मत बेचो मां को
एक दुस्वप्न देखता हूं
अपने ही भाई
मां को मार रहे हैं
उसके शरीर के
टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं
किन्तु मां
शांत, धैर्यपूर्ण मुद्रा में
उन्हें दुवाएं ही दे रही हैं
अचानक
मैं चौक उठता हूं
ये स्वप्न कहां
ये तो सच्चाई है
अपने ही भाई
भारत माता को
टुकड़ों में बांटने पर तुले हैं
अपने अंधे स्वार्थ की खातिर
विदेशियों के हाथों
बेचना चाहते हैं मां को
अरे पापियों
मत बेचो मां को
बड़ी मुश्किल से तो आजाद हुईं हैं
ये फिर जंजीरों का बोझ
सह न पाएगी
यदि जकड़ी गई फिर जंजीरों में
तो यह आजाद न हो पाएगी
(यह कविता हमने करीब 20 साल पहले लिखी थी, लेकिन आज भी हालात वही हैं बदले नहीं हैं)
अपने ही भाई
मां को मार रहे हैं
उसके शरीर के
टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं
किन्तु मां
शांत, धैर्यपूर्ण मुद्रा में
उन्हें दुवाएं ही दे रही हैं
अचानक
मैं चौक उठता हूं
ये स्वप्न कहां
ये तो सच्चाई है
अपने ही भाई
भारत माता को
टुकड़ों में बांटने पर तुले हैं
अपने अंधे स्वार्थ की खातिर
विदेशियों के हाथों
बेचना चाहते हैं मां को
अरे पापियों
मत बेचो मां को
बड़ी मुश्किल से तो आजाद हुईं हैं
ये फिर जंजीरों का बोझ
सह न पाएगी
यदि जकड़ी गई फिर जंजीरों में
तो यह आजाद न हो पाएगी
(यह कविता हमने करीब 20 साल पहले लिखी थी, लेकिन आज भी हालात वही हैं बदले नहीं हैं)
10 टिप्पणियाँ:
भारत को फिर से गुलाम बनाने का सपना तो कई देश बरसों से देख रहे हैं, पर अब उनके हाथ सफलता लगने वाली नहीं है। लेकिन देश के टुकड़े करने वालों से सावधान भी रहने की जरूरत है।
ठीक फरमाते हैं आप आज से 20 साल पहले जैसे हालात थे, वैसे ही आज भी है कोई फर्क नहीं आया है। अच्छी रचना है।
बड़ी मुश्किल से तो आजाद हुईं हैं
ये फिर जंजीरों का बोझ
सह न पाएगी
यदि जकड़ी गई फिर जंजीरों में
तो यह आजाद न हो पाएगी
sahi hai waqt badal gaya,haalat nahi badale,bahut achhi lagi rachana.
अरे पापियों
मत बेचो मां को
भई वाह क्या खूब लिखा है आपने
मां तो हमेशा दुवाएं ही देती हैं, अब यह तो मां की ममता को समझने वाले पर। आज के जमाने में जब लोग सगी मां को बेचने से नहीं चूकते हैं तो उनके लिए भारत मां क्या है?
शब्दों को बहुत अच्छे तरीके से बांधा है आपने जिसके कारण आपकी रचना सुंदर लग रही है।
बहुत अच्छा लिखा है आपने
हालात आज भी वही हैं..और रचना आज भी उतनी ही सामायिक!
बिलकुल सही कहा आपने। यह सोचने की बात है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
लहुलुहान भारत की तस्वीर...पर चिन्ता किसे है?
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