हर छत्तीसगढ़ वासी को नाज है रवि रतलामी पर
आज के कम्प्यूटर के जमाने में अब लगता है कोई भी काम असंभव नहीं है। अगर इंसान में लगन हो तो वह कुछ भी कर सकता है। एक समय हिन्दी में विंडोज सपने जैसा लगता था। लेकिन यह आ गया। इसके बाद होड़ लग गई अन्य भाषाओं में विंडोज बनाने की। लेकिन यह बात कम से कम छत्तीसगढ़ में रहने वाले उन कम्प्यूटरों के महारथियों ने भी नहीं सोची थी कि जो कम्प्यूटर का अपने को मास्टर समङाते हैं कि वे छत्तीसगढ़ी में विंडोज बनाने का काम करें। लेकिन छत्तीसगढ़ में २० साल तक रहने वाले रविशंकर श्रीवास्तव यानी रवि रतलामी जी के दिमाग में जरूर यह बात थी कि वे छत्तीसगढ़ी में विडोंज बनाए और उन्होंने यह काम कर भी दिखाया है। रवि जी पर जहां छत्तीसगढ़ रहवासियों को नाज है, वहीं छत्तीसगढ़ महतारी जरूर ऐसा सोच रहीं होंगी कि हर घर में रवि जैसा लाल हो जो अपनी महतारी का ऐसा ही सम्मान करे।
जब रवि रतलामी जी के रायपुर आने की खबर मिली थी, तब हमें भी नहीं मालूम था कि रवि जी ने छत्तीसगढ़ के लिए एक ऐसा काम किया है जैसा काम करने का साहस छत्तीसगढ़ का कोई सपूत नहीं कर पाया। हम तो उनसे एक वरिष्ठ ब्लागर होने के नाते मिलना चाहते थे ताकि उनके ज्ञान का हमें भी कुछ लाभ दो सके। उनके आने की खबर के बाद अनिल पुसदकर जी से बात करके यह तय किया गया कि एक वरिष्ठ ब्लागर होने के नाते उनका प्रेस क्लब बुलाकर सम्मान किया जाए। कार्यक्रम तय हो गया था कि उनको १० जुलाई को शाम को प्रेस क्लब में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में बुलाया जाएगा। वे यहां पर जिस कार्यक्रम के लिए आए थे वह कार्यक्रम दोपहर को होना था।
दोपहर को करीब तीन बजे सबसे पहले जब हमने बीएस पाबला जी को फोन किया तो उन्होंने कहा कि वे तो निरंजन धर्मशाला पहुंचने वाले हैं और अनिल पुसदकर जी भी वहीं हैं। हमने अनिल जी को फोन लगाया तो वे अपने चिरिपरिचित अंदाज में बोले अबे कहां है तू। हमने बताया कि भईया घर पर है और खाना खाकर सीधे पहुंच रहे हैं। हम खाना खाकर करीब ३.३० बजे पहुंचे तो देखा कि रवि जी के साथ अनिल जी और पाबला जी के साथ संजीव तिवारी जी बातों में लगे थे। वहां परिचय हुआ। और पांच मिनट बाद ही यह तय हो गया कि प्रेस क्लब चलकर बैठते हैं। तब तक संजीत त्रिपाठी भी आ गए थे। सबसे पहले रवि जी को प्रेस क्लब में घुमाया गया, इसके बाद प्रेस क्लब में महफिल जमी। चूंकि रवि जी के कार्यक्रम में समय था, ऐसे में ब्लाग जगत से जुड़ी बातों का दौर चल पड़ा। इस दौर में मालूम हुआ कि रवि जी ने छत्तीसगढ़ी में विडोंज बनाया है।
इस विडोंज के बारे में उन्होंने प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में बताया कि कैसे उन्होंने इसके लिए ६ माह तक मेहनत करके इसको तैयार किया है। वास्तव में रवि जी ने छत्तीसगढ़ के लिए एक ऐसा काम कर दिया है जैसा काम करने की हिम्मत छत्तीसगढ़ के किसी कम्प्यूटर के जानकार ने नहीं की। रवि जी पर हर छत्तीसगढ़ी को नाज है। एक दिन ऐसा आएगा जब रवि जी का छत्तीसगढ़ी के लिए किया गया योगदान स्वर्ण अक्षरों मे लिखा जाएगा।
बहरहाल रवि जी जो काम छत्तीसगढ़ी के लिए किया है उनके लिए हम पूरी छत्तीसगढ़ी बिरादरी की तरफ से उनका नमन करते हैं और आशा करते हैं कि रवि जी इसी तरह से काम करते रहे जो काम अपने देश का नाम विश्व में रौशन करने वाले हों।
20 टिप्पणियाँ:
रवि जी का यह कार्य अपनी श्रेणी में अनूठा है। अपनी भाषा को सम्मान देने वाले इस बहुमूल्य कार्य की उपयोगिता तभी सार्थक होगी जब इसे स्थानीय स्तर पर जन-जन तक पहुँचाया जाये।
पाबला जी की बातों से सहमत हूं. रवि जी की सहजता व सरलता के हम भी कायल है. रविजी पर हमने कुछ कलम घसीटी लिखी थी जो हरिभूमि रायपुर में प्रकाशित हुई थी छत्तीसगढ गौरव : रवि रतलामी इसे ही हमारी टिप्पणी समझी जाए.
सचमुच अनूठा काम ही किया है रवि रतलामी जी ने .. उनके इस कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए कम है .. अब इसका प्रचार प्रसार आवश्यक होगा .. जिससे इनकी मेहनत सफल हो .. शुभकामनाएं !!
रवि जी ने छत्तीसगढ़ी के लिए जो काम किया है, उसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार को उनका आभार मानते हुए उनका सम्मान करना चाहिए और उनकी बताई बातों पर अमल करते हुए उनके बनाए विंडोज को गांव-गांव तक पहुंचाने की योजना बनानी चाहिए।
वाह रे छत्तीसगढ़ के लाल तुझे है सबका सलाम। रवि रतलामी ने छत्तीसगढ़ के साथ छत्तीसगढ़ी का मान देश में ही नहीं विदेश में भी बढ़ाने का काम किया है। उनके इस योगदान के लिए छत्तीसगढ़ हमेशा उनका ऋणी रहेगा।
बड़ी अच्छी जानकारी दी राजकुमार जी ने आपने कि रवि रतलामी ने छत्तीसगढ़ी में विंडोज बनाया है। जानकारी के लिए आभार और रवि को इतने बड़े काम के लिए आभार के साथ हम भी सलाम करते हैं।
छत्तिसगढ़ के इस सपूत ने अपनी जन्मभूमि का गौरव बढ़ाया है।
अब देखें मुफ्त में उपलब्ध इस सोफ़्टवेर को सरकार कब जनता तक पहुँचाती है
आप कहते हो नाज है तो होगा, वैसे जब अखबारों में महान चिट्ठों के बारे में लिखते हैं हमें रवि रतलामी का चिट्ठा कहीं नहीं दिखता. आप समझ रहें हैं मेरी बात?
हम सब रवि रतलामी जी के दीवाने हैं।
रवि भाई पर केवल छत्तीसगढ़ियों को ही गर्व नहीं है, सभी स्वभाषाप्रेमियों को उन पर गर्व है।
रवि जी को हम भी नमन करते हैं गुरु
रवि रतलामी जी को कम्प्युटर ब्लॉग शिरोमणि कहना भी उचित होगा . मेरी जानकारी के अनुसार रतलामी जी विद्युत मंडल मध्यप्रदेश में भी कार्यरत रहे है इसी जानकारी मेरी एक सहयोगीजन ने मुझे दी है . वास्तव में वे सम्मान के पात्र है . धन्यवाद.
रवि जी ने छत्तीसगढ़ी के लिए जो काम किया है, उसके लिए छत्तीसगढ़ी का हर दीवाना उनका अहसानमंद रहेगा।
रवि जी की लगन को मैं भी नमन करती हूं। भगवान उनको ऐसे काम करने की लगातार हिम्मत दे यही कामना है।
रवि रतलामी जी को हम सभी ब्लॉगर एक प्रेरणा शक्ति के रूप में देखते हैं.
ब्लॉग्गिंग के इस पितामह को सलाम
'जब वी मेट' फिल्म में जैसे ही 'रतलाम' स्टेशन का नाम आया मेरे जहन में रवि रतलामी नाम तुरंत कौंध गया। इसी से आप समझ सकते हैं कि रतलाम का और एक पर्यायवाची शब्द निर्माण प्रक्रिया में है ठीक उसी तरह जैसे हाथरस से काका हाथरसी का।
ज्ञान जी,
आपने संजय बेंगाणी की टिप्पणी का काफी अच्छा जवाब दिया है। हम आपके आभारी हैं। रवि रतलामी जी के व्यक्तित्व के साथ काम ने हमें इतना ज्यादा प्रभावित किया कि हम छत्तीसगढ़ के वासी होने के नाते उनकी तारीफ किए बिना रह ही नहीं सकते थे। अगर कोई इंसान नि:स्वार्थ किसी की मदद कर रहा है तो उनकी मदद की तरीफ करने की बजाए उस पर कटाक्ष करना गलत बात है। इससे पहले की हमें संजय जी की बातों पर कोई जवाब देने का मौका मिलता, आप जैसे जानकार ने एक काफी अच्छे विशलेषण के साथ ऐेसा करारा जवाब दिया है जो सबको लाजवाब करने के लिए काफी है। न जाने क्यों ब्लाग बिरादरी में लोग एक-दूसरे की टांग खींचने का काम कर रहे हैं। हमारा तो ऐसा मानना है कि अगर कोई दुश्मन भी अच्छा काम करता है तो उस काम की तारीफ होनी चाहिए। किसी की आलोचना करने से आपको हासिल कुछ नहीं होने वाला है। आपकी पोस्ट के साथ रवि जी के चाहने वालों ने बता दिया है कि वास्तव में रवि जी क्या है। अब कोई उनके बारे में क्या सोचता है इससे क्या फर्क पड़ता है। सोच अपनी-अपनी और समझ अपनी-अपनी।
देखें ज्ञान की पोस्ट मैं मुरख, तुम ज्ञानी
रवि रतलामी जी ने सिर्फ़ छत्तीसगढ़ी के लिये ही यह काम नही किया बल्कि पुरे भारत के लिये किया है , इस लिये हम सब को इन पर नाज होना चाहिये.मै इन्हे बहुत बहुत बधाई देता हुं
धन्यवाद मित्रों, मैं आप सबका प्यार पाकर अभिभूत हूं. और आभारी भी.
संजय जी मेरे करीबी हैं, उनका मंतव्य अलग है.
आप सभी को पुन: धन्यवाद.
श्री रवि रतलामी की प्रशंसा में कुछ भी लिखना सूरज को दिए दिखाने जैसा है.
:)
[ब्लॉगजगत से आजकल दूर हो गया हूँ तो कई मजेदार किस्से छूटे चले जाते हैं]
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