रंजन ने जवाब देने में फुर्ती दिखाई-पर साथ में विजेता बने विवेक भाई
प्रिंस पहेली-2 को फटाफट हल करने का कमाल अपने रंजन भाई ने दिखाया। ठीक उनके पीछे अपने विवेक सिंह जी भी लगे थे। लेकिन जिस तरह से एथलेटिक्स में दौड़ के समय दो धावकों की दौड़ में अंतिम धावक का फैसला फोटो फिनिस से होता है, उसी तरह से प्रिंस पहेली का भी फैसला फोटो फिनिस जैसा हो गया। दरअसल रंजन जी और विवेक जी ने एक ही समय पर जवाब चटकाया। आप देख सकते हैं कि दोनों का समय 9.23 का है। लेकिन यहां पर समय जरूर एक है, पर फुर्ती दिखाने में अपने विवेक भाई थोड़ा सा चूक गए। रंजन जी की टिप्पणी का चटका पहले लग गया और विवेक जी का उनके बाद में। ऐसे में पहले विजेता के रूप में रंजन जी और दूसरे विजेता के रूप में विवेक जी का नाम होना चाहिए। लेकिन हम कोई एथलेटिक्स की दौड़ नहीं करवा रहे हैं, ऐसे में हम तो रंजन जी और विवेक को संयुक्त विजेता मान रहे हैं। राजतंत्र परिवार की तरफ से हमारे इन दोनों ब्लागर भाईयों को बधाई के साथ अनगिनत शुभकामनाएं हैं कि वे ऐसे ही सवालों को हल करते रहे और विजेता बनते रहे।
अब थोड़ी की चर्चा कर ली जाए, उन मजेदार टिप्पणियों पर भी जो की गई हैं। हमारे आदरणीय समीरलाल जी यानी उडऩ तश्तरी ने सबसे पहले टिपियाते हुए कहा कि- क्या कहें..ईश्वर उसकी मदद करे कि तौल पाये. गणित यूँ भी कमजोर है इसलिये सी ए करना पड़ा वरना इंजिनियर होते.
इसके बाद आई आदरणीय निर्मला कपिला जिन्होंने कहा- राम राम सुबह सुबह इतना भारी सवाल अपने बस का नहीं और तुका् हम लगाते नहीं मगर आपको जन्म दिन की बहुत बहुत मुबारक आपके परिवार के लिये भी शुभकामनायें
गुरु ने हमेशा की तरह अपने अलग अंदाज में कहा- अरे कहां गणित के चक्कर में फंसे हैं गुरु अपना जन्म दिन मनाएं और सबको मिठाई खिलाएं
अजय जी ने समय न होने का हवाला देते हुए शाम को जवाब देने की बात कही और कहा कि- भाई फिलहाल समय नहीं है शाम को काफी -पेन लेकर बैठेंगे तो जवाब देने की कोशिश करेंगे अभी तो काम पर जाना है। चलते-चलते आपको जन्मदिन की बधाई
संगीता पुरी ने अंत में कहा कि- मेरी डायरी में भी यह पहेली और इसके जवाब लिखे हुए थे .. पर मुझसे पहले आपको हल मिल गए .. आपको जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
अपने दिनेशराय द्विवेदी ने कहा कि- आपका सवाल तो हल हो चुका! अब जन्मदिन पर बहुत बहुत बधाई।
नेहा जी से घर का काम करते हुए हल ढूंढने की बात कही, पर उनका काम समाप्त होने से पहले जवाब आ गया।
प्रिंस पहेली में ही काफी मित्रों ने हमें जन्मदिन की भी बधाई दी। ऐसा प्यार और स्नेह हमें पहले कभी नहीं मिला। हम सबके आभारी हैं।
अब अंत में उस जवाब पर नजरें दौड़ा लें जो जवाब रंजन जी ने काफी विस्तार से दिया है-
चार बाट बनाओ १, ३, ९ और २७ kg के१२ = ३-१३४ = ३+१५ = ९-३-१६ = ९-३७ = ९+१-३८ = ९-१९१०= १+९११ = ९+३-११२=९+३१३= ९+३+१और एसे ही ४० तक
11 टिप्पणियाँ:
्रंजन जी और विवेक जी को बहुत बहुत बधाई और आपका धन्यवाद्
दो विजेता एक ताज..
्बहुत नाइंसाफी है...:)
आभार..
सवाल का हल तो मैंने भी तलाश लिया था, पर घर के काम से जैसे ही निपट कर नेट पर बैठी तो देखा कि तोता हाथ से उड़ चुका था। जीतने वालों को बधाई
रंजन जी आपके असली ताज की बुकिंग तो स्पीड पोस्ट से कर दी गई है, आपको घर पर डिलवरी मिल जाएगी, न मिले तो बताना हम कुरियर से भेज देंगे, कुरियर वाले ज्यादा फास्ट है, फिर भी न मिले तो अपना मेल है ही... चलिए अच्छा है, ऐसी नोंक-झोंक होते रहनी चाहिए, इसी बहाने लोगों के होठों पर हंसी तो आती है, वैसे भी हंसी की फसल आज-कल उगती कहां है?आपका धन्यवाद
जय हो
दोपहर को खाना खाने घर आए तब तो जवाब आ गया था। सोचा था कि दोपहर को बैठ कर ही कापी-पेन से हिसाब लगा लेंगे, लेकिन क्या करें मौका ही नहीं मिला।
क्या बात है रंजन गुरु बहुत फुर्ती दिखाई
बहुत-बहुत बधाई
यह तो आपकी महानता है जो आपने हमें संयुक्त विजेता घोषित किया , अन्यथा रंजन जी के लम्बे जवाब से जाहिर है उन्होंने पहले लिखना शुरू किया होगा :)
बहुत-बहुत बधाई
दोनो विजेता ही हैं .. दोनो को बहुत बहुत बधाई।
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