स्वतन्त्र हैं। यहाँ कौन रवीन्द्र आकर किसी पर केस ठोंकने वाले हैं भला? मर खप गए वे। सो, डर काहे का?
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