देह की भूख के आगे सब बेमानी
आज आदमी अपनी देह की भूख में इतना अंधा हो गया है कि उसको इसके आगे कुछ नजर ही नहीं आता है। देह की भूख तो इंसान में सदियों से रही है, पर इस भूख की खातिर जिस तरह से सितम अब महिलाओं पर होने लगे हैं वैसे शायद पहले नहीं होते थे। पहले किसी देश में ऐसा कानून नहीं था कि अगर पत्नी, पति की देह की भूख नहीं मिटाएगी तो उसको खाना नहीं मिलेगा। लेकिन अब ऐसा कानून भी बना गया है। भले यह कानून मुस्लिम देश अफगानिस्तान में बना है, पर इस कानून की गूंज अगर आगे दूसरे मुस्लिम देशों में हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। वैसे भी महिला जाति पर सबसे ज्यादा सितम तो मुस्लिम राष्ट्रों में ही होते हैं। फिर यह नहीं भूलना चाहिए कि इसी समाज में एक से ज्यादा पत्नियां रखने की भी इजजात है। ऐसे में महिलाओं का सम्मान कैसे हो सकता है? संभवत: महिलाओं को अफगानी कानूनी से हो रही पीड़ा का अहसास करते हुए ही अपनी एक साथी ब्लागर गीताश्री ने अपने एक लेख में लिख दिया है कि शादी लायसेंस प्राप्त वैश्यावृति है। उनकी इस बात से हर कोई सहमत नहीं हो सकता है, पर महिला जाति पर हो रहे अत्याचार का घिनौना चेहरा देखकर कोई भी आंदोलित हो जाएगा।
जब से अफगानी कानून की बात सामने आई है तब से इसको लेकर बहस चल रही है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि यह एक काला कानून है जो स्त्री जाति की स्वंत्रतता पर पूरी तरह से पाबंदी लगाता है। क्या महिलाओं की अपनी इच्छा और मन नहीं होता है? क्या पुरुष को जब भी इच्छा हो तो उसके तन की प्यास बुझाने के लिए स्त्री हाजिर हो जाए? अगर वह हाजिर नहीं होती है तो उसका खाना-पीना बंद। यह कहां का न्याय है? ऐसे कानून का समूचे विश्व को मिलकर विरोध करना चाहिए। वैसे भी पुरुष प्रधान समाज में हमेशा से महिलाओं को केवल भोग की वस्तु समझा जाता रहा है। लेकिन अब जमाना वह नहीं रह गया है। आज जब महिलाओं को समान अधिकार देने की बात की जाती है, तो सेक्स के मामले में महिलाओं के साथ पक्षपात क्यों? अगर पत्नी को सेक्स की इच्छा हो और पति मना कर दे तब उसके लिए यह कानून क्यों लागू नहीं होता है कि उसको भी भूखा रखा जाए। क्या महिलाएं अपनी सेक्स की इच्छा जाहिर नहीं कर सकती है? यहां पर सबसे बड़ी विडंबना यही है कि महिलाओं को अपनी इच्छा जाहिर करने की आजादी नहीं है। एक तो संकोच और शर्म की वजह से कम से कम भारतीय नारी ऐसा नहीं कर पाती हैं। अगर कोई ऐसा करने की हिम्मत करती है तो अगर उसका पति समझदार हुआ तब तो ठीक है, वरना उसकी सामत आ जाती है कि कैसी निर्लज है जो ऐसी बात कर रही है। पुरुष ऐसी बातें करें तो जायज है, अगर महिला करें तो वह निर्लज है। वाह क्या बात है।
हर तरह से महिलाओं पर ही पाबंदी का शिकंजा कसा जाता है। पुरुष अगर एक से ज्यादा महिलाओं से संबंध बना ले तो कहा जाता है वह तो पुरुष है उसका क्या जाएगा। और अगर कोई महिला अपने पति के अलावा किसी और से संबंध बना ले तो कहा जाता है कि इज्जत चली गई। यानी इसका मलतब साफ है कि इज्जत महिलाओं की ही होती है पुरुषों की इज्जत होती ही नहीं है इसीलिए तो जाती नहीं है। यहां पर तो महिला जाति को खुश होना चाहिए कि वास्तव में यह बड़ी बात है कि इज्जत महिला जाति की होती है पुरुषों की इज्जत होती ही नहीं है, अगर इज्जत होती तब जाती न।
आज जिधर भी नजर डालो हर तरफ बस देह के सौदागर नजर आते हैं। हर किसी को बस देह की भूख मार रही है। यह देह की भूख का ही तो आर्कषण है जिसके कारण यौन शोषण से लेकर बलात्कार जैसे घिनौने अपराध होते हैं। न जाने क्यों लोगों ने इस हमेशा कायम न रहने वाली काया से इतना मोह पाल रखा है कि हर किसी को चाहिए तन का मिलना वाली बात हो रही है। इंसान देह की भूख शांत करने के लिए न जाने क्या-क्या करता है।
गीताश्री ने अगर शादी को लायसेंस प्राप्त वैश्यावृति की संज्ञा दी है तो उसकी गहराई में जाने की जरूरत है। यहां पर हम इसको समझाने के लिए छोटा सा उदाहरण देना चाहेंगे कि जिस तरह से वैश्या को हासिल करने के लिए इंसान पैसे खर्च करता है, उसी तरह से इंसान अपनी प्रेमिका और पत्नी को तोहफों के साथ प्रलोभन से भी लुभाने की कोशिश करता है ताकि उनकी इच्छुओं का ख्याल रखा जाए। तो क्या यह भी एक तरह का सौदा नहीं है। माना कि पति-पत्नी के बीच में प्यार होता है, पर क्यों कर कोई पति अपनी पत्नी की हर मांग पूरी करता है, कहीं न कहीं तो उसके मन में यह बात रहती है कि यार अगर मैंने उसकी बात नहीं मानी तो न जाने वह कब सेक्स से इंकार कर दे। यह एक कटु सत्य है, भले कोई इस बात से इंकार कर दें, लेकिन यह बात सत्य।
कुल मिलाकर आज इंसान किसी भी तरह से देह पाने का लालची हो गया है। इसके लिए वह हर तरह का जतन करता है। इसका मतलब साफ है कि इंसान के सामने आज देह ऐसी चीज हो गई है जिसके आगे सब बेमानी हो गया है। बातें तो बहुत हैं इसको साबित करने के लिए। आज के जमाने में लोग बड़े-बड़े काम करवाने के लिए नेता-मंत्रियों और अफसरों के सामने सुंदर देह परसोने का काम करते हैं यह बात सब जानते हैं। कई बार ऐसी खबरे आती हैं कि लोग अपने प्रमोशन के लिए भी बॉस के सामने सुंदर देह परसोन का काम करते हैं। जासूसी में भी जानकारी एकत्रित करने के लिए देह का उपयोग होता है। देखा जाए तो हर बात आकर देह पर अटक जाती है क्योंकि इंसान को अगर सबसे ज्यादा भूख है तो वह है देह की भूख जिस भूख के आगे सब बेमानी है, देह की भूख में तो लोग देश को बेच खाते हैं।
9 टिप्पणियाँ:
आज जब महिलाओं को समान अधिकार देने की बात की जाती है, तो सेक्स के मामले में महिलाओं के साथ पक्षपात क्यों? अगर पत्नी को सेक्स की इच्छा हो और पति मना कर दे तब उसके लिए यह कानून क्यों लागू नहीं होता है कि उसको भी भूखा रखा जाए। क्या महिलाएं अपनी सेक्स की इच्छा जाहिर नहीं कर सकती है? यहां पर सबसे बड़ी विडंबना यही है कि महिलाओं को अपनी इच्छा जाहिर करने की आजादी नहीं है। एक तो संकोच और शर्म की वजह से कम से कम भारतीय नारी ऐसा नहीं कर पाती हैं। अगर कोई ऐसा करने की हिम्मत करती है तो अगर उसका पति समझदार हुआ तब तो ठीक है, वरना उसकी सामत आ जाती है कि कैसी निर्लज है जो ऐसी बात कर रही है। पुरुष ऐसी बातें करें तो जायज है, अगर महिला करें तो वह निर्लज है। वाह क्या बात है।
बहुत सही बात लिखी है आपने
हर तरह से महिलाओं पर ही पाबंदी का शिकंजा कसा जाता है। पुरुष अगर एक से ज्यादा महिलाओं से संबंध बना ले तो कहा जाता है वह तो पुरुष है उसका क्या जाएगा। और अगर कोई महिला अपने पति के अलावा किसी और से संबंध बना ले तो कहा जाता है कि इज्जत चली गई। यानी इसका मलतब साफ है कि इज्जत महिलाओं की ही होती है पुरुषों की इज्जत होती ही नहीं है इसीलिए तो जाती नहीं है। यहां पर तो महिला जाति को खुश होना चाहिए कि वास्तव में यह बड़ी बात है कि इज्जत महिला जाति की होती है पुरुषों की इज्जत होती ही नहीं है, अगर इज्जत होती तब जाती न।
सच में जिसकी इज्जत नहीं होगी तो जाएगी कैसे?
पुरुष होकर पुरुषों के खिलाफ लिखने से बड़ा पुरुषार्थ और कोई नहीं हो सकता है।
देह की भूख का काफी विस्तार से उल्लेख किया है आपने, इतने अच्छे लेख के लिए बधाई।
आज के जमाने में लोग बड़े-बड़े काम करवाने के लिए नेता-मंत्रियों और अफसरों के सामने सुंदर देह परसोने का काम करते हैं यह बात सब जानते हैं। कई बार ऐसी खबरे आती हैं कि लोग अपने प्रमोसन के लिए भी बॉस के सामने सुंदर देह परसोन का काम करते हैं। जासूसी में भी जानकारी एकत्रित करने के लिए देह का उपयोग होता है। देखा जाए तो हर बात आकर देह पर अटक जाती है क्योंकि इंसान को अगर सबसे ज्यादा भूख है तो वह है देह की भूख जिस भूख के आगे सब बेमानी है, देह की भूख में तो लोग देश को बेच खाते हैं।
यह तो आज के जमाने की सबसे बड़ी सच्चाई है।
सुनीता जी से सहमत
पुरुषों की तो वाट लगा दी गुरु
गुरु जी ने ठीक कहा है
माना कि पति-पत्नी के बीच में प्यार होता है, पर क्यों कर कोई पति अपनी पत्नी की हर मांग पूरी करता है, कहीं न कहीं तो उसके मन में यह बात रहती है कि यार अगर मैंने उसकी बात नहीं मानी तो न जाने वह कब सेक्स से इंकार कर दे। यह एक कटु सत्य है, भले कोई इस बात से इंकार कर दें, लेकिन यह बात सत्य।
१०० फीसदी सच बात
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