कांग्रेस महिला विरोधी
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस का महिला विरोधी चेहरा सामने आया है। जिस कांग्रेस की कमान श्रीमती सोनिया गांधी के हाथों में है, उस कांग्रेस का यह रूप समझ से परे है। अरे कांग्रेस को इस मामले में खुश होना था, पर कांग्रेसियों ने उल्टे विरोध करके अपने लिए परेशानी का सबब खड़ा कर दिया। दरअसल यह मामला है रायपुर के महापौर पद के आरक्षण का। छत्तीसगढ़ में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों के लिए जब लाटरी से आरक्षण किया गया तो रायपुर की सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई। ऐसे में महापौर का चुनाव लडऩे की आश लगाए बैठे कांग्रेसी बौखला गए और इस आरक्षण का विरोध करने नारे बाजी पर उतर आए। ऐसे में उनका महिला विरोधी चेहरा सामने आ गया।
छत्तीसगढ़ में इस समय नगरीय निकाय चुनावों की तैयारी चल रही है। ऐसे में प्रदेश के 10 नगर निगमों के महापौर के लिए किए गए आरक्षण में रायपुर की सीट महिला के हिस्से में चली गई। यह फैसला होना था कि कांग्रेसी बौखला गए और महिलाओं के खिलाफ ही नारे बाजी करने लगे। इधर कांग्रेसी नारेबाजी कर रहे थे उधर भाजपाई उनके इस विरोध के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। कांग्रेसियों ने जिस तरह से महिला महापौर का विरोध किया है, उससे यह लगने लगा है कि वास्तव में कांग्रेस में केवल उपरी तौर पर महिलाओं के लिए बात होती है।
दरअसल कांग्रेस में महिलाओं का सम्मान किया ही नहीं जाता है। माना कि कांग्रेस की कमान एक महिला श्रीमती सोनिया गांधी के हाथों में है इसके बाद भी कांग्रेसी महिलाओं के विरोधी हैं। अगर ऐसा नहीं है तो वे क्यों कर महापौर पद के लिए महिला आरक्षण का विरोध कर रहे थे। हमें तो लगता है कि कांग्रेसियों को इस बात से खुश होना चाहिए कि रायपुर सीट महिलाओं के लिए आरक्षति हो गई। अब कम से कम कांग्रेस के लिए महापौर का पद पाने की संभावना रहेगी। वरना अगर यह पद सामान्य रहता तो उसके लिए मौजूदा महापौर सुनील सोनी से पार पाना आसान नहीं होता। सुनील सोनी ने जिस तरह से रायपुर का विकास किया है, उसके बाद अगर उनको दूसरी बार चुनाव लडऩे का मौका मिलता तो कांग्रेस के लिए उनको मात देना आसान नहीं रहता। लेकिन अब जबकि सीट आरक्षित हो गई तो कांग्रेस किसी दमदारी महिला प्रत्याशी को मैदान में उतार कर जीत सकती है। लेकिन लगता है कि कांग्रेस के पास कोई दमदार महिला प्रत्याशी भी नहीं है तभी तो वह ज्यादा बौखला गई है।
एक तरफ कांग्रेस के पास कोई दमदार महिला प्रत्याशी नजर नहीं आ रही है तो दूसरी तरफ भाजपा के पास दमदार प्रत्याशियों की लंबी सूची है। इस सूची में से एक के नाम का चयन करना परेशानी का सबब होगा। वैसे भी भाजपा ने महिलाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में बहुत काम किए हैं। भाजपा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण काफी पहले से है। भाजपा ने ही संसद में महिलाओं को चुनाव में 33 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा उठाया था। भाजपा काफी पहले से इस आरक्षण के पक्ष में था, पर हमेशा कांग्रेस ने इसका विरोध किया। इधर रायपुर में जिस तरह से कांग्रेस ने महिलाओं का विरोध किया है, उसका खामियाजा उसे चुनाव में भी उठाना पड़ सकता है। वैसे भी कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ में अब बचा क्या है। विधानसभा चुनाव के बाद लोससभा चुनाव में भी उसे करारी मात मिली है। अब नगरीय निकाय चुनावों में भी उसके हाथ कुछ ज्यादा लगने की उम्मीद नहीं है।
6 टिप्पणियाँ:
यह तो सरासर महिलाओं के अपमान का मामला। महिलाओं को समान अधिकार देने की बात करने वालों की कथनी और करनी में कितना अंतर है यह पता चलता है।
कांग्रेस में भले गांधी परिवार की महिलाओं को छोड़ दिया जाए तो किसे पसंद किया गया है। कांग्रेस को महिला विरोध है, यह बात जग जाहिर है।
छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की लुटिया डूब चुकी है, अब बचा क्या है जो कांग्रेसी परवाह करेंगे।
भाजपा ने सदा महिलाओं का सम्मान किया है। भाजपा ने राजनीति में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर एक अच्छा काम किया है। भाजपा संगठन में भी महिलाओं को सम्मानजनत स्थान दिया जाता है।
कांग्रेसियों के पास महिला प्रत्याशियों का टोटा ही रहता है और ऐसा विरोध करते रहे तो हमेशा टोटा ही रहेगा।
अब नगरीय निकाय चुनाव में ही क्या कर लेंगे कांग्रेसी?
एक टिप्पणी भेजें