खेलगढ़ में पोस्ट का तिहरा शतक
देखते-देखते खेलगढ़ में पोस्ट का तिहरा शतक हो गया है और इसके बाद भी काफी रन बन गए हैं। हम इसके बारे में लिखना तो नहीं चाह रहे थे, पर लगातार कई मित्र यह बात कह रहे हैं कि लिखने और बताने में क्या बुराई है। वैसे भी आज का जमाना चिख-चिख कर बताने का है। अगर आप किसी को यह नहीं बताएंगे कि आपमें फला गुण है तो सामने वाला आपको मुर्ख ही समझेगा। हमने खेलगढ़ में लिखने की पारी की शुरुआत फरवरी 2009 से की थी। और अब तक छह माह के सफर में 300 से ज्यादा पोस्ट लिख चुके हैं। हम तो लगातार लिख रहे हैं क्योंकि हमारा मकसद छत्तीसगढ़ के साथ अपने देश के खेलों को एक अलग पहचान देने का है। लेकिन अफसोसजनक बात यह है कि खेल को संभवत: पढऩे वाले पाठक कम से कम ब्लाग बिरादारी में काफी कम हैं। अगर ऐसा न होता तो हमने खेलगढ़ के बाद राजतंत्र में लिखना शुरू किया है और अभी उसका दोहरा शतक भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन राजतंत्र ज्यादा पढ़ा जाता है। बहरहाल चाहे जो भी हो भले खेलगढ़ को कम लोग पढ़ते हैं, पर हम इसमें कभी लिखना बंद करने वाले नहीं है। कभी तो सफलता मिलेगी और खेलगढ़ भी राजतंत्र की तरह पढ़ा जाएगा।
20 टिप्पणियाँ:
बधाई हो
हमारी भी बधाई गुरु
खेलों को बढ़ाने के लिए इसी तरह से लिखते रहे, यही शुभाकामनाएं हैं।
खेल जगत को आपसे जैसे लिखने वालों की बहुत जरूरत है। कभी भी निराश होकर लिखना न छोड़े।
बधाई
हमारी भी बधाई
बधाई.... बधाई ..... बधाई.... बधाई
हमारी भी बधाई
लिखते रहे, शुभाकामनाएं
ऐसे ही लिखते रहे और एक नहीं कई तिहरे शतक पूरे करें, यही कामना है।
आप जैसे लिखने वालों के लिए तिहरा शतक क्या मायने रखता है, बधाई
बधाई!
खेलगढ़ को मैं नियमित पढ़ता हूं, आप छत्तीसगढ़ के खेलों के बारे में जो जानकारी देते हैं, उसके लिए आभार।
हमारी भी बधाई
ब्लाग जगत के सबसे तेज बल्लेबाज लगते हैं आप तो
हमारी भी बधाई
बधाई हो
बधाई हो ..राज भाई..ठोंके जाओ सेंचुरी पे सेंचुरी ...
बधाई राजकुमार जी
इसी तरह लिखते रहें, शुभकामनाएँ
राजतंत्र में भी आपका तिहरा शतक जल्द हो ऐसी कामना है।
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