राहुल गांधी की तो.....
अरे यार.. ये रास्ता भी बंद है, वो रास्ता भी बंद आखिर जाए तो जाए कहां से जाए। यार ये ऐसे नेता लोग आते ही क्यों है जिनके कारण रास्ते बंद करने पड़ते हैं। आखिर ये कौन नेता है? जिसके कारण रास्ते बंद कर दिए गए हैं। एक से बताया यार ये यह राहुल गांधी है। जैसे ही एक ने नाम लिया, दूसरे ने तपाक से कहा राहुल गांधी की तो.....।
ये नजारा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तब नजर आया जब सोनिया गांधी से लाडले राहुल बाबा का रायपुर आना हुआ। उनका आना हमेशा की तरह से आम जनों के लिए मुसीबत का सबब बना। सुबह के समय हम भी प्रेस की मिटिंग निपटा कर लौट रहे थे। हर तरफ रास्ता बंद। बड़े रास्ते क्या हर गली-कुचे के रास्तों को बंद कर दिया गया था और कदम-कदम पर पुलिस वाले तैनात थे। पुलिस वालों का व्यवहार हमेशा की तरह आम जनों से ऐसा था मानो आमजन ही वो आतंकवादी हैं जो राहुल बाबा को उड़ा देंगे। यहां पर एक बार फिर से कुछ दिनों पहले दिल्ली हाई कोर्ट का दिया गया फैसला याद आया कि अगर नेताओं को जान का इतना ही खतरा है तो वे बाहर ही क्यों निकलते हैं।
नेताओं के कारण जब आम जनों को परेशानी होती है तो परेशानी में इंसान क्या-क्या नहीं कहने लगता है। हम जिस रास्ते से भी गुजरे और जहां भी रास्ता बंद था, वहां पर ज्यादातर लोग राहुल बाबा को कोसते हुए और गाली देते दिखे। जिसके मन में जो आ रहा था वह अपनी भड़ास गालियां देकर निकाल रहा था। किसी ने गालियों में सभ्यता दिखने की जरूरत नहीं समझी और ऐसे मामले में सभ्यता दिखाने की जरूरत भी क्या है। वास्तव में ऐसे समय में अच्छे खासे इंसान का दिमाग खराब हो जाता है। अब ऐसे में इंसान ऐसे नेताओं को जो आम जनों को कीड़ों से ज्यादा नहीं समझे हैं उनको गालियां नहीं देंगे तो क्या उनकी आरती उतारेंगे। वैसे भी आम जनों को क्या लेना-देना राहुल गांधी के दौरे से। राहुल के आने न आने से किसकी सेहत पर फर्क पड़ता है। अरे आमजनों की बात ही छोड़ दें उनके आने से तो उनकी पार्टी के लोग भी खुश नहीं होते हैं। कारण पार्टी के कितने ऐसे लोग हैं जिनको उनसे मिलने का मौका मिलता है। जिनको उनके मिलने का मौका नहीं मिलता है, वे भी मन ही मन उनको कोसते हैं, कई लोग अपने गुस्से का इजहार सार्वजनिक भी कर देते हैं।
रास्ते में जहां आम जन राहुल बाबा को कोसते नजर आए, वहीं कई पुलिस वाले भी राहुल बाबा को गालियां देने से परहेज नहीं कर रहे थे। पुलिस वालों का ऐसा कहना था कि साले ये नेता आते हैं तो जनता के साथ हमारी भी मुसीबत हो जाती है। उनके आने-जाने के समय घंटों खड़े रहो मूर्ति की तरह रास्ते में। उपर से आम जनों की गालियां भी खाओ और उनसे विवाद भी करो।
18 टिप्पणियाँ:
व्यथित मन क्या क्या नहीं कह सकता है, पता नहीं इन सब से हमें कब छुटकारा मिलेगा ।
अरे आपने तो राहुल गांधी की वाट लगा दी।
"राहुल गांधी की तो....."
आगे मत कहना भाई.....
शसससस...सस्स्स्स्स...
राहुल गांधी को गालियां देने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
अब आया मजा, ये हुई ने दमदारी से लिखने की बात गुरु
किस-किस पर कार्रवाई करवाओंगे राहुल के पिट्ठू, यहां तो हर कोई राहुल जैसे नेताओं को गालियां देता है, फिर यह कौन बताएगा कि किसने गालियां दी हैं।
इंसान ऐसे नेताओं को जो आम जनों को कीड़ों-मकाड़ों से ज्यादा नहीं समझे हैं उनको गालियां नहीं देंगे तो क्या उनकी आरती उतारेंगे। वैसे भी आम जनों को क्या लेना-देना राहुल गांधी के दौरे से। राहुल के आने न आने से किसकी सेहत पर फर्क पड़ता है।
100 फीसदी सच बात लिखी है आपने
बहुत बडे आदमी है ये जिस तलाशी के लिये कलाम साहब लाईन मे लगे जूते उतारे ये साहब उस रास्ते कभी प्लेन मे नही चढते जी राजकुवंर है सोनिया माता के ये सो थोडी बहुत तकलीफ़ अगर आपकॊ भी देदी तो चिड्चिडाईये मत . :)
मजा आ गया वाह क्या बात बताई आपने। नेताओं को गालियां ही देनी चाहिए, वो इसी लायक है। ये नालायक कब समझेंगे कि आम जनों को परेशान करके वे कब तक खैर मना सकते हैं।
पुलिस वाले भी तो इंसान ही होते हैं, कैसा भी मौसम हो उनको जब रास्ते में घंटों खड़ा रखा जाएगा तो उनका भी गुस्सा फुटेगा ही
आप सही समय में ड्यूटी में पहुँचे या नहीं या अपने स्वजन को अस्पताल ले जाते रास्ता बंद होने के कारण उसकी मृत्यु हो जाये, क्या फर्क पड़ता है? हाँ नेताओं को सुविधा न मिले तो अवश्य फर्क पड़ता है।
आम जन परेशान होकर ही आज नेताओं पर जूते चलाने लगे हैं। नेता जूतो की ही भाषा समझते हैं।
लोग जाम में फंसेंगे तो गलियां नहीं देंगे तो और क्या करेंगे
नाम बदल दीजिए, हरेक को वही गालियाँ पड़ती हैं
देश के नेताओं से तो हर कोई तस्त है
भाई इन नेताओं की खबर अपने देश मैं ना सही पर अमेरिका जरुर लेता है| यही राहुल बाबा को अमेरिका मैं रोका गया था , पूरी रिपोर्ट यहाँ पढ़ सकते हैं : http://berojgarkidayri.blogspot.com/2009/08/blog-post_26.html
sahi keh sab ne diya par ye nahi socha ke ye sab nete hamari vajah se hai sahne ki adat dal li hai to saho kisi aur ko dosh dene se kya hoga jiske liye sab likh rahe hai usse to fark bhi nahi padega.
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