भ्रूण हत्या पर हर चैनल करे पहल
ना आना इस देश में लाडो सीरियल की नताशा-मेघना का मत
महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात करने वाले देश में आज भी कई राज्यों में लगातार भ्रूण हत्या का क्रम जारी है। ये हत्याएं नि:संदेह लड़कियों की ही होती हैं। आज के आधुनकि दौर में कन्याओं की भ्रूण में हत्या होना आश्चर्यजनक लगता है। इसको रोकने की पहल सरकार ने तो की है, पर वह काफी नहीं है। ऐसे में एक टीवी चैनल कलर्स ने इस सबसे बड़े मुद्दे पर एक सीरियल बनाने का काम किया है। इस सीरियल ना आना इस देश लाडो को भारी सफलता भी मिल रही है। इस सीरियल में काम करने वाली कलाकारों सिया का किरदार निभाने वाली नताशा शर्मा और अम्माजी का रोल करने वाली मेघना मलिक का मानना है कि आज इस बात की जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा चैनल भ्रूण हत्या जैसे मामलों में पहल करें। वैसे भी टीवी चैनलों ने इस दिशा में पहल करने में काफी देर कर दी है। अब एक चैनल जागा है तो बाकी को भी ऐसा करने से पीछे नहीं रहना चाहिए। इनका साफ तौर पर मानना है कि आज समाज से जुड़े ऐसे मुद्दों पर ही सीरियल बनाने की जरूरत है।
पहली बार रायपुर आई इन कलाकारों ने कहा कि वास्तव में आज के आधुनिक समाज में भ्रूण हत्या जैसा घिनौना अपराध हो रहा है और इस पर रोक लगाने में सरकार सक्षम नहीं है। मेघना कहती हैं कि आज भी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में जहां भ्रूण में ही कन्याओं की हत्या कर दी जाती है, वहीं कई स्थानों पर कन्याओं को पैदा होने के बाद मार दिया जाता है। कहीं मारा नहीं भी जाता है तो उनको फेंक दिया जाता है। वास्तव में यह देश के लिए दुखद है कि भविष्य की मांओं की हत्याएं लगातार हो रही हैं और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इन्होंने एक स्वर में कहा कि वास्तव में कलर्स चैनल बधाई का पात्र है जिसने एक गंभीर मुद्दे पर सीरियल बनाने का काम किया है। आज ऐसे सीरियलों की समाज को जरूरत है जो समाज को एक रास्ता दिखा सकें।
हमारा तो ऐसा मानना कि भ्रूण हत्या जैसा घिनानै अपराध करने वालों को फांसी की सजा देनी चाहिए। इसी के साथ ऐसे डॉक्टरों को भी कड़ी सजा देनी चाहिए जो अपराध होने के बाद भी भ्रूण परीक्षण करके लोगों को बता देते हैं कि गर्भ में क्या है। अगर डॉक्टरों पर ही लगाम कसने का काम सरकार करें तो भ्रूण हत्या को पूरी तरह से रोका जा सकता है। लेकिन सरकार डॉक्टरों पर न जाने क्यों कड़ाई नहीं कर पा रही है। सबसे बड़े दोषी तो डॉक्टर ही हैं।
इन्होंने बताया कि उनके सीरियल को बहुत ज्यादा सफलता मिल रही है। सीरियल में सिया का रोल करने वाली नताशा को भी इस बात का बहुत दुख है कि अपने देश में भ्रूण हत्याओं पर विराम नहीं लग रहा है, लेकिन उनको इस खबर पर खुशी है कि राजस्थान में आज सात के स्थान पर शादी में आठ फेर लिए जा रहे हैं और यह आठवां फेरा भ्रूण हत्या न करने की कसम खाने वाला होता है। उनका मानना है कि अगर इस खबर में वाकई में सच्चाई है तो पूरे देश में शादी के लिए आठ फेरों की रस्म कर देनी चाहिए। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या एक फेरे मात्र से भ्रूण हत्या रूक जाएगी। आज भ्रूण हत्या रोकने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है और जागरूकता जगाने का काम टीवी से ज्यादा अच्छे तरीके से और कौन कर सकता है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अब तो टीवी वालों को जागना चाहिए और इस दिशा में देर नहीं करनी चाहिए, अगर अब देर हो गई तो वह दिन दूर नहीं है जब देश में लड़कियों का अकाल पड़ जाएगा।
11 टिप्पणियाँ:
भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार से उम्मीद करना ही गलत है, इसके लिए जनजागरण अभियान चलाना चाहिए। इस मामले में महिला-पुरुषों को एक साथ मिलकर काम करना होगा तभी सफलता मिलेगी।
भ्रूण हत्या पर कलर्स चैनल की पहल वाकई सराहनीय है। ना आना इस देश में लाडो जैसे सीरियलों की आज समाज को बहुत जरूरत है।
राजस्थान में अगर सच में भ्रूण हत्या रोकने के लिए शादी में आठवें फेरे जैसी कोई रस्म हो रही है तो उसको पूरे देश में अपनाना चाहिए।
अच्छा जी, चैनल वाले अगर भ्ूण हत्या पर काम करेंगे तो राखी-मीका पर रायता कौन फैलाएगा? ब्लॉगर??
भ्रूण हत्या के लिए तो पहले दोषी डॉक्टर ही हैं। ऐसे डॉक्टरों को ही फांसी की सजा देनी चाहिए।
सामाजिक सरोकार वाले सीरियल बनने लगे तो समाज के कई बुराईयों का अंत संभव है क्योंकि आज समाज पर टीवी और सिनेमा का बहुत असर होता है।
भविष्य की मांओ की हत्याओं पर पूरा समाज आज चिंतित है। एक अच्छा मुद्दा आपने सामने रखा है।
kya baat hai
waah waah
आज लगता है कि महिला ही महिलाओं की दुश्मन हो गई है। महिलाओं को भू्रण हत्या का पुरजोर विरोध करना चाहिए।
चैनल वालों को सामाजिक सरोकार से कोई मतलब नहीं होता है। चैनल वाले तो बस विवाद वाली खबरों को दिखाते हैं और ऐसे सीरियल दिखाते हैं जिनमें सांस-बहू के झगड़े हो या फिर अफयेर के किस्से हो। भ्रूण हत्या जैसी समस्याओं से इनको क्या लेना-देना है। इनको सलाह देना से कोई फायदा होने वाला नहीं है।
apke serial ko dekhte dekhte balika ke pita ko ghabraahat to hoti hai lekin Sia se ek aashaa jagi hai ,Himmat badhi hai.bhroon Hatyaa rokne ko dharmic aandolan chaahiye.Serial ko din me do-do bar dekhte hain log.Sadhuvaad aapko.M K Bhardwaj Gurgaon.
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